सार

मध्य प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस ने 11 मेयर में से 3 महापौर बना लिए हैं। वहीं भाजपा ने 7 सीट जीतीं हैं, हालांकि उसको इस बार 4 सीटों का घाटा हुआ है। वहीं आम आदमी पार्टी ने सिंगरौली में अपना मेयर बना लिया है।
 

छिंदवाड़ा. मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव के पहले फेज के नतीजे रविवार को घोषित हो चुके हैं। 11 नगर निगम में से 7 पर भाजपा ने कब्जा किया किया है। जबकि 3 पर कांग्रेस और एक पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की है। लेकिन सभी में सबसे ज्यादा चर्चा छिंदवाड़ा के मेयर बने कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम आहाके की हो रही है। क्योंकि महापौर बनने वाले वह सबसे युवा और गरीब उम्मीदवार थे। इतना ही नहीं उनपर कर्जा भी है।

कांग्रेस की छिंदवाड़ा शहर में 18 साल बाद जीत हुई
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा में लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस ने एक बड़ी जीत दर्ज की है। विक्रम अहाके के मेयर बनते ही कांग्रेस की छिंदवाड़ा शहर में 18 साल बाद जीत हुई है। विक्रम आहाके ने भाजपा प्रत्याशी अंनत धुर्वे को विक्रम ने 3786 वोटों से हराया है। वहीं विक्रम को टोटल 64363 वोट मिले हैं। वहीं अनंत धुर्वे को 60577 मत हासिल हुए हैं।
छिंदवाड़ा में कुल मतों की संख्या 130907 रही।

मां आंगनवाड़ी में काम और पिता हैं गरीब किसान...बेटा बना मेयर
कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले विक्रम अहाके मेयर का इलेक्शन जीतते ही 31 साल की उम्र में छिंदवाड़ा के प्रथम नागरिक बन गए हैं। वह मूल रुप से  जिले के राजाखोह गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने ग्रेजुएशन किया है और खेती-किसानी उनका मुख्य पेशा है। विक्रम के पिता पिता नरेश आहाके किसान हैं जो अभी भी गांव में खेती करते हैं। वहीं उनकी मां मां निर्मला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं।

विक्रम अहाके सबसे युवा और गरीब मेयर
बता दें कि विक्रम अहाके 11 महापौर में सबसे युवा मेयर हैं, उनकी उम्र महज 31 साल है। इतना ही नहीं वह जीतने वाले 11 मेयर में सबसे गरीब भी हैं। नामांकन भरते वक्त उन्होंने अपनी संपत्ति को जानकारी दी थी, उसके मुताबिक, उनकी संपत्ति कुल 3 लाख है। इसके अलावा उन पर 50 हजार रुपए का कर्जा भी है।

कमलनाथ के करीबी हैं छिंदवाड़ा के मेयर विक्रम अहाके
 मेयर बने विक्रम अहाके मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता कमलनाथ के  करीबी माने जाते हैं। मेयर का चुनाव जीतने से पहले वह अब तक कांग्रेस आदिवासी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष थे। कमलनाथ के गढ़ माने जाने वाले छिंदवाड़ा में उनके कहने पर ही विक्रम को महापौर पद का टिकट दिया गया था।

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