सार
भारतीय कानून देवी-देवताओं को जूरिस्टिक पर्सन (लीगल पर्सन) मानता है। भगवान को भी आम लोगों की तरह सभी कानूनी अधिकार होते हैं। सभी देवी देवता संपत्ति खरीद, बेंच और ट्रांसफर कर सकते हैं। देवी देवताओं के पास केस लड़ने का अधिकार भी होता है।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को एतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित भूमि का मालिक रामलला को बताया। कोर्ट के इस फैसले के साथ सदियों पुराने विवाद का निपटारा हो गया। सुप्रीम कोर्ट के पांच जज की बेंच ने सर्वसम्मति के साथ फैसला सुनाया। कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन का असली मालिक रामलला को माना है। अपना निर्णय सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया कि तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाया जाए जो कि मंदिर का निर्माण कराएगा। कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का निर्णय दिया है।
क्या भगवान बन सकते हैं किसी जमीन के मालिक ?
रामलला को जमीन का मालिकाना हक मिलने के बाद लोग यह सवाल कर रहे हैं कि क्या कानून किसी भगवान को जमीन का मालिकाना हक रखने का अधिकार देता है। इस मामले पर भारतीय कानून देवी-देवताओं को जूरिस्टिक पर्सन (लीगल पर्सन) मानता है। भगवान को भी आम लोगों की तरह सभी कानूनी अधिकार होते हैं। सभी देवी देवता संपत्ति खरीद, बेंच और ट्रांसफर कर सकते हैं। देवी देवताओं के पास केस लड़ने का अधिकार भी होता है।
कोर्ट में केस भी कर सकते हैं भगवान
भारतीय कानून में देवी देवताओं को केस करने का अधिकार भी है साथ ही देवी देवताओं के खिलाफ भी केस किया जा सकता है। भगवान एक कंपनी की तरह लीगल पर्सन होते हैं और अपने डायरेक्टर या ट्रस्टी के जरिए काम कर सकते हैं। भारत के सभी देवी देवता अपने प्रतिनिधियों के जरिए ही अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हैं। अक्षय कुमार और परेश रावल की फिल्म ओह माइ गॉड में परेश रावल को भगवान के खिलाफ केस करते दिखाया गया था। हिंदू देवी देवताओं के पास संपत्ति का अधिकार तो होता है, पर उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमें नहीं दायर किए जा सकते।
लंबी बहस के बाद विवादित भूमि के पक्षकार बने थे रामलला
राम जन्मभूमि विवाद में भी कोर्ट में लंबी बहस के बाद रामलला को पक्षकार बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट में देवी देवताओं के केस करने और संपत्ति हासिल करने के अधिकार पर लंबी बहस हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने रामलला को लीगल पर्सन माना था। हिंदू देवी देवताओं के पास संपत्ति रखने और केस करने का अधिकार तो है पर इन्हें मौलिक अधिकार नहीं दिए गए हैं। भारतीय कानून में इंसानों को नैचुरल पर्सन माना गया है। नैचुरल पर्सन को भारतीय कानून मौलिक अधिकार और कानूनी अधिकार दोनों देता है, पर जूरिस्टिक पर्सन को सिर्फ कानूनी अधिकार ही दिए जाते हैं।
ब्रिटिश काल में देवी देवताओं को मिला था यह अधिकार
भारत में साल 1888 में पहली बार देवी देवताओं को जूरिस्टिक पर्सन माना गया था। इसी समय देवी देवताओं को स्कूल, कॉलेज और ट्रस्ट चलाने का भी कानूनी अधिकार मिला था। अयोध्या जन्मभूमि मामले से पहले भी भारतीय कोर्ट कई बार देवी देवताओं को जूरिस्टिक पर्सन मान चुका है।