सार

बाघों का घर के कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में बीते एक दशक में ढाई सौ से ज्यादा बाघों की अलग-अलग कारणों से मौत हुई है। 2012 से 2020 तक 8 सालों में जहां प्रदेश में 202 बाघों की मौत थी। बाकी आंकड़े उसके बाद के हैं। बाघों की मौत के पीछे आपसी संघर्ष, बीमारी और शिकार जैसी वजहें भी शामिल हैं। 
 

पन्ना : मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve) में गुरुवार को एक बाघ मृत पाया गया। जैसे ही यह खबर वन विभाग तक पहुंची हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि पन्ना कटनी मार्ग पर बाघ का शव मिला है। घटना पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला गेट के पास की है। सूचना मिलने के बाद टाइगर रिजर्व के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। मामले की जांच की जा रही है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर बाघ की मौत किन कारणों से हुई है। तस्करी की आशंका भी जताई जा रही है।

13 साल का था P-111 बाघ
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि P-111 नाम के इस बाघ की उम्र करीब 13 साल थी। उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया यही सामने आ रहा है कि उम्र संबंधित किसी समस्या की वजह से ही उसकी मौत हुई है। क्योंकि शव के आसपास भी किसी तरह की अवैध गतिविधियों के संकेत या निशान नहीं मिले हैं। अधिकारियों ने बताया कि टाइगर का शव वन विभाग की गश्त कर रही टीम ने देखा था। यह शव पन्ना-कटनी राज्य राजमार्ग पर देखा गया।

बाघिन टी-1 की संतान
टाइगर रिजर्व के अफसरों ने बताया कि टाइगर P-111 बाघिन टी-1 की संतान थी। इसके मौत के असली कारणों का पता करने के लिए टाइगर के सैंपल को लैब में भेज दिया गया है। वहां से जैसी रिपोर्ट आएगी उसी के हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में शव का निरीक्षण कर उसका दफनाया गया है। बता दें कि अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 के अनुसार, मध्यप्रदेश में देश में सबसे अधिक 526 बाघ थीं। राज्य में कान्हा, बांधवगढ़, सतपुड़ा, पेंच, पन्ना और संजय-दुबरी टाइगर रिजर्व सहित कई बाघ अभयारण्य हैं।

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