सार

भारतीय जनता पार्टी अपने स्वर्णिम काल में स्थापना दिवस मना रही है। छह अप्रैल 1980 को स्थापित बीजेपी ने 42 सालों का सफर पूरा कर लिया है। इस दौरान उसने तमाम उतार-चढ़ाव देख। 

नई दिल्ली। 1980 में शुरू हुई भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) की विकास यात्रा देखते ही देखते कई पड़ावों व मंजिलों को तय कर चुकी है। कभी दो सांसदों वाली यह पार्टी आज की तारीख दूसरे सहयोगी दलों के लिए दो-चार सांसद व विधायक जितवा रही है। 6 अप्रैल को बीजेपी अपना स्थापना वर्ष (BJP foundation day 2022) मना रही है। 42 साल की हो चुकी यह पार्टी अपनी विकास यात्रा में कई महत्वपूर्ण और यादगार पल देखें। आईए जानते है शिखर तक पहुंच चुकी इस पार्टी के दस ऐसे तथ्य जो इसकी बुलंदियों तक पहुंचने में महत्वपूर्ण साबित हुए।   

  • - छह अप्रैल 1980 को बीजेपी की स्थापना की गई थी। जनता पार्टी से अलग होकर एक ऐसे दल की नींव रखी गई जो भारतीय राजनीति में हिंदूत्व की राजनीति करने वाली पार्टी के रूप में विख्यात हुई। बीजेपी के पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) थे।
  • -श्याम प्रसाद मुखर्जी (Shyama Prasad Mukherjee), दीनदयाल उपाध्याय (Deen Dayal Upadhyay), डॉ.बलराज मधोक (Dr.Balraj Madhok) वाली भारतीय जनसंघ (Jansangh) का ही नया रूप बीजेपी (BJP) को माना जाता है। जनसंघ का जनता पार्टी में विलय होने के कुछ ही सालों बाद वैचारिक मतभेद उभरकर सामने आने लगे। इसके बाद अलग संगठन बनाने का फैसला किया गया और बीजेपी की नींव पड़ी। जनसंघ की स्थापना डॉ.श्याम प्रसाद मुखर्जी ने साल 1951 में की थी। इसका चुनाव चिन्ह दीपक हुआ करता था।
  • -जनता पार्टी में जनसंघ के विलय के बाद भी जनसंघ के सदस्य आरएसएस (RSS) की सदस्यता नहीं छोड़े। जनता पार्टी के कई नेताओं को दो संगठनों की सदस्यता पर आपत्ति होती रहती थी। यही जनसंघ से जनता पार्टी में गए नेताओं के अलग होने की मुख्य वजह बनी। दरअसल, 1925 में डॉ हेडगवार ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS)) की स्थापाना की थी। आरएसएस को बीजेपी का मातृ संगठन माना जाता है। बीजेपी के नेता आरएसएस से अनिवार्य रूप से जुड़े रहते हैं।
  • -भारतीय जनसंघ हो या बीजेपी, यहां जोड़ियां काफी फेमस रही हैं। डॉ.श्याम प्रसाद मुखर्जी व दीनदयाल उपाध्याय की जोड़ी जनसंघ काल में प्रसिद्ध रही तो बीजेपी के उदय के बाद अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की जोड़ी की कोई काट नहीं थी। नई भाजपा में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी सबसे हिट मानी जा रही है। अटल-आडवाणी के युग के बाद मोदी-शाह के नेतृत्व में ही बीजेपी सबसे अधिक ताकतवर हुई।
  • -बीजेपी अपने स्थापना के बाद शुरूआत के पहले दशक में कड़े संघर्ष के दौर से गुजरी। जनसंघ के दीपक चुनाव चिन्ह के बाद भारतीय जनता पार्टी को कमल का फूल आवंटित हुआ। लेकिन कमल के फूल पर बीजेपी को चुनाव मैदान में उतरने का मौका 1984 में मिल सका। हालांकि, अपने पहले चुनाव में बीजेपी को कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके महज दो सांसद ही जीतकर संसद में पहुंचे थे। 
  • -रथयात्रा ने बीजेपी को सत्ता का स्वाद चखाया: बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा भारतीय राजनीति को बदलने में मुख्य भूमिका तो निभाई ही, पार्टी को भी सत्ता प्राप्ति की राह दिखला दी। यह वह दौर था जब वीपी सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल को मंडल की राजनीति से फायदा पहुंच रहा था तो बीजेपी के एक हिंदूवादी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई। आडवाणी के अयोध्या आंदोलन से धार्मिक ध्रुवीकरण को मजबूती मिला। आडवाणी की यात्रा के दौरान सांप्रदायिक दंगे भी हुए लेकिन धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण ने बीजेपी को फायदा पहुंचाया। हालांकि, 1989 में बीजेपी दो से 89 सीटों तक का सफर तय कर चुकी थी। लेकिन तब वह वीपी सिंह के जनता दल के साथ मिलकर चुनाव मैदान में थी। 
