सार
कांग्रेस के जी-23 के नेताओं ने दिल्ली में गुलाम नबी आजाद के घर बैठक की। इसमें कांग्रेस नेता शशि थरूर, मणिशंकर अय्यर, पीजे कुरियन, परनीत कौर, संदीप दीक्षित, राज बब्बर, कपिल सिब्बल, भूपिंदर सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी समेत कई अन्य नेता शामिल हुए।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हुए विधानसभा के चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस में हलचल तेज है। पिछले दिनों कांग्रेस कार्य समिति की बैठक हुई थी। वहीं, पार्टी के जी-23 के नेता भी सक्रिय हैं। बुधवार शाम कांग्रेस के नेता दिल्ली में गुलाम नबी आजाद के घर बैठक के लिए जुटे।
इस बैठक में कांग्रेस नेता शशि थरूर, मणिशंकर अय्यर, पीजे कुरियन, परनीत कौर, संदीप दीक्षित, राज बब्बर, कपिल सिब्बल, भूपिंदर सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी समेत कई अन्य नेता शामिल हुए। बैठक के बाद कांग्रेस के जी 23 नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा कि भाजपा का विरोध करने के लिए कांग्रेस पार्टी को मजबूत करना जरूरी है। हम कांग्रेस पार्टी से 2024 के लिए एक विश्वसनीय विकल्प का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक मंच बनाने के लिए अन्य समान विचारधारा वाली ताकतों के साथ बातचीत शुरू करने की मांग करते हैं।
दरअसल, कांग्रेस के जी-23 को पार्टी के असंतुष्ट नेताओं का धड़ा माना जाता है। इस ग्रुप के नेता पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की मांग कर रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले बैठक कपिल सिब्बल के घर पर आयोजित की गई थी, लेकिन बाद में जगह बदल दिया गया। कपिल सिब्बल पिछले कुछ वर्षों से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ तीखे हमले कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि अब समय आ गया है कि गांधी परिवार को कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व से अलग होना चाहिए।
गुलाम नबी आजाद गुरुवार को जी-23 के प्रस्तावों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। 10 जनपथ में होने वाली इस बैठक में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद रहेंगे। कांग्रेस नेतृत्व की कार्यशैली को लेकर जी-23 नेताओं के असंतोष के बीच आजाद की गांधी परिवार से मुलाकात काफी अहमियत रखती है। माना जा रहा है कि आजाद जी-23 सदस्यों के अंतिम प्रस्ताव को पार्टी आलाकमान के सामने पेश करेंगे। जी-23 के भविष्य का फैसला आजाद की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद होगा।
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सोनिया गांधी ने की थी इस्तीफा देने की पेशकश
बता दें कि 13 मार्च को कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की अहम मीटिंग हुई थी। एआईसीसी कार्यालय में हुई इस बैठक में 5 राज्यों में चुनावी हार और मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा हुई। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने भाषण में कहा था कि अगर पार्टी को लगता है तो हम तीनों (खुद, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा) इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से इसे खारिज कर दिया था। सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से सोनिया गांधी के नेतृत्व में अपने विश्वास की पुष्टि की और उनसे सामने से नेतृत्व करने का अनुरोध किया था।
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पंजाब खोया, बाकी राज्यों में भी बुरा प्रदर्शन
गौरतलब है कि पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश में काफी निराशाजनक प्रदर्शन किया है, बल्कि उसके हाथ से पंजाब भी छिन गया है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी उसे करारी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में पार्टी की स्थिति खराब होती दिख रही है। इन चुनावों में प्रियंका गांधी के अलावा राहुल गांधी कांग्रेस के स्टार प्रचारक रहे हैं। माना जा रहा था कि प्रियंका के फॉर्मूले यूपी में पार्टी को बढ़त दिलाएंगे, लेकिन वहां भगवा में रंगी जनता को भाई-बहन की जोड़ी रास नहीं आई। यूपी में कांग्रेस महज 2 सीटें जीत पाई।