सार

8 अगस्त यानि लांगो दिवस झारखंड के पूर्वीं सिंहभूम जिले में इस दिन का खास महत्व है। क्योंकि इसी दिन लांगो गांव के ग्रामीणों ने 9 नक्सलियों को त्रस्त होकर मौत के घाट उतारा था। लोग इसे उत्सव के रूप में मनाते हैं। हर साल गांव में इस मौके पर अनेक कार्यक्रम होते हैं।

पूर्वीं सिंहभूम: झारखंड के पूर्वीं सिंहभूम जिले के लांगो गांव के लोग 8 अगस्त को लांगो दिवस के रुप में मनाते हैं। इसे बहादुरी दिवस भी कहा जाता है। क्योंकि आज ही के दिन यानी 8 अगस्त को लांगो गांव के ग्रामीणों ने 9 नक्सलियों को त्रस्त होकर मौत के घाट उतारा था। यह देश के इतिहास में नक्सलियों की सेंदरा की यह पहली घटना थी। ग्रामीणों की इस बहादुरी के कारण गांव के 30 से अधिक युवाओं को सरकार ने पुलिस विभाग ने नौकरी दी थी। तब राज्य में अर्जुन मुंडा की सरकार थी। 8 अगस्त को ग्रामीण लांगो दिवस के रुप में मनाते हैं। लेकिन पिछले तीन साल से कोविड के कारण किसी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो रहा है। लेकिन गांव के लोग अपनी बहादुरी को जरुर याद करते हैं। 

नक्सलियों के आतंक से त्रस्त थे गांव के लोग
घटना 8 अगस्त 2003 की है। पूर्वीं सिहंभूम जिले के डुमरिया थाना क्षेत्र के बीहड़ गांव लांगो में नक्सलियों का काफी आतंक था। नक्सली संपन्न लोगों से लेवी वसूलते थे। ग्रामीणों के साथ मारपीट करते थे। नक्सलियों ने ग्रामीणों का खेत तक हड़प लिया था। खेतों में लाल झंडा गाड़ नक्सलियों द्वारा खेती ना करने की धमकी ग्रामीणों को दी थी। इससे त्रस्त होकर ग्रामीणों ने नक्सलियों का सेंदरा कर दिया था। 

घंटी बजा नक्सलियों के गांव में घूसने का था अलर्ट 
ग्रामीणों के इस बहादुरी के काम में नागरिक सुरक्षा समिति ने भी ग्रामीणों का साथ दिया था। नक्सलियों से त्रस्त होकर ग्रामीणों ने आर पार की लड़ाई लड़ने की योजना बनाई। नक्सलियों के गांव में घूसते ही घंटी बजाने की जिम्मेदारी एक महिला को दी गई। यह नक्सलियों के गांव में घुसने का अलर्ट था। 7-8 अगस्त की रात 11 हार्डकोर नक्सली गांव में घुस थे। महिला के घंटी बजाते ही पहले से ही हथियारों के साथ लैस ग्रामीणों ने नक्सलियों पर हमला कर दिया। 9 नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया जबकि दो नक्सलियों को रस्सी से बांध दिया। मारे गए नक्सलियों में भुदेश मुंडा, गौरी, मार्शल आदि शामिल थे। 

नक्सलियों ने जमीन छीनने की कोशीश की थी- शंकर चंद्र हेंब्रम
नागरिक सुरक्षा समिति के अध्यक्ष शंकर चंद्र हेंब्रम कहते है कि नक्सलियों ने ग्रामीणों की जमीन छीनने की कोशीश की थी। खेतों में लाल झंडा गाड़ ग्रामीणों के खेती करने पर पाबंदी लगा दी थी। जो ग्रामीणों को नगावार लगा। लांगों गांव से ही नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरु की गई थी।