सार
कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में लगातार घर में रहने से लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त बिता रहे हैं। साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करने से भी तनाव और डिप्रेशन की समस्या बढ़ती है।
लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में लगातार घर में रहने से लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त बिता रहे हैं। जो लोग पहले सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव नहीं रहते थे, खाली रहने की वजह से वे भी इस पर ज्यादा समय देने लगे हैं। उन्हें लगता है कि इससे उनका समय ठीक से बीतेगा, लेकिन साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करने से भी तनाव और डिप्रेशन की समस्या बढ़ती है। हर चीज के पॉ़जिटिव और नेगेटिव पहलू होते हैं। सोशल मीडिया के जरिए लोग एक-दूसरे से जुड़ते हैं। सोशल मीडिया से नए कॉन्टैक्ट्स बनते हैं और कई तरह की जानकारियां भी मिलती हैं, लेकिन जब इसका ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है तो कई तरह की मानसिक समस्याएं भी पैदा होने लगती हैं।
1. सेल्फ कॉन्फिडेंस होता है कम
अगर कोई हमेशा फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट या दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव रहता है तो इससे सेल्फ कॉन्फिडेंस कम होने की संभावना बढ़ जाती है। सोशल मीडिया पर कई चीजों को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाता है। इस पर कई ऐसी चीजें भी दिखाई जाती हैं, जो वास्तविकता से दूर होती हैं। इससे लोग खुद को कमतर आंकने लगते हैं। आगे चल कर यह तनाव की बड़ी वजह बन सकता है।
2. तुलना से बढ़ती है निराशा
सोशल साइट्स पर लोग ऐसी तस्वीरें या पोस्ट लगाते हैं, जो कई बार बनावटी होती है। इसके पीछे उनका मकसद अपनी शान-शौकत दिखाना होता है। इंस्टाग्राम या दूसरी सोशल साइट्स पर तस्वीरों को एटिड कर पूरी तरह बदल दिया जाता है। जब लोग यह देखते हैं तो खुद से तुलना करते हैं और हीन भावना व निराशा के शिकार होने लगते हैं।
3. अलगाव और अकेलापन
अमेरिका की पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध से पता चला है कि जो लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट पर ज्यादा समय बिताते हैं, उनमें अलगाव और अकेलापन की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे लोग तनाव और डिप्रेशन के शिकार होने लगते हैं। इसी स्टडी से यह भी पता चला कि जो लोग इन प्लेटफॉर्म्स पर कम समय देते हैं, वे अकेलापन महसूस नहीं करते और उनमें सेल्फ कॉन्फिडेंस भी ज्यादा रहता है।
4. साइबर बुलिंग के होते हैं शिकार
सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहने वाले लोगों को कभी न कभी साइबर बुलिंग की समस्या का शिकार होना पड़ता है। साइबर बुलिंग का मतलब है कि इंटरनेट पर किसी को धमकाना, घटिया और अश्लील संदेश देना और परेशान करने की कोशिश करना। फेसबुक और ट्विटर पर अक्सर ऐसा होता है। खास कर, कम उम्र के लोगों और महिलाओं के साथ असभ्य तौर-तरीके से कुछ लोग पेश आने लगते हैं। इससे चिंता, तनाव और अवसाद की समस्या बढ़ती है।
5. चिंता और डिप्रेशन
इंसान का स्वभाव ही ऐसा होता है कि वह अकेले नहीं रह सकता। मनुष्य को इसीलिए सामाजिक प्राणी कहा गया है। एक-दूसरे से मिल-जुल कर संपर्क और बातचीत करने से मन पर अच्छा असर होता है, लेकिन जिनसे हम कभी मिले नहीं और न ही मिलने की संभावना हो, उनसे सोशल मीडिया पर लगातार संपर्क में रहने से मूड स्विंग की समस्या भी पैदा होती है। कुछ लोगों की मानसिकता ऐसी हो जाती है कि वे कुछ करीबी लोगों को छोड़ कर आमने-सामने किसी से नहीं मिलना चाहते। यहां तक कि वे अपने दोस्तों से भी मिलने में हिचकिचाने लगते हैं। इससे चिंता और डिप्रेशन की समस्या पैदा होने की संभावना रहती है।
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