सार
सरकार दूरगामी प्रभाव वाले इस महत्वपूर्ण कानून को पारित कराने की जल्दबाजी नहीं करना चाहती है। सरकार विपक्ष द्वारा स्थायी समिति से विधेयक की जांच कराने की मांग किए जाने पर इसके लिए तैयार हो सकती है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार महिलाओं की शादी की उम्र (Women Marriage Age) 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने वाला विधेयक इसी सप्ताह सदन में पेश कर सकती है। सरकार इस मुद्दे को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। सूत्रों के अनुसार सरकार विधेयक की जांच के लिए राजी हो सकती है। सरकार संसदीय समिति को विधेयक की जांच करने देने के विचार के खिलाफ नहीं है। संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा।
सूत्रों ने अनुसार सरकार दूरगामी प्रभाव वाले इस महत्वपूर्ण कानून को पारित कराने की जल्दबाजी नहीं करना चाहती है। इस कानून का टिप्पणीकारों, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों के एक वर्ग द्वारा विरोध भी किया जा रहा है। केंद्रीय कैबिनेट ने लड़कियों के विवाह योग्य उम्र बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। सरकार विपक्ष द्वारा स्थायी समिति से विधेयक की जांच कराने की मांग किए जाने पर इसके लिए तैयार हो सकती है। पिछले सप्ताह कैबिनेट ने बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूर दी थी। इससे पहले 1978 में लड़कियों के विवाह की उम्र 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 साल की गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से की थी घोषणा
बता दें कि पिछले साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन के दौरान कहा था कि बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए आवश्यक है कि उनका विवाह उचित समय पर हो। अभी पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 साल है। सरकार महिलाओं की विवाह की न्यूनतम उम्र पुरुषों के बराबर 21 साल करने के लिए बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज ऐक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन लाएगी।
विपक्ष के नेता कर रहे विरोध
विपक्षी पार्टियों के कई नेता महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के खिलाफ बयान दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने कहा है कि ऐसे तो बच्चियां गलत रास्ते पर जा सकती हैं। ऐसे कानून वो लोग ला रहे हैं, जिनके खुद के बच्चे नहीं हैं। जिन लोगों के बच्चे नहीं हैं उन्हें इसके बारे में क्या जानकारी होगी। इसपर ऐसे लोगों की राय जरूरी है जो बच्चों के पिता हैं।
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने कहा है कि हम सदन में इसका विरोध करेंगे। शादी की उम्र 18 की बजाय 17 करनी चाहिए। वहीं, सपा सांसद ST हसन ने कहा है कि फर्टिलिटी एज के बाद शादी का क्या फायदा। लेट शादी से बच्चे पैदा होना भी मुश्किल है। शादी की उम्र सीमा बढ़ाने से लड़कियां आवारगी करेंगी।
एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा है कि सरकार को लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के बदले लड़कों की शादी की उम्र घटानी चाहिए। 18 साल की उम्र में लड़का-लड़की बालिग हो जाते हैं। उन्हें अनुबंध पर हस्ताक्षर करने, व्यवसाय शुरू करने, प्रधानमंत्री, सांसद और विधायक चुनने का अधिकार मिल जाता है। ऐसे में वे 18 साल की उम्र में अपने लिए जीवनसाथी क्यों नहीं चुन सकते?
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