सार

दंगे में अल्पसंख्यक समुदाय के 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। आयोग को 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंगों की जांच के लिए नियुक्त किया था। 

अहमदाबाद. गुजरात में साल 2002 में हुए दंगे को लेकर गठित जस्टिस जीटी नानावती आयोग की रिपोर्ट को आज विधासनभा के सामने रखा गया। जिसमें गृह मंत्री प्रदीप सिंह ने कहा कि आयोग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिया है। साथ ही आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तत्कालीन मंत्री हरेन पंड्या, भरत बारोट और अशोक भट्ट की किसी भी तरह की भूमिका साफ नहीं होती है। रिपोर्ट में अरबी श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट की भूमिका पर सवाल खड़े किए गये हैं। आइए जांच आयोग द्वारा कही गईं कुछ जरूरी बातें जानते हैं........

जांच आयोग की रिपोर्ट की जरूरी बातें-

1. 2002 में हुए दंगे पूर्व नियोजित या राजनीति से प्रेरित नहीं थे।

2. इन दंगों में तत्कालीन मोदी सरकार में मंत्री रहे अशोक भट्‌ट, भरत बारोट और हरेन पंड्या की कोई भूमिका नहीं थी।
3. दंगों में तीन अधिकारियों आरबी श्रीकुमार, संजीव भट्‌ट और राहुल शर्मा की नकारात्मक भूमिका के सबूत मिले हैं।

4. यह आरोप लगा था कि गोधराकांड के बाद मोदी सबूत नष्ट करने के इरादे से साबरमती एक्सप्रेस का यार्ड में रखा गया जला हुआ कोच देखने गए थे।

5. आयोग ने कहा है कि मोदी का यह आधिकारिक दौरा था और उनका मकसद सबूत नष्ट करना नहीं था।
6. आयोग की पहली रिपोर्ट 2009 में गुजरात विधानसभा में पेश किया गया।

दंगों में मरे थे हजारों लोग- 

दंगे में अल्पसंख्यक समुदाय के 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। आयोग को 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंगों की जांच के लिए नियुक्त किया था।