जुड़वां बच्चे कैसे होते हैं? जानें प्रेग्नेंसी के 5 अद्भुत संकेत
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गर्भावस्था एक महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और खुशी का समय होता है। एक बच्चे के आने की खुशी घर में चार चांद लगा देती है। ऐसे में अगर गर्भवती महिला को जुड़वाँ बच्चे होने वाले हों तो खुशियाँ दोगुनी हो जाती हैं। लेकिन, अब आपके मन में एक सवाल उठ सकता है कि आखिर जुड़वाँ बच्चे कैसे होते हैं?
इसको लेकर हमारे बीच कई तरह की कहानियाँ प्रचलित हैं। इस बारे में आपने हर किसी से अलग-अलग बातें कहते सुनी होंगी। तो आज के इस लेख में हम जानेंगे कि जुड़वाँ बच्चे कैसे होते हैं और अगर कोई महिला अपने गर्भ में जुड़वाँ बच्चों को पाल रही होती है तो गर्भावस्था के दौरान क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं।
जुड़वाँ बच्चे होने के कारण :
एक महिला के जुड़वाँ बच्चे पैदा करने के कई कारण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, पारिवारिक इतिहास, गर्भावस्था उपचार, आदि। लेकिन इसके अलावा, डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी महिला के निषेचित अंडे में शुक्राणु पहुँचते ही उसके गर्भाशय में पहले से ही दो अंडे मौजूद हों तो उस महिला के जुड़वाँ बच्चे होने की संभावना बहुत अधिक होती है। इतना ही नहीं, जुड़वाँ बच्चों में भी दो तरह के होते हैं। एक, जिसमें एक दूसरे से बिल्कुल अलग दिखते हैं। दूसरा, जिसमें दोनों एक जैसे दिखते हैं।
पेट में जुड़वाँ बच्चे होने के लक्षण :
गर्भावस्था के दौरान एक महिला में दिखाई देने वाले कुछ लक्षणों से पता लगाया जा सकता है कि वह अपने गर्भ में जुड़वाँ बच्चों को पाल रही है। वे लक्षण क्या हैं, नीचे बताया गया है। वो हैं..
1. अत्यधिक रक्तस्राव : अगर गर्भावस्था के दौरान किसी महिला को सामान्य से ज़्यादा रक्तस्राव होता है और साथ ही बुखार भी हो तो इसका मतलब है कि वह महिला अपने गर्भ में जुड़वाँ बच्चों को पाल रही है।
2. बहुत ज़्यादा भूख लगना : आमतौर पर जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उसे ज़्यादा भूख नहीं लगती है। अगर भूख लगती भी है तो ज़्यादा खाना नहीं खा पाती हैं। लेकिन अगर कोई महिला जुड़वाँ बच्चों की माँ बनने वाली होती है तो वह महिला सामान्य से ज़्यादा खाना खाती है। चाहे जितना भी खा लें, बार-बार भूख लगती रहती है।
3. ज़्यादा वज़न : आमतौर पर जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उसका वज़न थोड़ा बढ़ता है। लेकिन जुड़वाँ बच्चों को पालने वाली महिला का वज़न सामान्य से बहुत ज़्यादा होता है। इसका कारण है उनके पेट में दो भ्रूण, दो प्लेसेंटा और ज़्यादा एमनियोटिक द्रव का होना।
4. ज़्यादा दर्द और कमज़ोरी : जुड़वाँ बच्चों को पालने वाली महिला को रोज़ शाम को उठते समय ज़्यादा दर्द और कमज़ोरी महसूस होती है, बहुत ज़्यादा थकान और उल्टी जैसी समस्या होती है।
5. बार-बार पेशाब आना : आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को बार-बार पेशाब आना आम बात है। इसका कारण है कि जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, गर्भाशय मूत्राशय पर दबाव डालता है। इससे गर्भवती महिलाओं को बार-बार पेशाब जाना पड़ता है। अगर कोई महिला अपने गर्भ में जुड़वाँ बच्चों को पाल रही है तो उसे दूसरों की तुलना में ज़्यादा बार पेशाब जाना पड़ सकता है।