सार

एशियानेट डायलॉग की इस कड़ी में हमारे साथ हैं यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम के अधिकारी बिली बैटवारे। बिली बैटवारे (Billy Batware) ने ड्रग्स और क्राइम (Drugs & Crime) को लेकर वर्तमान स्थिति पर जानकारी दी है। साथ ही इससे बचाव के उपाय भी बताए हैं। 
 

Exclusive Interview Billy Batware. दुनिया में हर साल लाखों लोगों की मौत एक ऐसे दुश्मन की वजह से हो जाती है, जिससे ज्यादादर लोग परिचित हैं। यह कोई महामारी या भूखमरी नहीं बल्कि यह नशा है, जो लाखों लोगों की असमय मौत का कारण बन जाता है। एशियानेट डायलॉग में इस बार हमारे साथ यूनाइटेड नेशंस के ड्रग्स एंड क्राइम ऑफिसर बिली बैटवारे हैं। जो दुनियाभर में ड्रग एंड क्राइम की स्थिति के बारे में बता रहे हैं। उनसे बात की है एशियानेट की चीफ ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट विनीता वीपी ने। आइए जानते हैं बिली ने और क्या-क्या कहा...

हर वर्ष होती है लाखों लोगों की मौत
बिली बैटवारे ने कहा कि ड्रग्स की समस्या हर जगह है, यह सरकार के लिए चुनौती है और समाज के लिए भी चैलेंज है। हमारी यंग जेनरेशन के लिए भी यह बड़ी चुनौती है। यूनाइटेड नेशंस ऑफिस की ओर से हम दुनिया भर के देशों की मदद कर रहे हैं। भारत भी उनमें से एक देश है। ड्रग्स पूरे वर्ल्ड के लिए बिना किसी कारण सबसे बडा चैलेंज है। कोई भी अकेले इस समस्या से छुटकारा नहीं पा सकता है। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। सरकार और सोसायटी को एक साथ आना होगा। हम मिलकर प्रयास कर रहे हैं और कुछ सफलता भी मिली है लेकिन अभी बहुत काम करना बाकी है।

क्यों ड्रग्स एंड क्राइम की तरफ युवा आकर्षित होते हैं
बिली ने कहा कि जहां तक मैं समझता हूं, इसके कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि ज्यादातर देशों में ड्रग लेने की बात को ठीक से अड्रेस नहीं किया जाता है। कई समस्याए हैं, जैसे बेरोजगारी, गरीबी और समाज में जागरुकता का अभाव। यह सभी कारण इंटरकनेक्टेड हैं, जो ड्रग एब्यूज को बढ़ावा देते हैं। हमें पहले इस जीचों से लड़ना है तभी नशे के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी जा सकती है। 

भारत में ड्रग्स से जुड़े कानूनों को कैसे लागू करें
भारत में कई तरह के कानून हैं जो नशे को रोकने के लिए बनाए गए हैं। इस पर बिली ने कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की बात करें तो इस तरह के ऑर्गनाइज क्राइम के खिलाफ जो कानूनी प्रक्रिया है, वह बहुत धीमी और कमजोर है। यही कारण है कि दुनिया भर में ऐसे संगठन खड़े हो गए हैं जो युवाओं को ड्रग्स की लत में धकेल रहे हैं। कई सारे ऑर्गनाइज क्रिमिनल ग्रुप्स हैं, जिनके खिलाफ सरकार और सोसायटी कड़े कदम नहीं उठा पाती हैं। जिसकी वजह से कई तरह के अपराध भी होते हैं। यह सभी चीजें जुड़ी हुई हैं, इसलिए हमें क्रिमिनल ग्रुप्स के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

क्या इसे लीगल बना देने से डिमांड कम होगी
बिली ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है। जी हां बिल्कुल कई देश ऐसा कर रहे हैं। वे अपने देश की ड्रग पॉलिसी को बेहतर बना रहे हैं और इसे कम करने के लिए अलग-अलग एप्रोच लगाते हैं। हमने ज्यादातर सदस्य देशों से इस विषय पर गंभीर चर्चा की है। कई देशों की नीतियां सफल होती हैं तो हम उन्हें दूसरे देशों में भी अपनाने की सलाह देते हैं। यह बहुत लंबा प्रोसेस है और सभी देश मिलकर एक-दूसरे की मदद से ड्रग्स एंड क्राइम के खिलाफ बेहतर पॉलिसी बना सकते हैं। 

