सार

चंद्रयान-3 की लांचिंग की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच कर दिया जाएगा।

 

Chandrayaand-3. 14 जुलाई 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2.35 बजे लांच कर दिया जाएगा। मगर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इसके लिए इसरो ने फेल हो चुके डिजाइन को चुना है। यह काफी चौंकाने वाला है। हम आपको बताते हैं कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने ऐसा क्यों किया है।

चंद्रयान-3 को सफलता जरूर मिलेगी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष ने कहा कि हम सफल लैंडिंग सुनिश्चित करेंगे। हमने बहुत सारी विफलताएं देखीं हैं। जिसमें सेंसर विफलता, इंजन विफलता, एल्गोरिदम विफलता, गणना विफलता शामिल है। इसलिए यही विफल डिजाइन सटीक गति और निश्चित टाइम पर लैंड करे। कहा कि अंदर अलग-अलग विफलता परिदृश्यों की गणना को प्रोग्राम किया गया है।

विक्रम लैंडर के साथ क्या हुआ था

इसरो प्रमुख ने कहा कि हमने इस बारे में जानकारी जुटाई है कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के साथ क्या गलत हुआ। जब वह चंद्रमा की सतह पर चिह्नित 500 x 500 मीटर लैंडिंग की तरफ तेजी से बढ़ रहा था, तब इसकी गति को कम करने के लिए डिजाइन किए गए इंजन की अपेक्षा उसे और तेज करने के लिए विकसित किया गया था। इसरो प्रमुख ने इंडिया स्पेस कांग्रेस के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि हमारे पास पांच इंजन थे जिनका उपयोग वेग को कम करने के लिए किया जाता था। जिसे मंदता कहा जाता है। यह इंजन बहुत तेज चला जिसकी वजह से सफल लैंडिंग नहीं हो पाई।

कैसे फेल हो गई थी विक्रम लैंडर की लैंडिंग

इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि जब इतना अधिक जोर पैदा हुआ तो कुछ त्रुटियां भी सामने आ गईं। उन्होंने बताया कि सभी त्रुटियां जमा हो गईं, जो हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक थी। तब यान को बहुत तेजी से मुड़ना पड़ा। जब यह बहुत तेजी से मुड़ने लगा तो इसकी मुड़ने की क्षमता सॉफ्टवेयर द्वारा सीमित कर दी गई। क्योंकि हमने कभी ऐसी उम्मीद नहीं की थी। उन्होंने कहा कि विफलता का तीसरा कारण अंतरिक्ष यान को उतारने के लिए पहचानी गई 500 मीटर x 500 मीटर की छोटी साइट भी थी।

चंद्रयान-3 को क्या-क्या विफल कर सकता है

इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि इस बार हमने जो किया वह बस इसे और आगे ले जाने वाला है। हमने यह देखा कि ऐसी कौन सी चीजें हैं जो गलत हो सकती हैं। इसलिए चंद्रयान-2 की सफलता आधारित डिजाइन के बजाय हम चंद्रयान-3 में विफलता आधारित डिजाइन कर रहे हैं। जिसमें यह तय किया गया है कि क्या-क्या विफल हो सकता है और इसे कैसे बचाया जाए। हमने यह दृष्टिकोण अपनाया है।

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