  • -आडवाणी की रथयात्रा अपना काम कर चुका था। देश में धार्मिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण शुरू हो चुका था। लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राममंदिर आंदोलन तेज हो चुका था। और फिर आई 6 दिसंबर, 1992 की तारीख। छह दिसंबर को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिरा दिया गया। ढांचा तोड़ने का आरोप बीजेपी के कई बड़े नेताओं पर लगा, इसमें आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती, मुरलीमनोहर जोशी आदि थे। बीजेपी के तीन राज्यो की सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया।
  • -1996 का वह साल भी आया जब दो सांसदों वाली पार्टी लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी थी। राष्ट्रपति ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र की सत्ता का बागडोर बीजेपी के हाथ में आया। लेकिन 13 दिनों में यह सरकार गिर गई। 
  • -दो साल बाद एक बार फिर अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला। 1998 में बनी यह सरकार 13 महीने चली। कई दलों के सहयोग से सरकार का गठन किया गया था लेकिन सफलता नहीं मिली। 
  • -1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक बार फिर लोकसभा का चुनाव भाजपा ने लड़ा। लेकिन बीजेपी इस बार 20 दलों से अधिक के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ी। इस गठबंधन को 294 सीटों पर जीत मिली, जिसमें अकेले बीजेपी के 182 सांसद जीते थे। अटल जी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनें लेकिन इस बार अपना कार्यकाल उन्होंने पूरा किया। 
  • -हालांकि, 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सरकार बनाने वाला जनादेश नहीं मिला। वह विपक्ष में बैठी। यह वह दौर था जब अटल बिहारी वाजपेयी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर राजनीति से सन्यास ले चुके थे। वह आडवाणी के नेतृत्व में चुनाव में जाने का ऐलान कर चुके थे। बीजेपी एक व्यापक उठापटक के दौर से भी गुजर रही थी 
  • - अटल सरकार के कार्यकाल पूरा होने के बाद लालकृष्ण आडवाणी को पीएम के चेहरे के रूप में पेश किया गया लेकिन बीजेपी को 2004 और 2009 में सरकार बनाने लायक जनादेश नहीं मिला। 2014 आते-आते बीजेपी में चेहरा बदलने की मांग जोर पकड़ चुकी थी। 2014 के आम चुनाव के पहले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी संगठन ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। एक नए युग की शुरूआत हो चुकी थी। 
  • -2014 के आम चुनाव हुए, दस साल से सत्ता संभाल रही डॉ.मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को जनता नकार चुकी थी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन को जनता ने प्रचंड बहुमत से जीत दिलाया। बीजेपी 282 सीटों के साथ सरकार बनाई, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनें। 
  • -2019 में बीजेपी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर केंद्र की सरकार में आई। यही नहीं कांग्रेस देश के विभिन्न राज्यों से सिमटती गई और बीजेपी एक-एककर राज्यों की सरकारें भी बनाती गई। आज 42 साल की इस यात्रा में बीजेपी सबसे ताकतवर राजनीतिक दल के रूप में उभर चुकी है।