सार
Dev Deepawali 2022: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन काशी में इसका खास महत्व है। इस बार देव दीपावली के लेकर लोगों के मन में काफी संशय है।
उज्जैन. काशी भगवान शिव का नगर, यहां हर त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा पर यहां मनाया जाने वाला देव दीपावली (Dev Deepawali 2022) उत्सव बहुत ही प्रसिद्ध है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 8 अक्टूर, मंगलवार को है। वैसे तो देव दीपावली पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन काशी में इसकी रौनक देखते ही बनती है। इस बार देव दीपावली पर्व को लेकर लोगों के मन में काफी संशय है, इसका कारण है तिथियों की घट-बढ़ और कार्तिक पूर्णिमा पर होने वाला चंद्र ग्रहण।
चंद्र ग्रहण के कारण 7 नवंबर को मनाई जाएगी देव दीपावली (Dev Diwali Kab hai)
श्रीकाशी विद्वत परिषद के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा 7 नवंबर, सोमवार की दोपहर 3:58 से 8 नवंबर, मंगलवार की दोपहर 3:53 बजे तक रहेगी। 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan November 2022) का संयोग भी बन रहा है, जिसके चलते इस दिन कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जा सकेगा। निर्णय सिंधु व अन्य ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण के चलते कोई भी पर्व मनाया संभव नहीं है, इसलिए 7 नवंबर की शाम को पूर्णिमा तिथि के संयोग में ये पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत रहेग।
काशी में ही देव दीपावली का महत्व क्यों? (Dev Deepawali In Kashi)
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर नाम का एक महापराक्रमी राक्षस था। उसने देवताओं पर बहुत अत्याचार किए। अंत में सभी देवता शिवजी के पास गए। शिवजी ने उस राक्षस का वध किया और त्रिपुरारी कहलाए। इस दिन कार्तिक पूर्णिमा थी। त्रिपुरासुर के माने जाने से सभी देवी देवता प्रसन्न होकर काशी आए और दीप जलाकर उत्सव मनाया। इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा पर काशी में देव दीपावली उत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है।
चंद्रग्रहण के बाद करें स्नान
8 नवंबर, मंगलवार को चंद्र ग्रहण शाम 6.20 पर समाप्त हो जाएगा। इसके बाद स्नान और दीपदान किया जा सकता है। लेकिन देव दीपावली से संबंधित पूजा 7 नवंबर, सोमवार को ही करें। काशी के विद्ववानों द्वारा लिया गया है ये निर्णय पूरे देश के धार्मिक स्थानों पर भी लागू होगा, जहां देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
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