सार
जी20 के देशों ने दिल्ली घोषणापत्र (Delhi G20 Declaration) को अपनाया है। इसमें यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की निंदा से परहेज किया गया है। 37 पेज के दस्तावेज में इस्तेमाल की गई भाषा एक साल पहले बाली घोषणा में इस्तेमाल की गई भाषा से बिल्कुल अलग है।
नई दिल्ली। भारत की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit 2023) में घोषणापत्र अपनाया गया है। इसके लिए सभी देशों ने सहमति दी थी। रूस-यूक्रेन जंग के चलते पिछले साल बाली में जी20 के सदस्य देश घोषणा पर सहमत नहीं हुए थे। शनिवार को जी20 देशों के समूह ने जिस दिल्ली घोषणापत्र को अपनाया उसमें यूक्रेन युद्ध पर रूस की निंदा से परहेज किया गया है। 37 पेज के दस्तावेज में इस्तेमाल की गई भाषा एक साल पहले बाली घोषणा में इस्तेमाल की गई भाषा से बिल्कुल अलग है।
रूस-यूक्रेन जंग को लेकर दुनिया बंटी हुई है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस के खिलाफ हैं तो चीन जैसे देश रूस के साथ हैं। भारत ने इस मुद्दे पर किसी गुट का हिस्सा नहीं है। यूक्रेन जंग के चलते जी20 के पहले के बैठकों में घोषणापत्र पर सहमति नहीं बनी थी। इसके चलते शिखर सम्मेलन को लेकर भी काफी संदेह था कि विश्व नेता समझौते पर पहुंच पाएंगे या नहीं। भारत के नेतृत्व का प्रमाण है कि जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन नई दिल्ली घोषणा को सर्वसम्मति के साथ अपनाया गया।
घोषणा में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर है नरम भाषा
जी20 विश्व नेताओं द्वारा समर्थित घोषणा में रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए इस्तेमाल की गई भाषा में नरमी बरती गई है। जी20 बाली घोषणा में ऐसा नहीं था। उसमें जंग शुरू करने के लिए रूस की कड़ी निंदा की गई थी। इसके चलते रूस और चीन ने आपत्ति जताई थी। नई दिल्ली घोषणा में यूक्रेन में न्यायोचित और टिकाऊ शांति का आह्वान किया गया है।
जी20 दिल्ली घोषणा
जी20 के वार्ताकारों यूक्रेन मुद्दे पर किसी समझौते पर पहुंचने के लिए अथक प्रयास किए। पश्चिमी देश चाहते थे कि यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सर्वसम्मति से निंदा की जाए। उन्होंने भारत से रूसी आक्रामकता की निंदा करने और यूक्रेन में युद्ध पर सख्त रुख अपनाने का भी आग्रह किया। भारत ने इस संबंध में रूस और चीन से बात की। भारत की कूटनीति का असर है कि सभी देश इस मुद्दे पर सहमत हुए। नई दिल्ली घोषणा में परमाणु हथियारों को लेकर सख्त बात की गई है। इसमें कहा गया है कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल और इसके इस्तेमाल की धमकी देना अस्वीकार्य है।
यूक्रेन युद्ध को लेकर दिल्ली घोषणापत्र में कहा गया, "संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप, सभी देशों को किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ क्षेत्रीय अधिग्रहण की धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिए।"
घोषणापत्र में वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला, मैक्रो-वित्तीय स्थिरता, मुद्रास्फीति और विकास के संबंध में यूक्रेन युद्ध के प्रभाव का जिक्र किया गया है। इन मुद्दों ने विकासशील और अल्प विकसित देशों को बहुत अधिक प्रभावित किया है।
भारत की अध्यक्षता में अपनाई गई घोषणा में सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान किया गया है। इसने यूक्रेन में व्यापक, न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति का समर्थन किया गया है। कहा गया है कि कूटनीति और बातचीत के माध्यम से संघर्ष का समाधान किया जाना चाहिए। दिल्ली घोषणापत्र में कहा गया है, "आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए"।
G20 बाली घोषणा
पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में G20 का शिखर सम्मेलन हुआ था। यह सम्मेलन यूक्रेन युद्ध शुरू होने से आठ महीने बाद हुआ था। इसके घोषणा में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की कड़े शब्दों में निंदा की गई थी। कहा गया था कि रूस बिना शर्त यूक्रेन से अपनी सेना को वापस बुलाए। बाली घोषणा में कहा गया था कि कई सदस्य देश इस बात पर सहमत हुए कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी धीमी हो गई है। यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध से दुनिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। घोषणा में रूस की कड़ी निंदा की गई थी और युद्ध खत्म करने का आह्वान किया गया था।
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बाली घोषणा के बाद क्या बदल गया है?
बाली घोषणा और दिल्ली घोषणा को देखें तो साफ पता चलता है कि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन युद्ध को लेकर अपने रुख में नरमी लाई है। इस संबंध में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एक साल पहले स्थिति अलग थी। नई दिल्ली घोषणा आज की स्थिति और चिंताओं का जवाब देती है। जयशंकर ने कहा, "बाली घोषणा के साथ तुलना के संबंध में मैं केवल यही कहूंगा कि बाली बाली था और नई दिल्ली नई दिल्ली है। मेरा मतलब है, बाली एक साल पहले थी। स्थिति अलग थी। तब से कई चीजें हुई हैं। घोषणा के भू-राजनीतिक खंड में आठ पैराग्राफ हैं। इनमें से सात यूक्रेन मुद्दे पर केंद्रित हैं।”
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