सार
अहमदाबाद को सीरियल बम धमाकों से दहलाने वाले और 56 लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार आतंकियों को फांसी के फंदे से बचाने के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद हाईकोर्ट जाएगी।
मुजफ्फरनगर। अहमदाबाद को सीरियल बम धमाकों (Ahmedabad Serial Blast Case) से दहलाने वाले और 56 लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार आतंकियों को फांसी के फंदे से बचाने के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद (Jamiat Ulema e Hind) हाईकोर्ट जाएगी। जमीअत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अहमदाबाद बम धमाकों पर कोर्ट के आदेश पर नाराजगी जताई है।
उन्होंने कहा कि विशेष अदालत का फैसला अविश्वसनीय है। हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। अरशद मदनी ने कहा कि हम कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे और दोषियों को फांसी से बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। हमें उम्मीद है कि हाईकोर्ट से न्याय मिलेगा। अगर जरूरी हुआ तो हम सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे। पहले भी ऐसा कई बार हुआ है जब निचली अदालतों में सजा पाए दोषी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी कर दिए गए।
दरअसल, 2008 में हुए अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट केस में 13 साल बाद शुक्रवार को सजा का ऐलान हो गया। कोर्ट ने IPC 302 और UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत 38 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई, जबकि 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। कुल 7015 पेज का फैसला है। इससे पहले सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एआर पटेल ने 8 फरवरी को फैसला सुनाते हुए 49 आरोपियों को दोषी करार दिया था। अदालत ने 77 में से 28 आरोपियों को बरी कर दिया था।
56 लोगों की हुई थी मौत
बता दें कि 26 जुलाई 2008 की शाम अहमदाबाद में धमाके हुए थे। शाम साढ़े 6 बजे अचानक जोरदार धमाका हुआ था। इसके बाद सिलसिलेवार 21 धमाके हुए। 45 मिनट में सबकुछ तबाह हो गया था। 56 लोग मारे गए थे और 260 घायल हुए थे। इस मामले में कुल 82 आरोपी गिरफ्तार किए गए। केस चलने के दौरान दो की मौत हो गई थी। चार के खिलाफ अभी आरोप दायर करना बाकी है। कुल 76 आरोपियों की सुनवाई हो चुकी है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पिछले साल सितंबर में पूरी कर ली थी। दिसंबर 2009 में शुरू हुए इस मुकदमे में 1100 लोगों की गवाही हुई। सबूत नहीं मिलने की वजह से 28 लोगों को बरी कर दिया गया।
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