सार

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर खतरा रहा है। चुनाव आयोग ने प्रदेश के राज्यपाल रमेश बैस को सीएम की सदस्यता रद्द करने करने के लिए चिट्‌ठी भेजी है। जिसका फैसला आज राज्यपाल लेंगे।

रांची. झारखंड के मुख्यमंत्री की विधायकी कभी भी समाप्त हो सकती है। ऐसे में राज्य में सरकार पर इस फैसले का क्या असर पड़ेगा? सब यही जानना चाहते हैं। हालांकि आज शाम तक पूरे मामले से पर्दा उठ जाएगा। राजभवन से इसकी अधिकारीक पुष्टि भी हो जाएगी। अगर मुख्यमंत्री की विधायकी जाती भी है तो झारखंड सरकार पर इसका असर पड़ने की उम्मीद कम है। जानिए क्या झारखंड की विधानसभा का सियासी समीकरण

झारखंड विधानसभा का गणित
विधानसभा के गणित के अनुसार झारखंड विधानसभा में 81 विधायक चुनकर आए हैं। बहुमत का आंकड़ा 41 है, यानि सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों का समर्थन जरूरी है। अभी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक यानी कुल 49 विधायकों के समर्थन से सरकार चल रही है। भाकपा माले ने अपने एक विधायक का समर्थन बाहर से दे रखा है। कागज पर एनसीपी के इकलौते विधायक का भी बाहर से समर्थन प्राप्त है। दूसरी तरफ भाजपा के पास कुल 26 विधायक हैं। उसकी सहयोगी पार्टी आजसू के दो विधायक हैं। अगर निर्दलीय सरयू राय, एनसीपी विधायक कमलेश सिंह और बरकट्ठा विधायक अमित यादव का साथ मिल भी जाता है तो यह संख्या 31 पर सिमट जाएगी। ऐसे में भाजपा उसी सूरत में सरकार बना पाएगी, अगर कांग्रेस के 18 में से दो तिहाई यानी 12 विधायक उसके साथ आ जाएंगे। 

अब दो बार हो चुकी है सरकार गिराने की साजिश 
बता दें कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद दो बार सरकार को गिराने की साजिश का मामला थाना तक पहुंच चुका है। एक प्राथमिकी जुलाई 2021 को कोतवाली थाने में दर्ज हुई थी। सीएम के करीबी और बेरमो से कांग्रेस के विधायक जय मंगल उर्फ अनूप सिंह ने आरोप लगाया था कि रांची के होटल ली-लैक में मुंबई से आए लोग विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। हालांकि इस मामले में किसी भी विधायक को आरोपी नहीं बनाया गया। इस घटना के ठीक तीन माह बाद झामुमो के विधायक रामदास सोरेन ने जगन्नाथपुर थाने में एक शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने झामुमो से निष्कासित कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल पर प्रलोभन देकर सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाया था। 

कांग्रेस के विधायकों के पाला बदलने की उम्मीद कम
हालांकि मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए ऐसी आशंका कम है कि झारखंड में कांग्रेस का कोई विधायक बीजेपी के साथ जा सकता है। वैसे भी एक दो नहीं कम से कम 12 विधायकों के पाला बदलने पर ही बीजेपी के लिए झारखंड में सरकार बनाने की उम्मीद होगी। बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के तीन विधायकों पर भी आरोप लग चुका है, जिसे कांग्रेस ने सस्पेंड कर दिया है। 

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