सार
आजकल ज्यादतर औरतें कोई न कोई जॉब करती हैं। ऐसे में उन्हें घर के कामकाज, बच्चों की देखभाल से लेकर ऑफिस के कामकाज में तालमेल बैठाना पड़ता है। देखने में आता है कि वर्किंग मदर्स के बच्चे दूसरे बच्चों की तुलना में कुछ अलग ही होते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क। आजकल ज्यादतर औरतें कोई न कोई जॉब करती हैं। ऐसे में उन्हें घर के कामकाज, बच्चों की देखभाल से लेकर ऑफिस के कामकाज में तालमेल बैठाना पड़ता है। देखने में आता है कि वर्किंग मदर्स के बच्चे दूसरे बच्चों की तुलना में कुछ अलग ही होते हैं। बच्चे अपनी मां के काफी करीब होते हैं। वे मां के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारना चाहते हैं, लेकिन जब मां वर्किंग होती है, तो उन्हें इसका मौका कम मिल पाता है। फिर भी जब उन्हें मां का साथ मिलता है तो वह खास ही होता है। इसका असर बच्चे की पर्सनैलिटी पर पड़ता है। अगर वर्किंग मदर्स अपने बच्चों को सही तरीके से समय देती हैं तो उनमें पॉजिटिविटी बढ़ती है।
1. सीखते हैं समय की कद्र करना
जब मां वर्किंग होती है तो बच्चे को पेरेन्ट्स का साथ कम मिल पाता है। बच्चा इस बात को समझता है। उसे पता होता है कि जितने वक्त तक उसे पेरेन्ट्स का साथ मिलेगा, वह खास ही होगा। इसलिए उस समय का वह इंतजार करता है और उस दौरान बेहद खुश रहता है। इससे वह समय की कद्र करना भी सीखता है।
2. पर्सनैलिटी होती है मजबूत
बच्चे को पता होता है कि उसकी मां काम पर जाती है। इसलिए वह छोटे-मोटे काम के लिए किसी पर निर्भर नहीं होता। जहां तक संभव होता है, वह अपने काम खुद निपटाता है। पेरेन्ट्स की गैरमौजूदगी में वह छोटे-बड़े निर्णय भी खुद लेता है। इससे उसमें सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ता है और उसकी पर्सनैलिटी मजबूत होती है।
3. आत्मनिर्भरता बढ़ती है
जिन बच्चों की मां वर्किंग होती है, वे दूसरे बच्चों की तुलना में ज्यादा आत्मनिर्भर होते हैं। वे किसी काम के लिए दूसरे पर ज्यादा निर्भर नहीं करते। उनमें अपना काम खुद करने की आदत पड़ जाती है। उनमें जिम्मेदारी की भावना भी ज्यादा होती है। सबसे बड़ी बात है कि ऐसे बच्चे सेल्फ डिपेंडेंट होते हैं।
4. समस्या का करते हैं खुद समाधान
वर्किंग मदर्स के बच्चे अपनी समस्याओं का खुद समाधान करने की कोशिश करते हैं। उन्हें पता होता है कि कोई दूसरा उनकी समस्या का हल करने के लिए नहीं आएगा। ऐसे बच्चे किसी बात को लेकर जल्दी पेरेन्ट्स से शिकायत नहीं करते हैं। जिम्मेदारी की भावना ज्यादा होने की वजह से ऐसे बच्चे सही और गलत के फर्क को भी बखूबी समझने लगते हैं।
5. भावनात्मक रूप से होते हैं मजबूत
वर्किंग मदर्स के बच्चे भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं, क्योंकि उन्हें अकेले चुनौतियों का सामना करने की आदत हो जाती है। ऐसे बच्चे जल्दी किसी चीज के लिए जिद नहीं करते और ना ही किसी से लड़ाई-झगड़ा करते हैं। उन्हें पता होता है कि पेरेन्ट्स घर चलाने के लिए कितनी मेहनत करते हैं। इससे वे हर चीज की कीमत को समझते हैं। ऐसे बच्चों को पढ़ाई करने या दूसरे काम निपटाने के लिए नहीं कहना पड़ता है। ऐसा वे खुद अपनी जिम्मेदारी समझ कर करते हैं।