सार
10 Traditional Sarees Must Have in Wardrobe: आपको भारत की विरासत को अपने वॉर्डरोब का हिस्सा बनाना चाहिए। अगर आपको साड़ियां पहनने का शौक है तो जानें 10 साड़ियां जो आपके कलेक्शन में जरूर होनी चाहिए।
भारत में कई तरह की संस्कृतियां और परंपराएं हैं, जिनमें से हर कल्चर की अपनी ट्रेडिशनल साड़ियां भी हैं। ये साड़ियां खासतौर पर उस क्षेत्र की संस्कृति, शिल्प कौशल और क्रिएटिविटी को दर्शाती हैं। उत्तर प्रदेश की भव्य बनारसी रेशम साड़ियों से लेकर तमिलनाडु की कांजीवरम रेशम साड़ियों तक कई बहुत ही सुंदर कढ़ाई वाली साड़ियां यहां मिलती हैं। प्रत्येक साड़ी अपनी अनूठी बुनाई, फेब्रिक और वर्जन के साथ कलात्मक विरासत दिखाती है। इनमें से कुछ शहरों की साड़ियां तो अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी प्रचलित हैं। ऐसे में अगर आपको भी साड़ियां पहनने का शौक है और आपको भारत की विरासत को अपने वॉर्डरोब का हिस्सा बनाना चाहिए। जानें 10 साड़ियां जो आपके कलेक्शन में जरूर होनी चाहिए।
बनारसी सिल्क साड़ी (उत्तर प्रदेश): अपने जटिल ब्रोकेड काम और सोने या चांदी की जरी रूपांकनों के लिए जानी जाने वाली बनारसी सिल्क साड़ियां शादियों और विशेष अवसरों के लिए अत्यधिक पसंद की जाती हैं।
मुगा सिल्क साड़ी (असम): असम के स्वदेशी रेशमकीट द्वारा सुनहरे रेशम से इसे बनाया जाता है। मुगा रेशम साड़ियां अपनी चमकदार बनावट, स्थायित्व और पारंपरिक असमिया कढ़ाई के लिए जानी जाती हैं।
बंधनी/बंधेज साड़ी (राजस्थान/गुजरात): बंधनी साड़ियां अपनी टाई-एंड-डाई तकनीक से बनती है। कलरफुल रंगों में पैटर्न और बिंदु डिजाइन के लिए ये जानी जाती हैं। ये भी कई अवसरों के लिए लोकप्रिय हैं।
कांजीवरम सिल्क साड़ी (तमिलनाडु): अपने जीवंत रंगों, भारी रेशमी कपड़े और उत्तम जरी बॉर्डर के लिए प्रसिद्ध, कांजीवरम साड़ियां साउथ इंडियन सुंदरता और शिल्प कौशल का प्रतीक हैं।
संबलपुरी साड़ी (ओडिशा): संबलपुरी साड़ियों को टाई-एंड-डाई तकनीक का उपयोग करके इकत पैटर्न के साथ हाथ से बुना जाता है। वे प्रकृति से प्रेरित जटिल कढ़ाई का प्रदर्शन करती हैं।
पैठानी साड़ी (महाराष्ट्र): इन रेशम साड़ियों में मोर और पुष्प कढ़ाई की विशेषता होती है। पैठनी साड़ियां अपनी समृद्ध विरासत और जटिल हाथ से बुने हुए डिजाइनों के लिए बेशकीमती होती हैं।
चंदेरी साड़ी (मध्य प्रदेश): चंदेरी साड़ियां हल्की होती हैं और महीन रेशम या कपास से बनी होती हैं। वे अपनी स्पष्ट बनावट, जरी बॉर्डर, मोर और फूलों जैसे पारंपरिक कढ़ाई के लिए जानी जाती हैं।
पटोला साड़ी (गुजरात): पटोला साड़ियां जटिल ज्यामितीय पैटर्न वाली डबल इकत रेशम साड़ियां हैं। इन्हें बनाने के लिए असाधारण कौशल की आवश्यकता होती है और उन्हें मूल्यवान विरासत माना जाता है।
बालूचरी साड़ी (पश्चिम बंगाल): बालूचरी साड़ी में पौराणिक कथाओं के जटिल सीन्स बुने जाते हैं। ये पारंपरिक रूप से मुर्शिदाबाद में बनाए जाती हैं। इनकी उत्कृष्ट शिल्प कौशल के लिए मूल्यवान हैं।
कोटा डोरिया साड़ी (राजस्थान): हल्के सूती या रेशम से बनी कोटा डोरिया साड़ियों की विशेषता उनकी स्पष्ट बनावट और विशिष्ट चौकोर आकार के पैटर्न हैं। जिन्हें खाट कहा जाता है।