सार
साल 2020 का अंतिम सूर्यग्रहण 14 दिसंबर, सोमवार को होगा। ये खण्डग्रास सूर्यग्रहण होगा। भारत में दिखाई न देने से यहां सूतक आदि की कोई मान्यता नहीं होगी।
उज्जैन. सूर्यग्रहण की अवधि लगभग 5 घंटे 20 मिनिट की रहेगी। इसके पहले 21 जून को सूर्यग्रहण हुआ था जो भारत में दिखाई दिया था। ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, साल 2021 में 2 सूर्यग्रहण के योग बन रहे हैं।
कहां दिखाई देगा ये ग्रहण?
यह सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका, साउथ अफ्रीका और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में नजर आएगा। भारतीय समय के अनुसार, इस ग्रहण का प्रारंभ 14 दिसंबर की शाम 07:03 से होगा, जो रात 12:23 बजे तक रहेगा। यह सूर्यग्रहण लगभग पांच घंटे 20 मिनेट का होगा। सूर्य ग्रहण का समय रात्रि का होने के कारण भारत में इसका कोई असर नहीं होगा और न ही इसका कोई सूतक लगेगा।
जानिए सूर्य ग्रहण कब और कैसे लगता है?
विज्ञान की दृष्टि से जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से होते हुए गुजरता है। इस दौरान चंद्र सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से अपने पीछे ढकते हुए उसे पृथ्वी तक पहुंचने से रोक लेता है और उस समय रोशनी के अभाव में पृथ्वी पर अंधियारा छा जाता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की। कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। यह घटना हमेशा अमावस्या को ही होती है और 14 दिसंबर को भी अमावस है।
कितनी प्रकार का होता है सूर्य ग्रहण?
पूर्ण सूर्य ग्रहण
जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्र आकर सूर्य की रोशनी को पूरी तरह से ढक लेता है। इस घटना को पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं।
आंशिक सूर्य ग्रहण
जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आकर सूर्य को अपने पीछे आंशिक रुप से ढक लेता है। तो सूर्य का पूरा प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता तो इसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं।
वलयाकार सूर्यग्रहण
जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूर्य को पूरी तरह न ढकते हुए, उसके बीच के भाग को ढक देता है, जिससे पृथ्वी से देखने पर सूर्य एक रिंग की तरह दिखाई देता है, जिसे हम वलयाकार सूर्यग्रहण कहते हैं।
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