सार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 30 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 'उज्ज्वल भारत उज्ज्वल भविष्य-पावर @ 2047' के समापन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान रिकंस्ट्रक्टेड डिस्ट्रीब्यूशन एरिया प्लान का शुभारंभ किया। एनटीपीसी के कई ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स का भी शिलान्यास तथा लोकार्पण किया।

नई दिल्ली. बिजली की फील्ड में केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक पहल की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) 30 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 'उज्ज्वल भारत उज्ज्वल भविष्य-पावर @ 2047' के समापन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने रिकंस्ट्रक्टेड डिस्ट्रीब्यूशन एरिया प्लान(reconstructed distribution area plan) का शुभारंभ किया। मोदी ने एनटीपीसी के कई ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स(green energy projects) भी शिलान्यास तथा लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री ने नेशनल सोलर रूफटॉप पोर्टल की भी लॉन्चिंग की।'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत 25 से 30 जुलाई तक 'उज्ज्वल भारत उज्जवल भविष्य- पावर @2047' का आयोजन किया जा रहा है। देश भर में आयोजित, इस कार्यक्रम में पिछले आठ वर्षों के दौरान बिजली क्षेत्र में हुए परिवर्तनों को प्रदर्शित किया गया है। इसका उद्देश्य सरकार की बिजली संबंधी विभिन्न पहलों, योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में नागरिकों की जागरूकता और भागीदारी में सुधार करके उन्हें सशक्त बनाना है।

70 साल बाद भी देश के 18 हजार गांवों तक बिजली नहीं पहुंची थी
मोदी ने कहा- आज के समय में बिजली के बिना जीवन की कोई कल्पना ही नहीं कर सकता।मेरे लिए बहुत संतोष का विषय है कि बीते वर्षों में हमने ऊर्जा के क्षेत्र में पिछली बहुत सी कमियों को दूर कर पॉवर सेक्टर को मजबूती दी है। आपको याद होगी कि आजादी के 70 साल बाद भी देश के 18 हजार गांवों तक बिजली नहीं पहुंच सकी थी। आज के नए भारत में गांवों गांवों में लोग बिजली का बिजली का उत्पादन कर सकें, इस दिशा में काम हो रहा है। 

25 वर्षों के  विजन पर काम 
आज का ये कार्यक्रम 21वीं सदी के नए भारत के नए लक्ष्यों और नई सफलताओं का प्रतीक है। आजादी के इस अमृत काल में भारत ने अगले 25 वर्षों के  विजन पर काम करना शुरू कर दिया है। अगले 25 वर्षों में भारत की प्रगति को गति देने में एनर्जी और पॉवर सेक्टर की बहुत बड़ी भूमिका है। एनर्जी सेक्टर की मजबूती Ease of doing business के लिए भी जरूरी है और Ease of living के लिए भी उतनी ही अहम है। आज हजारों करोड़ रुपयों के जिन projects की launching और लोकार्पण हुआ है, वो भारत की energy security और green future की दिशा में एक अहम कदम है। 

हाइड्रोजन गैस से गाड़ियां
हाइड्रोजन गैस से देश की गाड़ियों से लेकर देश की रसोई तक चलें, इसको लेकर बीते वर्षों में बहुत चर्चा हुई है। आज इसके लिए भारत ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। लद्दाख और गुजरात में ग्रीन हाइड्रोजन के दो बड़े projects पर आज से काम शुरु हो रहा है। लद्दाख में लग रहा प्लांट देश में गाड़ियों के लिए ग्रीन हाईड्रोजन का उत्पादन करेगा। ये देश का पहला project होगा जो ग्रीन हाइड्रोजन आधारित ट्रांसपोर्ट के कमर्शियल इस्तेमाल को संभव बनाएगा। देश में पहली बार गुजरात मे पाइप नेचुरल गैस में ग्रीन हाइड्रोजन की ब्लेंडिंग का भी प्रोजेक्ट शुरू हुआ है। अभी तक हमनें पेट्रोल और हवाई ईंधन में इथेनॉल की ब्लेंडिंग की है, अब हम पाइप नेचुरल गैस में ग्रीन हाइड्रोजन ब्लेंड करने की तरफ बढ़ रहे हैं।