बच्चों में किस तरह की अवेयरनेस पैदा की जाए
इस सवाल के जवाब में बिली ने कहा कि यह अच्छा सवाल है कि हम कैसे इससे बचाव करें। मेरा मानना है कि आज के युवाओं को टीनएजर्स नहीं बल्कि स्क्रीनएजर्स कहना चाहिए क्योंकि उनके पास इंफारमेंशन के कई सोर्स हैं। बच्चे सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा वक्त बिताते हैं तो हमें सोशल मीडिया के पॉजिटीव यूज के बारे में भी सोचना चाहिए। हमें युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी देनी चाहिए। सभी के इंस्टाग्राम अकाउंट हैं और जिन्हें लाखों युवा फॉलो करते हैं तो हम उसके माध्यम से भी उन्हें जागरूक बना सकते हैं। हमें सोसायटी में व्याप्त गरीबी, बेरोजगारी की समस्या को भी दूर करना होगा। युवाओं को ज्यादा से ज्यादा काम मिलना चाहिए। बच्चे और बच्चिययों को हर हाल में स्कूल भेजा जाना चाहिए। इसके लिए सरकार और सोसायटी दोनों को मिलकर काम करना होगा।

क्या बड़े मंच पर यह समस्या चर्चा में आनी चाहिए
बिली से जब यह पूछा गया कि क्या यह सही समय है कि दुनिया के बड़े मंच पर ड्रग्स एंड क्राइम की भी चर्चा होनी चाहिए। इस पर बिली ने कहा कि बिल्कुल होनी चाहिए बल्कि हम तो यह चर्चा करने में लेट भी हो चुके हैं। हमें अलग-अलग कम्युनिटी के बीच यह चर्चा जरूर करनी चाहिए। मैं तो कहूंगा कि इसके लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से भी यंग लोंगों के बीच चर्चा की जानी चाहिए। सरकार का अपना रोल है, सोसायटी का अपना रोल है, समाज के लोगों का अलग रोल है और सभी को मिलकर यंग जनरेशन में अवेयरनेस बढ़ाना चाहिए। यूएन की तरफ से हम यह कर रहे हैं जिसका पॉजिटिव रिस्पांस भी मिल रहा है।

डार्क वेब जैसी क्रिमिनल एक्टिविटी पर क्या कहेंगे
बिली ने कहा कि बहुत सारे अपराध इसी तरह से छिपकर हो रहे हैं, जिसे मॉनिटर कर पाना बेहद मुश्किल है। यह एक तरह से नो मैंस लैंड की तरह हो गया है जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा क्राइम नेट के माध्यम से हो रहे हैं। इसके लिए हमें इंटरनेट यूज को रेगुलराइज्ड करने की जरूरत है। हमें यह तय करना होगा कि यंग पीपल ड्रग्स एंड क्राइम की तरफ आकर्षित न होने पाएं। डार्क नेट बहुत ही खतरनाक प्लेस बन चुका है और इससे बचाव ही एकमात्र उपाय है। हमें हर हाल में प्रीवेंसन को बढ़ावा देना होगा। 

एक्टर्स और इंफ्लुएंशर्स का कितना अहम रोल है
सोशल मीडिया हो या हमारी फिल्मों के एक्टर हों, वे विज्ञापन आदि के माध्यम से कहीं युवाओं को भ्रमित तो नहीं कर रहे हैं। इस सवाल के जवाब में बिली ने कहा कि यह कहना ठीक है कि ऐसा ही हो रहा है। मेरा हमेशा से मानना रहा कि सेलिब्रिटीज को पॉजिटिव बदलाव की आवाज बननी चाहिए क्योंकि उन्हें लाखों-करोड़ों युवा उन्हें फॉलो करते हैं। वे ड्रग्स एंड क्राइम के निगेटिव पहलू को सामने रखेंगे तो बड़ा बदलाव होगा। तमाम युवा जिन्हें रोल मॉडल मानते हैं, उनके द्वारा पॉजिटीव मैसेज आना चाहिए।

केरल के लिए क्या सलाह है
केरल में भी ऐसी स्थिति है तो आप यहां की सरकार या हमें क्या सलाह दे सकते हैं। इस सवाल के जवाब में बिली ने कहा कि हम दूसरी बार केरल आए हैं और मैं कह सकता हूं यहां के परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं। हमने कई स्कूलों का दौरा किया है, जहां लोग सीखने के लिए लालायित रहते हैं। केरल का मॉडल देश के अन्य राज्यों और दुनिया के कई देशों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। इसे ज्यादा से ज्यादा फंडिंग की जरूरत है ताकि यह आगे बढ़ता रहे। मैं केरल मॉडल को बेहतर मानता हूं।

बच्चों में जागरुकता के लिए क्या करें
ड्रग्स एंड क्राइम के खिलाफ बच्चों में जागरुकता बढ़ाने के सवाल पर बिली ने कहा कि हमें यह सब्जेक्ट कैरिकुलम में लाना होगा। साथ ही अन्य गतिविधियां भी बढ़ानी होंगी। हम उन सभी सरकारों का स्वागत करते हैं जो इसके लिए यूनाइटेड नेशंस के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। 

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