सार

नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर पूर्व के अधिकतर राज्यों में लोग हिंसा पर उतर आए हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने भी इस कानून को भेदभावपूर्ण बताया है। 

नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर पूर्व के अधिकतर राज्यों में लोग हिंसा पर उतर आए हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने भी इस कानून को भेदभावपूर्ण बताया है। संयुक्त राष्ट्र की टिप्पणी के बाद सरकार पर कानून वापस लेने का दबाव बन रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार निकाय के प्रवक्ता जेरेमी लॉरेंस ने जिनेवा में कहा, ‘‘ हम भारत के नए नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 को लेकर चिंतित हैं जिसकी प्रकृति ही मूल रूप से भेदभावपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ संशोधित कानून भारत के संविधान में निहित कानून के समक्ष समानता की प्रतिबद्धता को और अंतराष्ट्रीय नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार नियम तथा नस्लीय भेदभाव उन्मूलन संधि में भारत के दायित्वों को कमतर करता दिखता है जिनमें भारत एक पक्ष है जो नस्ल, जाति या धार्मिक आधार पर भेदभाव करने की मनाही करता है।’’लॉरेंस ने कहा कि भारत में नागरिकता प्रदान करने के व्यापक कानून अभी भी हैं, लेकिन ये संशोधन नागरिकता हासिल करने के लिए लोगों पर भेदभावपूर्ण असर डालेगा। उन्होंने कहा कि प्रवास की स्थिति को देखे बिना, सभी प्रवासी सम्मान, संरक्षण और अपने मानवाधिकारों की पूर्ति के हकदार हैं।

लॉरेंस ने कहा कि मात्र 12 महीने पहले ही भारत ने ‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट फॉर सेफ, रेगुलर एंड ऑरडरली माइग्रेशन’ का समर्थन किया था। इसके तहत राज्य बचनबद्ध है कि वह सुरक्षा की स्थिति में प्रवासियों की जरूरतों पर प्रतिक्रिया देगा, मनमानी हिरासत और सामूहिक रूप से देश निकाले से बचेगा और सुनिश्चित करेगा कि प्रवासियों से संबंधित व्यवस्था मानवाधिकार आधारित हो। प्रवक्ता ने उत्पीड़ित समूहों का संरक्षण देने के लक्ष्य का स्वागत करते हुए कहा कि यह मजबूत राष्ट्रीय शरण प्रणाली के जरिए होना चाहिए था जो समानता और भेदभाव नहीं करने पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह उन सभी लोगों पर लागू होना चाहिए जिन्हें वास्तव में उत्पीड़न और अन्य मानवाधिकारों के हनन से संरक्षण की जरूरत है और इसमें नस्ल, जाति, धर्म, राष्ट्रीयता और अन्य का भेद नहीं होना चाहिए।

लॉरेंस ने कहा, ‘‘ हम समझते हैं कि भारत का उच्चतम न्यायालय नए कानून की समीक्षा करेगा और उम्मीद करते हैं कि भारत कानून की अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के साथ अनुकूलता पर सावधानीपूर्वक विचार करेगा।’’

असम में रद्द हुई उड़ानें 
असम में जारी प्रदर्शनों के चलते यहां कई उड़ाने रद्द करनी पड़ी हैं। बस और ट्रेन के जरिए परिवहन में भी परेशानी आ रही है। हवाईअड्डे, रेलवे स्टेशन और अंतरराज्यीय बस अड्डों पर फंसे यात्रियों की मदद के लिए प्रयास किए जा रहे हैं । इस अधिनियम के विरोध में यहां हिंसक प्रदर्शन होने के बाद शहर में अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है जिससे इन स्थानों पर सैकड़ों यात्री फंस गए हैं।

कामरूप (मेट्रो) जिले के प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि हवाईअड्डे, रेलवे स्टेशन और अंतरराज्यीय बस अड्डों पर फंसे यात्रियों को निकालने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में परिवहन के लिए बसों का इंतजाम किया जा रहा है । उन्होंने बताया कि फंसे हुए लोगों को जिला प्रशासन खाद्य पदार्थ, पीने का पानी तथा चिकित्सा सुविधा मुहैया करा रहा है । उत्तर बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी और असम के बोंगईगांव में फंसे रेल यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए भी प्रबंध किए जा रहे हैं।

आपातकाल में इन नंबरों पर कर सकते हैं कॉल
अधिकारियों ने बताया कि इस बीच, कर्फ्यू के दौरान आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए शुक्रवार को गुवाहाटी में प्रतिबंधों में ढील दी गई। आवश्यक वस्तुओं में खाद्य सामग्री, सब्जियां, मांस, मछली आदि शामिल हैं जिन्हें थोक विक्रेता से खुदरा विक्रेता तक पहुंचाने के लिए परिवहन की अनुमति दी गयी । गुवाहाटी में बुधवार को कर्फ्यू लगाया गया था और प्रदर्शनों के हिंसक होने के बाद इसे अनिश्चितकाल तक के लिए बढ़ा दिया गया था । प्रशासन ने एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है, जहां आपात सेवा के लिए टेलीफोन और मोबाइल नंबर क्रमश: 0361-2733052 तथा 8255095829 पर संपर्क किया जा सकता है । इसके अलावा उपायुक्त कार्यालय में एक टोल फ्री नंबर 1077 भी है ।