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बिजली की फील्ड में होगा बेहतर सुधार
केंद्र सरकार ने बिजली क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की है। इन सुधारों से इस क्षेत्र में बदलाव आया है। सभी के लिए किफायती बिजली उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करते हुए ये सुधार किए गए हैं। लगभग 18,000 गांवों का विद्युतीकरण किया गया है। ये वो गांव थे जहां बिजली की सुविधा नहीं थी।

पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना(reconstructed distribution area plan) का मकसद डिस्कॉम कंपनियों और बिजली विभागों की परिचालन क्षमता तथा वित्तीय स्थिति में सुधार करना है। वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ इस योजना का उद्देश्य बिजली वितरण के बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए डिस्कॉम कंपनियों को फाइनेंसियल मदद देना है। इसका उद्देश्य परिचालन क्षमता में सुधार करके 2024-25 तक एटी एंड सी (कुल तकनीकी और वाणिज्यिक) नुकसान को 12-15% के अखिल भारतीय स्तर और एसीएस-एआरआर (आपूर्ति की औसत लागत - औसत राजस्व प्राप्ति) के अंतर को शून्य तक कम करना भी है। इसके लिये सभी सार्वजनिक क्षेत्र की डिस्कॉम कंपनियों और बिजली विभागों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

5200 करोड़ रुपए से अधिक के ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स
5200 करोड़ रुपए से अधिक की एनटीपीसी की विभिन्न हरित ऊर्जा परियोजनाओं में तेलंगाना के 100 मेगावाट रामागुंडम फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट और केरल के 92 मेगावाट कायमकुलम फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट शामिल है।राजस्थान में 735 मेगावाट की नोख सौर परियोजना, लेह में ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी परियोजना और गुजरात में कावास प्राकृतिक गैस के साथ ग्रीन हाइड्रोजन सम्मिश्रण परियोजना भी इसमें सम्मिलित है।

रामागुंडम परियोजना भारत की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर पीवी परियोजना है, जिसमें 4.5 लाख 'मेड इन इंडिया' सोलर पीवी मॉड्यूल हैं। कायमकुलम परियोजना दूसरी सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर पीवी परियोजना है, जिसमें पानी पर तैरते 3 लाख 'मेड इन इंडिया' सोलर पीवी पैनल शामिल हैं।

राजस्थान के जैसलमेर के नोख में 735 मेगावाट की सौर पीवी परियोजना घरेलू सामग्री की आवश्यकता पर आधारित भारत की सबसे बड़ी सौर परियोजना है, जिसमें एक ही स्थान पर 1000 मेगावाट पैनल हैं, जिनमें ट्रैकर सिस्टम के साथ उच्च-वाट क्षमता से युक्त दो तरफ वाले पीवी मॉड्यूल लगे हैं। लेह, लद्दाख में ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट एक पायलट परियोजना है, जिसका उद्देश्य लेह और उसके आसपास पांच फ्यूल सेल बसों का परिचालन करना है। इस पायलट परियोजना के तहत भारत में सार्वजनिक उपयोग के लिए फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहनों की पहली तैनाती की जाएगी। एनटीपीसी कवास टाउनशिप स्थित ग्रीन हाइड्रोजन सम्मिश्रण की पायलट परियोजना; प्राकृतिक गैस के उपयोग को कम करने में मदद करने वाली भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन सम्मिश्रण परियोजना होगी।

सोलर रूफटॉप पोर्टल 
राष्ट्रीय सोलर रूफटॉप पोर्टल  जो रूफटॉप सोलर प्लांट की स्थापना की प्रक्रिया की ऑनलाइन ट्रैकिंग को मजबूत करेगा। इसमें आवेदन दर्ज करने से लेकर आवासीय उपभोक्ताओं के बैंक खातों में संयंत्र की स्थापना और निरीक्षण के बाद सब्सिडी जारी करना तक शामिल हैं।(सोर्स-PIB)

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