सार
Hormonal Balance Ayurvedic Principles: आयुर्वेद के अनुसार, ये असंतुलन हमारे शरीर की आवश्यक ऊर्जाओं को नियंत्रित करने वाले दोषों वात, पित्त और कफ के भीतर व्यवधान का कारण बनते हैं।
हेल्थ डेस्क: आज की तेज-तर्रार दुनिया में, हार्मोनल असंतुलन आम हो गया है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं। आयुर्वेद, प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जिसमें कई तरह सटीक ट्रीटमेंट हैं। यहां तक कि आयुर्वेद, हार्मोनल संतुलन को सही करने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक शानदार दृष्टिकोण प्रदान करता है। दरअसल हार्मोनल असंतुलन तब होता है जब शरीर में हार्मोन का अत्यधिक या अपर्याप्त उत्पादन होता है। यह असंतुलन कई प्रकार के लक्षणों को जन्म दे सकता है जैसे मूड में बदलाव, वजन बढ़ना, थकान, अनियमित मासिक धर्म चक्र और बहुत कुछ…। आयुर्वेद के अनुसार, ये असंतुलन हमारे शरीर की आवश्यक ऊर्जाओं को नियंत्रित करने वाले दोषों वात, पित्त और कफ के भीतर व्यवधान का कारण बनते हैं।
अनंतमूल, बाला, गोखरू, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, अशोक, कालीमुसली शिवलिंगी, पुनर्नवा, बच ढाई के फूल, दारू हल्दी, और मुलेठी अपने हार्मोन-संतुलन गुणों के लिए जाने जाते हैं। इन्हें दैनिक दिनचर्या में सहजता से शामिल किया जा सकता है। ये सभी स्ट्रेस मैनेजमेंट, टॉक्सिन और समग्र हार्मोनल संतुलन में सहायता करता है। हालांकि लाइफस्टाइल में महत्वपूर्ण बदलाव करने से पहले विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लेना महत्वपूर्ण है। एक व्यक्तिगत आयुर्वेदिक दृष्टिकोण सुनिश्चित करना जो व्यापक कल्याण को बढ़ावा देता है।
हार्मोनल संतुलन के लिए आयुर्वेदिक सिद्धांत
पौष्टिक डाइट
आयुर्वेद हमेशा फ्रेश, ऑर्गेनिक और मौसमी फूड का सेवन करने का सुझाव देता है जो आपके दोष के लिए उपयुक्त हैं। विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा को शामिल करने से हार्मोनल स्वास्थ्य के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने में मदद मिलती है।
हर्बल ट्रीटमेंट
अश्वगंधा, शतावरी और त्रिफला जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां अपने हार्मोन-संतुलन गुणों के लिए जानी जाती हैं। हार्मोनल स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इन जड़ी-बूटियों का सेवन चाय, पाउडर या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है।
नियमित व्यायाम
हार्मोन को संतुलित करने के लिए नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होना आवश्यक है। योगा, पैदल चलना और तैराकी जैसे व्यायामों की सलाह देता है, जो तनाव को कम करने, ब्लड सर्कुलेशन सुधारने और हार्मोनल संतुलन को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
स्ट्रैस मैनेजमेंट
लगातार तनाव, हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ देता है। ध्यान, गहरी सांस लेने वाले प्राणायाम और अभ्यंग (स्व-मालिश) जैसी आयुर्वेदिक प्रथाएं तनाव के स्तर को कम करने और हार्मोनल सही करने में मदद कर सकती हैं।
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