सार

अबदी बानो बेगम (Abadi bano begum) को भारत की पहली मुस्लिम महिला स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए महिलाओं को एकजुट किया था।

नई दिल्ली। अली बंधुओं को महान स्वतंत्रता सेनानी और महात्मा गांधी के असहयोग और खिलाफत संघर्ष के साथी के रूप में सभी जानते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि उनकी मां भी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं। यह साहसी मां अबदी बानो बेगम थीं। उन्हें प्यार से बी अम्मान भी कहते थे। 

उन्हें भारत की पहली मुस्लिम महिला स्वतंत्रता सेनानी कहा जाता है। वह उन शुरुआती मुस्लिम महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने घर से निकलकर समाज के लिए काम करने का फैसला किया था। उन्होंने मुस्लिम समुदाय खासकर महिलाओं को अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन के लिए एकजुट किया।

कम उम्र में विधवा बन गईं थीं अबदी 
अबदी बानो का जन्म उत्तर प्रदेश में 1850 में हुआ था। वह कम उम्र में ही विधवा बन गईं थीं। उनके पास न शिक्षा थी और न धन। अबदी बानो एक दृढ़ निश्चय वाली महिला थीं। उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया। उस समय मुस्लिम समुदाय के लोग मदरसों में ही अपने बच्चों को पढ़ाते थे। लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी नहीं पढ़ाते थे। इसे काफिरों की भाषा समझा जाता था। 

उस समय अबदी बानो ने अपने परिवार और समाज के विरोध के बाद भी अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने के लिए भेजने का साहस दिखाया। उन्हें किसी से कोई मदद नहीं मिली थी। उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने गहने बेच दिए। उनके एक बेटे मौलाना मुहम्मदी पढ़ने के लिए ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय तक गए।

खिलाफत आंदोलन से आई थी राजनीति में 
अबदी बानो खिलाफत आंदोलन के समय से राजनीतिक क्षेत्र में आईं। उस समय महात्मा गांधी ने उनसे यात्रा करने और आंदोलन के लिए महिलाओं को संगठित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने गांधी जी के साथ कई सभाओं में बात की। 67 साल की उम्र में उन्होंने ऐनी बेसेंट और उनके दो बेटों मुहम्मदली और शौकतली की गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी आवाज देश-विदेश में सुनी गई।

वह नियमित रूप से कांग्रेस और मुस्लिम लीग की बैठकों को संबोधित करती थीं। वह सरोजिनी नायडू, सरलादेवी चौधरी, बसंती देवी, बेगम हजरत मोहानी के साथ राष्ट्रीय आंदोलन की एक प्रमुख महिला नेता के रूप में उभरीं। 1921 में इलाहाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में अबदी बानो को अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। उन्होंने तिलक फंड जैसे प्रमुख फंड संग्रह अभियान का नेतृत्व किया और विदेशी कपड़ों के बहिष्कार के संघर्षों में सक्रिय रूप से भाग लिया। 1922 में जब गांधी जी को गिरफ्तार किया गया तो अबदी बानो ने पहली बार पंजाब में एक जनसभा में अपना सफेद पर्दा उठाकर बात की। उन्होंने कहा कि जब मैं अपने बेटों और भाइयों के बीच हूं तो मुझे रोने की जरूरत नहीं है। 1924 में 74 वर्ष की आयु में निधन होने तक वह राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय थीं।