सार

आईसीजीएस 'विग्रह' विशाखापत्तनम में स्थित होगा और कमांडर, तटरक्षक क्षेत्र (पूर्व) के संचालनतथा प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत के पूर्वी समुद्र तट पर संचालित होगा।

नई दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेन्नई में स्वदेश निर्मित तटरक्षक पोत 'विग्रह' को राष्ट्र के लिए समर्पित किया। इसे 'आत्मनिर्भर भारत' की प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि यह जहाज प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा परिकल्पित आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सफल साझेदारी का एक आदर्श उदाहरण है और भारत की तटीय रक्षा क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार का प्रतिबिंब भी है।

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आईसीजीएस 'विग्रह' विशाखापत्तनम में स्थित होगा और कमांडर, तटरक्षक क्षेत्र (पूर्व) के संचालनतथा प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत के पूर्वी समुद्र तट पर संचालित होगा। आईसीजीएस विग्रह की कमान कमांडेंट पीएन अनूप के पास है और इसमें 11 अधिकारी तथा110 जवान हैं। कुल 98 मीटर लंबाई वाले ओपीवी को मैसर्स लार्सन एंड टुब्रो शिप बिल्डिंग लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है, और यह उन्नत प्रौद्योगिकी रडार, नेविगेशन तथा संचार उपकरण, सेंसर और मशीनरी से सुसज्जित है जो उष्णकटिबंधीय समुद्री परिस्थितियों में काम करने में सक्षम है।

पोत 40/60 बोफोर्स तोप से लैस है और अग्नि नियंत्रण प्रणाली के साथ दो 12.7 मिमी स्थिर रिमोट कंट्रोल गन (एसआरसीजी) से सुसज्जित है। जहाज इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम (आईबीएस), इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (आईपीएमएस), ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम (एपीएमएस) और हाई-पावर एक्सटर्नल फायरफाइटिंग (ईएफएफ) सिस्टम से भी लैस है। जहाज को बोर्डिंग ऑपरेशन, खोज और बचाव, कानून प्रवर्तन और समुद्री गश्त के लिए एक ट्विन इंजन हेलीकॉप्टर और चार हाई स्पीड नौकाएं ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

जहाज समुद्र में तेल रिसाव को रोकने के लिए सीमित प्रदूषण प्रतिक्रिया उपकरण ले जाने में भी सक्षम है। जहाज लगभग 2200 टन वज़न विस्थापित करने में सक्षम है और 9100 किलोवाट के दो डीजल इंजनों द्वारा संचालित किया जाता है ताकि किफायती गति पर 5000 नॉटिकल माइल की एंड्योरेंस के साथ 26 समुद्री मील प्रति घंटे की अधिकतम गति प्राप्त की जा सके। तटरक्षक बल के पूर्वी बेड़े में शामिल होने पर तटरक्षक चार्टर में निहित ईईजेड निगरानी और अन्य कर्तव्यों के लिए बड़े पैमाने पर भारत के सामुद्रिक हितों की रक्षा के लिये जहाज को तैनात किया जाएगा। इस जहाज के बेड़े में शामिल होने पर भारतीय तटरक्षक की सूची में 157 जहाज और 66विमान होंगे।

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इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा- सार्वजनिक-निजी भागीदारी 'आत्मनिर्भर भारत' को प्राप्त करने का मार्ग है, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय रक्षा के इतिहास में पहली बार एक या दो नहीं बल्कि सात जहाजों के अनुबंधों पर एक निजी क्षेत्र की कंपनी के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि 2015 में इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के सात वर्षों के भीतर न केवल लॉन्च बल्कि इन सभी सात जहाजों की कमीशनिंग भी आज पूरी हो गई है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया भर के देश अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत कर रहे हैं और सरकार विभिन्न सुधारों के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रही है कि भारत पीछे न रहे। उन्होंने जोर देकर कहा, "हम एक मजबूत और शक्तिशाली सेना और आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।"  उन्होंने रक्षा क्षेत्र में लाइसेंसिंग की प्रक्रिया को सरल बनाने, एओएन और आरएफपी प्रक्रियाओं को तेज करने, निर्यात पर जोर देने, निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने, रक्षा गलियारों की स्थापना, नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 की घोषणा समेत कुछ सुधारों का उदाहरण दिया।