सार

कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron Variant) ने भारत समेत दुनियाभर में दहशत पैदा की हुई है। इसी बीच एक राहत भरी खबर आई है, दरअसल, वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडी की पहचान की है, जो कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन और अन्य वेरिएंटों को निशाना बनाकर निष्क्रिय कर सकती है.  
 

वॉशिंगटन :  कोरोना वारयस का नया वेरिएंट ओमीक्रोन (Omicron Variant)  भारत समेत दुनिया में तेजी से पैर पसार रहा है। अब तक यह 116 से अधिक देशों में फैल चुका है।  इस बीच वैज्ञानिकों ने ऐसे एंटीबॉडी की पहचान की है, जो ओमिक्रोन और कोरोना के अन्य वेरिएंट को निष्क्रिय करने में सक्षम है। यह अध्ययन विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ है. 

संक्रमण को बार-बार फैलने से रोका जा सकता है
नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से वैक्सीन (Vaccine) और एंटीबॉडी (Antibodies) के इलाज को विकसित करने में सहायता मिल सकती है, जो न केवल ओमिक्रोन बल्कि भविष्य में कोरोना के अन्य वेरिएंट के खिलाफ भी कारगर साबित होंगे। 

ओमिक्रोन के स्पाइक प्रोटीन में  म्यूटेशन की संख्या है 37 
ओमिक्रोन वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 37 म्यूटेशन की संख्या है, जो सबसे ज्यादा है। स्पाइक प्रोटीन, वायरस का वह नुकीला हिस्सा होता है, जिसके माध्यम से वह मानव कोशिकाओं के अंदर प्रवेश करता है और उनसे जुड़कर कोरोना संक्रमण फैलाता है। 

अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन में एसोसिएट प्रोफेसर डेविड वेस्लर में कहना है कि यह रिसर्च हमें बताती है कि स्पाइक प्रोटीन के सबसे सुरक्षित हिस्से को एंटीबॉडी से टारगेट करने से वायरस के बार-बार सामने आने वाले वेरिएंट को दूर किया जा सकता है।

वेसलर ने कहा कि वे इनसे संबंधित सवालों के जवाब तलाश रहे थे कि ये नए स्वरूप प्रतिरक्षा प्रणाली और एंटीबॉडी की प्रतिक्रियाओं से कैसे बचते हैं। इन परिवर्तनों के प्रभाव का आकलन करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने एक अक्षम, प्रतिकृति न बना सकने वाला सूडो वायरस तैयार किया और इसके सहारे यह अध्ययन किया।

टीम ने अलग-अलग वेरिएंट पर एंटीबॉडी के प्रभाव की जांच की। रिसर्चर्स ने पाया कि उन लोगों की एंटीबॉडी, जो पहले के वेरिएंट से संक्रमित थे और जिन्होंने अभी सबसे अधिक उपयोग की जा रही 6 वैक्सीन में से कोई वैक्सीन लगवाई थी, सभी में संक्रमण को रोकने की क्षमता कम हो गई थी।

ओमीक्रोन के खिलाफ बूस्टर डोज जरूरी
वेस्लर ने बताया कि जो व्यक्ति को कोरोना संक्रमित होकर ठीक हो गए थे और फिर टीके की दोनों डोज ले चुके थे, उनकी एंटीबॉडी ने भी एक्टिविटी को कम दिया था, लगभग 5 गुना कम। वहीं किडनी डायलिसिस वाले मरीजों का ग्रुप, जिन्हें मॉडर्न और फाइजर द्वारा बनाई हुई वैक्सीन की खुराक के साथ बूस्टर मिला था, उनमें एंटीबॉडी की एक्टिविटी में केवल 4 गुना कमी दिखी थी। इससे पता चलता है कि वैक्सीन की तीसरी डोज वास्तव में ओमिक्रोन के खिलाफ मददगार है। 
 

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