सार

दिल्ली में वायु प्रदूषण(Delhi air pollution) की स्थिति में लंबे समय बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ है। सोमवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)381 दर्ज किया गया। अगले 2-3 दिनों तक हवा ऐसे ही खराब बनी रहेगी।  मौसम का बिगड़ा मिजाज भी वायु प्रदूषण की वजह बना हुआ है।

नई दिल्ली. सरकारों की तमाम कोशिशों के बावजूद दिल्ली में वायु प्रदूषण(Delhi air pollution) की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR)सोमवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)381 दर्ज किया गया। अगले 2-3 दिनों तक हवा ऐसे ही खराब बनी रहेगी। मौसम का बिगड़ा मिजाज भी वायु प्रदूषण की वजह बना हुआ है। रविवार को एनसीआर का मानेसर 412 एक्यूआई के साथ देश का सबसे प्रदूषित शहर रिकॉर्ड हुआ। 404 एक्यूआई के साथ दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित व 401 एक्यूआई के साथ हिसार तीसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा है। टेम्परेचर गिरने अगले 2-3 दिनों तक वायु प्रदूषण में कोई सुधार की गुंजाइश नहीं है।

पराली का धुआं न के बराबर प्रदूषण फैला रहा 
पहले पराली जलाने को वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण माना जा रहा था। लेकिन ऐसा नहीं है। सफर संस्था के अनुसार, उत्तर-पश्चिम दिशा से आने वाली सर्द हवाओं से टेम्परेचर गिरा है। इस वजह से भी प्रदूषण बना हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि 5 जनवरी से टेम्परेचर और नीचे आएगा, इससे हवा अधिक खराब होगी। दिल्ली के ये पांच इलाके-ओखला, जहांगीरपुरी, रोहिणी, पटपड़गंज और अलीपुर सबसे अधिक प्रदूषित बने हुए हैं।

क्या है एयर क्वालिटी इंडेक्स
वायु प्रदूषण का मतलब हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य गैसों व धूलकणों के विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक होना है। वायु प्रदूषण के सूचकांक को संख्या में बदलकर एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाया जाता है। इससे पता चलता है कि हवा कितनी शुद्ध या खराब है। एयर क्वालिटी इंडेक्स के छह कैटेगरी हैं।

  • अच्छा (0–50)- इसका मतलब है कि हवा साफ है। इससे सेहत पर खराब असर नहीं पड़ेगा। 
  • संतोषजनक (51–100)- संवेदनशील लोगों को सांस लेने में मामूली दिक्कत हो सकती है।
  • मध्यम प्रदूषित (101–200)- अस्थमा जैसे फेफड़े की बीमारी वाले लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। हृदय रोग वाले लोगों, बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी हो सकती है। 
  • खराब (201–300)- लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। हृदय रोग वाले लोगों को परेशानी हो सकती है।
  • बहुत खराब (301–400)- लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले लोगों में सांस की बीमारी हो सकती है। फेफड़े और हृदय रोग वाले लोगों में प्रभाव अधिक स्पष्ट हो सकता है।
  • गंभीर रूप से खराब  (401-500) - स्वस्थ लोगों में भी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। फेफड़े और हृदय रोग वाले लोगों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हल्की शारीरिक गतिविधि के दौरान भी कठिनाइयों का अनुभव हो सकता है।

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