सार
केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) के दौरान बादल फटने (Cloudburst) की घटना में 16 लोगों के शव बरामद किए गए हैं। कई लापता हैं। देश में जलप्रलय की ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिनके निशान आज भी तलाशे जा रहे हैं।
नई दिल्ली. देश में पिछले 10 वर्ष की घटनाओं को देखें तो मौसम में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिले हैं। खतरनाक चक्रवात, बाढ़ की घटनाएं बढ़ी हैं। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर में बादल फटने की घटनाओं में 10 साल हजारों लोग जान गंवा चुके हैं। मौसम में हुए इस खतरनाक बदलाव से न केवल इंसानी जिंदगियां खतरे में हैं बल्कि खेती और उद्योग-धंधे भी तबाह हुए हैं। कई बड़े प्रोजेक्ट भी भीषण लैंड स्लाइट में जमींदोज हो गए, भारी बारिश से तबाह हो गए। आइए जानते हैं कि जलप्रलय की 10 बड़ी घटनाएं जिसमें हजारों लोग मारे गए...
1. उत्तराखंड में मची थी तबाही
2013 में उत्तराखंड में जो भयंकर बारिश हुई, बादल फटे, भूस्खलन हुआ वह प्रकृति ऐसी मार थी, जिसमें 5700 लोगों ने अपनी जानें गवाईं। हालांकि हजारों लोग अभी उस हादसे के बाद से लापता हैं। उनके निशान आज भी तलाशे जा रहे हैं। 2004 की सुनामी के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी घटना थी, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी। इस बड़े हादसे में सबसे ज्यादा प्रभावित हेमकुंड, केदारनाथ, बद्रीनाथ, फूलों की घाटी, रुपकुंड और रूद्र प्रयाग थे, जहां हजारों तीर्थयात्री सैलाब में बह गए। इस घटना में सेना, एनडीआरएफ और एजेंसियों ने करीब 1 लाख लोगों को रेस्क्यू किया था।
2. उत्तराखंड के टिहरी में कई गांव बहे
28 मई 2022 को टिहरी जिले में भारी बारिश और बादल फटने की घटना में हजारों मकान तबाह हो गए, क्षतिग्रस्त हो गए। टिहरी जिले के करीब डेढ़ दर्जन गांवों पर इसका बुरा असर पड़ा और घर के 100 से ज्यादा पशुओं की मौत हो गई। इस घटना में कोई ह्यूमन कैजुअलिटी नहीं हुई लेकिन हजारों लोग प्रभावित हुए। घर-मकान टूटे, काम-धंधा भी चौपट हुआ। चार धाम यात्रा पर निकले यात्रियों को भी मुसीबत का सामना करना पड़ा।
3. बादल फटने से 4 युवक लापता
मई में ही हिमाचल प्रदेश के शिमला में भारी बारिश और बादल फटने से 4 लोग लापता हो गए। इस घटना में भी सड़क पर पार्क कारें नाव की तरह पानी में तैरती नजर आईं। कई लोग घायल भी हुए। बाद में प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर घटना की जानकारी ली।
4. मंडी में बादल फटने की घटना
अगस्त 2015 में हिमाचल प्रदेश के धरमपुर में बादल फटने की कई घटनाएं हुईं जिसमें एक ही परिवार के 3 लोगों सहित 4 लोगों की मौत हो गई। मंडी जिले धरमपुर एरिया में हुई इस घटना में लाखों रुपये का नुकसान हुआ था।
5. 7 दिन में 8 बार फटे बादल
जुलाई 2015 में कश्मीर वैली बादल फटने की घटनाओं से गूंज उठी। तब एक सप्ताह के भीतर कश्मीर वैली में 8 बार बादल फटने की घटनाएं हुईं जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई। कश्मीर घाटी के गांदरबल, कुपवाड़ा और बडगाम जिलों में बादल फटने से इंसानों के साथ सैकड़ों मवेशियों की भी मौत हो गई।
6. उत्तराखंड के टिहरी में बादल फटा
जुलाई 2015 में ही उत्तराखंड के टिहरी में बादल फटा, जिसमें जसपुर गांव के रहने वाले 55 वर्षीय व्यक्ति की डूबने से मौत हो गई। जबकि बादल फटने की इस घटना में 5 लोग बुरी तरह से जख्मी हुए थे। इस वर्ष उत्तराखंड के टिहरी में भारी बारिश से खेती को भी नुकसान पहुंचा और लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हुई।
7. 2014 में जम्मू कश्मीर की बाढ़
2014 में जम्मू कश्मीर में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं के बाद भयंकर बाढ़ आई। तब श्रीनगर की सड़कों पर पानी में शव भी तैरते दिखाई दिए। उस भीषण आपदा के दौरान जम्मू कश्मीर में करीब 400 एमएम बारिश रिकार्ड की गई, जबकि औसतन 100 मिमी बारिश ही होती है। इस बाढ़ में खेती, सड़कें, हाइवे, संचार माध्यम, घर, हास्पिटल्स को भारी क्षति हुई। माना जाता है कि इसमें करीब 5000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ था।
8.2015 में चेन्नई की बाढ़
2015 में चेन्नई में जो बाढ़ आई, उसे उसे दुनिया का सबसे महंगी प्राकृतिक आपदा मानी जाती है क्योंकि एक अनुमान के अनुसार चेन्नई की बाढ़ में करीब 50 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हुई थी। तब चेन्नई में 24 घंटे के भीतर 266 एमएम बारिश हुई और उसके अगले दिन फिर 490 एमएम बारिश रिकार्ड हुई, जिसने चेन्नई को सैलाब में डुबो दिया। तब चेन्नई की 60 प्रतिशत बिजली सप्लाई डिसकनेक्ट हो गई थी।
9.2012 में असम में आया जलप्रलय
असम राज्य इस समय भी भीषण बाढ़ से जूझ रहा है और 7 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। इस वर्ष की बाढ़ की तरह 2012 में भी असम में जलप्रलय से तबाही मची थी। 2012 में राज्य में 528 एमएम बारिश हुई थी, जो कि एक दशक में सबसे ज्यादा थी। इस आपदा में 70 बच्चों सहित कुल 124 लोगों की मौत हो गई थी। ब्रह्मपुत्र नदी के तटबंध टूटने से सड़कें, घर, हाईवे, हास्पिटल, पावर लाइंस सब क्षतिग्रस्त हो गया था।
10.मुंबई 2005 का न भूलने वाला मंजर
मुंबई जैसे शहर में बादल फटने की घटना भले ही रिपोर्ट न होती हो लेकिन जिस तरह की बारिश होती है, वह बादल फटने से कम नही हैं। इस समय भी मुंबई बारिश से त्राहि-त्राहि कर रही है लेकिन 2005 में इससे भी ज्यादा हालात खराब थे। 26 जुलाई 2005 को मुंबई में 944 एमएम बारिश हुई। यह 100 वर्षो का रिकार्ड तोड़ने वाला था। इस आपदा में 100 लोगों की जानें गईं और 14000 से ज्याद मकान तबाह हो गए।
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