सार
रविवार को दिल्ली के डिप्टी मनीष सिसोदिया (Deputy Manish Sisodia) ने केंद्र सरकार (Modi Government) पर हमला बोला है। इससे पहले दिल्ली सरकार ने केन्द्र को लेटर लिखकर कोयला और गैस सप्लाई की मांग की थी।
नई दिल्ली। दिल्ली (Delhi) में गहराते बिजली संकट (Power Crisis) पर राजनीति गरम है। रविवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कांफ्रेंस कर केंद्र सरकार पर अनदेखी करने का आरोप लगाया। यहां तक कह दिया कि साफ दिख रहा है कि भाजपा (BJP) आज ऐसी स्थिति में है कि उससे केंद्र सरकार चल नहीं रही है। वो बहाने खोज रहे हैं किल्लत से भागने के। बता दें, दिल्ली में एक भी कोयला आधारित बिजली संयत्र नहीं है। केजरीवाल ने केन्द्र सरकार से दिल्ली को बिजली सप्लाई करने वाली बाहर की कंपनियों को कोयला देने का अनुरोध किया था।
आम आदमी पार्टी के आधिकारिक ट्वीट हैंडल से 13 अक्टूबर 2019 में सिलेसिलेवार 7 ट्वीट किए गए थे। इनमें बताया था कि वायु प्रदूषण के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद, भिवाड़ी, नोएडा, पटना दुनिया के शीर्ष 10 सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले शहरों में हैं। हालांकि, दिल्ली जिसे ‘गैस चैंबर’ के रूप में जाना जाता था, वह प्रदूषण को 25% तक कम करने में कामयाब रही। वो इसलिए, क्योंकि... हमने सस्ती दरों पर 24 घंटे बिजली प्रदान करके डीजल जनरेटर का उपयोग करने पर पूरी तरह रोक लगा दी है। इसके अलावा, दिल्ली में कोयले के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। बताया कि दिल्ली पहला मॉड्यूलर राज्य है जिसमें कोई कोयला आधारित बिजली संयंत्र नहीं है।
डिप्टी सीएम सिसोदिया ने यह कहा था...
- दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया ने कहा कि पावर प्लांट से हमें अभी सूचना मिल रही है कि कहां-कहां कोयले की किल्लत है, कहां प्लांट बंद हो गए। आगे कहा कि मुझे उनकी (केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह) प्रेस कांफ्रेंस देखकर बड़ा दुख हुआ कि उन्होंने कोयले की किसी भी तरह की किल्लत की संभावना को खारिज किया है। उन्होंने इसे अफवाह बताया और यहां तक कह दिया कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को चिट्ठी नहीं लिखनी चाहिए थी।
- सिसोदिया ने कहा- केंद्र सरकार के मंत्री इतनी बड़ी गैर-जिम्मेदाराना बात कह रहे हैं। जिस समय देश के कई मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को आने वाले संकट को लेकर आगाह कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इससे देश को बाहर निकालिए, वैसे में मंत्री कह रहे हैं कि कोई संकट ही नहीं है। और जो लोग कह रहे हैं कि किल्लत है, वो गलत कह रहे हैं। यह देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। इससे यह साफ दिख रहा है कि भाजपा आज ऐसी स्थिति में है कि उससे केंद्र सरकार चल नहीं रही है। वो बहाने खोज रहे हैं किल्लत से भागने के। इनसे देश चल नहीं रहा।
- ये केवल कोयले की किल्लतभर नहीं है। इसका असर बिजली, सप्लाई, इंडस्ट्री, आईटी हर जगह पड़ेगा। केंद्र सरकार देश को गड्ढे में डालना चाहती है। देश को एकदम ठप कर देना चाहती है। पूरे देश से आवाज उठ रही है कि कोयले की किल्लत है, जो अंतत: बिजली की किल्लत में बदल जाएगी। इसका बहुत बड़ा संकट देश को झेलना पड़ेगा। अगर ऐसा हुआ तो देश ठप हो जाएगा। और ऐसे में भी केंद्र सरकार फिर से बेशर्मी से कह रही है कि ऐसी कोई बात नहीं है।
- आज दिल्ली और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने केंद्र को लिखा है। इसके अलावा पंजाब, यूपी और राजस्थान की सरकार भी कह रही है कि किल्लत है। फिर भी केंद्र सरकार कुछ नहीं कर रही है। इसका मतलब है कि उनके पास कोई समाधान नहीं है कोई हल नहीं है। अगर समस्या का उपाय नहीं भी है तो पहले उसे स्वीकार तो कीजिए।
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