सार

डायबिटीज आपकी किडनी को प्रोग्रेसिवली नुकसान पहुंचाता है और शुरुआत में इसके वॉर्निंग साइन को भी पहचानना मुश्किल होता है।

यदि आप लंबे समय से डायबिटीज से पीडि़त हैं और ब्लड शुगर को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं, तो आपकी किडनी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। डायबिटीज आपकी किडनी को प्रोग्रेसिवली नुकसान पहुंचाता है और शुरुआत में इसके वॉर्निंग साइन को भी पहचानना मुश्किल होता है। जब ब्लड शुगर लंबे समय तक ब्लडस्ट्रीम्स में रहता है, तो वे धीरे-धीरे आपके किडनी में ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे आपके शरीर से वेस्ट और एक्स्ट्रा पानी को फिल्टर करने का काम मुश्किल हो जाता है।

ऐसे कई कारण है जिसमें डायबिटीज किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं। अफसोस की बात है कि डायबिटीज के किडनी की बीमारी के शुरुआती चरणों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है और केवल नियमित जांच ही किसी भी समस्या का पता लगाने में मदद कर सकती है। डायबिटीज में कई मैकेनिज्म हैं जो किडनी को नुकसान पहुंचाने में मददगार होते हैं। बढ़ा हुआ शुगर लेवल ग्लोमेरुली को अवरुद्ध करते हैं और वे संकुचित हो जाते हैं। इस प्रकार ब्लड  फ्लो कम हो जाता है और किडनी धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। साथ ही ब्लड वेसल्स लीक करने लगती है और यूरीन में प्रोटीन की कमी हो जाती है। डायबिटीज ब्लैडर में प्रवेश करने वाली नसों को नुकसान पहुंचाता है जिसके कारण ब्लैडर में परिपूर्णता की अनुभूति का नुकसान होता है। इससे यूरीन इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। डॉक्टर्स के अनुसार यूरीन में हाई शुगर लेवल भी बैक्टीरिया को तेजी से बढऩे देता है, जिससे बार-बार यूरीन ट्रैक्ट इंफेक्शंस (यूटीआई) होते हैं जो कि किडनी को नुकसान पहुंचाने में मददगार साबित होते हैं।

डायबिटिक किडनी बीमारी को शुरुआती लेवल पर डायग्नोस कैसे करें
"यूरीन-एल्ब्यूमिन क्रिएटिनिन रेश्यो (यू-एसीआर) नामक एक साधारण यूरीन टेस्ट यूरीन में प्रोटीन (एल्ब्यूमिन) की उपस्थिति का पता लगा सकता है। माइक्रोएल्ब्यूमिन्यूरिया (यूरीप में एल्बुमिन) पहले लक्षणों में से एक है जिसे आसानी से उठाया जा सकता है और इलाज किया जा सकता है। ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (ईजीएफआर) टेस्ट किडनी की वेस्ट प्रोडक्ट्स को फिल्टर करनेे की क्षमता को निर्धारित करता है।

बाद के चरणों में डायबिटिक किडनी की बीमारी के लक्षण
जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लक्षण दिखने लगते हैं। एक व्यक्ति को पैरों और हाथों में सूजन, झागदार यूरीन और थकान हो सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार बाद के चरणों में, व्यक्ति को टखनों, पैरों और हाथों की सूजन, झागदार यूरीन (एल्ब्यूमिन की उपस्थिति के कारण), यूरीन में ब्लड, सांस की तकलीफ, मतली, अन्य लक्षणों के बीच लगातार थकान का अनुभव हो सकता है।

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डायबिटीज को किडनी खराब करने में कितना समय लगता है?
"टाइप 1 डायबिटीज में, किडनी का फंक्शनल डैमेज डायग्नोस के 2-5 साल से शुरू हो सकती है और प्रगति में 10-30 साल लग सकते हैं जबकि टाइप 2 डायबिटीज में डायग्नोस होने पर  किडनी को प्रभावित होने में 10 से 30 साल लग सकते हैं। लेकिन प्रोग्रेशन टाइप 1 डायबिटीज पेंशट्स के समान हो सकती है। डॉक्टर्स के अनुसार किडनी डिजीज के लिए स्क्रीनिंग एनुअली होनी चाहिए।

डायबिटीज पेंशेंट्स में किडनी फेल का इलाज कैसे किया जाता है?
डॉक्टर्स के अनुसार किडनी फेल का इलाज किउनी रिप्लेसमेंट जैसे हेमोडायलिसिस या पेरिटोनियल डायलिसिस के साथ किया जाता है। किडनी की बीमारी के लास्ट स्टेज के लिए रेनेल ट्रांसप्लांट इलाज का दूसरा ऑप्शन है।

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किडनी की बीमारी को रोकने के लिए हेल्दी रखना होगा लाइफस्टाइल
- हेल्दी ईटींग हैबिट के साथ थोड़े-थोड़े समय में छोटे मील्स की सलाह दी जाती है। डाइट में सब्जियां और लीन प्रोटीन शामिल करें और मीठा, तैलीय और प्रोसेस्ड फूड को कम करें। कम नमक का सेवन करें।

- स्मोकिंग या तंबाकू चबाना बंद कर दें क्योंकि इनसे किडनी खराब हो सकती है।

- किडनी को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए शराब का सेवन काफी कम करें।

- नियमित व्यायाम जरूरी है। सप्ताह में कम से कम 5 दिन हर दिन कम से कम 20 मिनट के लिए एक्सरसाइज करें। सक्रिय रहने से शरीर को इंसुलिन और ग्लूकोज का बेहतर उपयोग करने में मदद मिलती है और ब्लड शुगर लेवल में सुधार होता है।

- अपने वजन को मेंटेन रखें।

- किडनी की बीमारी, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें। नियमित रूप से एंटीहाइपरटेंशन और लिपिड दवा लें।