सार
Chhath Puja 2022: छठ पूजा की शुरुआत आज से हो गई है। नहाय-खाय के साथ महिलाएं और पुरुष व्रत करने का संकल्प ले लिए हैं। 29 को खरना होगा। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व के काफी कठोर नियम होते हैं। 36 घंटे का निर्जला व्रत होता है। व्रतधारी के साथ-साथ परिवार के सदस्यों को भी कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है।
लाइफस्टाइल डेस्क. छठ पूजा (Chhath Puja) बिहार और यूपी से निकलकर अब देश के कोने-कोने में होने लगा है। इस व्रत को वो लोग करते हैं जो इसके कठोर नियम का पालन करने में सक्षम हो। बीमार और प्रेग्नेंट महिलाओं को छठ करने से मना किया जाता है। छठ के कठोर नियम को ना सिर्फ व्रतधारी पालन करते हैं, बल्कि घर के सदस्यों को भी कुछ चीजें परहेज करने को कहा गया है। घर में छठ हो और आप घर से दूर हैं तो भी उन नियमों को बरतने को कहा गया है। चलिए बताते हैं उन 5 चीजों के बारे में जिसे छठ वाले घर के सदस्यों को नहीं करना चाहिए।
1. जिस घर में छठ पर्व होता है वहां, प्याज और लहसुन नहीं बनाना चाहिए। घर के सदस्यों को भी कोशिश करना चाहिए कि खाने में इसका प्रयोग ना करें।
2. छठ वाले घर के सदस्यों को ननवेज नहीं खाना चाहिए। आप अगर घर से दूर भी हो और आपके यहां छठ हो रहा है तो ननवेज से चार दिन तक परहेज करें। शराब से भी खुद को दूर रखें।
3. पूजा स्थल पर जूते लेकर ना जाएं। जहां प्रसाद बन रहा हो और सूप रखा हो, वहां की पवित्रता का ख्याल रखें। उस जगह पर जूता चप्पल लेकर नहीं जाना चाहिए। ना ही प्रसाद को बिना नहाए हाथ लगाना चाहिए।
4. खरना वाले दिन प्रसाद बनने से पहले चूल्हे पर तवा नहीं चढ़ाना चाहिए। शाम को खरना में खीर और रोटी बनाई जाती है। इसलिए सुबह रोटी बनाने की मनाही होती है। खरना का प्रसाद आसपास में भी बांटना चाहिए जिसके घर व्रत नहीं हो रहा है।
5. मान्यता के अनुसार छठ की समाप्ति से पहले फल भी खाना मना होता है। कहा जाता है कि ऐसे में प्रसाद जूठा हो जाता है। इसलिए खरना शुरू होने के बाद से छठ के दूसरे अर्घ्य तक फल का सेवन नहीं करना चाहिए।
6. अगर घर में छठ हो रहा है तो लड़ाई और झगड़ा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। ना ही मन में किसी के लिए गलत भावना लाना चाहिए। कोशिश करना चाहिए कि घर का मौहाल शांतिपूर्ण हो।
7. अर्घ्य के दौरान घर के सदस्यों को भी साफ कपड़ा पहनना चाहिए। स्वच्छ मन से व्रतधारी को अर्घ्य दिलाना चाहिए।
36 घंटे का निर्जला उपवास आसान नहीं होता है। इसलिए घर के सदस्यों को चाहिए कि व्रतधारी को ज्यादा काम नहीं करने दें। उन्हें आराम दें। उनसे कम बातें करें। ताकि प्यास ना लगे।
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