सार

नौकरी डाट काम के फाउंडर संजीव भिखचंदानी (Sanjeev Bikhchandani ) ने एक विशेष इंटरव्यू में कहा कि देश में स्टार्टअप्स की वजह से भविष्य में ढेर सारी नौकरियां आएंगी।

बेगलुरू. एशियानेट संवाद सिरीज के तहत हम उन पर्सनैलिटी से बात करेंगे, जो देश के भीतर और देश के बाहर कई क्षेत्रों में हो रही गतिविधियों की जानकारी देंगे। इस वक्त हमारे साथ हैं नौकरी डाट काम के फाउंडर संजीव भिखचंदानी (Sanjeev Bikhchandani )  संजीव भिखचंदानी ने अपना सफर 1990 से शुरू किया और आज वे नौकरी डाट काम, 99 एकड़, जीवनसाथी डाट काम और शिक्षा डाट काम जैसे डिजिटल प्लेटफार्म को सफलतापूर्वक संभाल रहे हैं। एशियानेट न्यूज के रेजीडेंट एडीटर प्रशांत रघुवामसम और बिजनेस एडीटर अभिलाष जी नायर ने संजीव भिखचंदानी के साथ कई मुद्दों पर बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...

प्रश्न 1. सबसे पहले हम सवाल करना चाहेंगे केंद्र सरकार की अग्नीवीर योजना के बारे में, जिसके समर्थन में आपने कई ट्वीट किए हैं। यह जाब सीकर्स के लिए कैसे पाजिटिव माइंडसेट तय कर सकता है। जरा बताएं।

उत्तर. देखिए मैं इसका एक्सपर्ट नहीं हूं कि कह सकूं कि स्कीम सही है नहीं। यह आर्मी को तय करना है कि उनकी रिक्यावरमेंट क्या है और कैसे भर्तियां करनी है। लेकिन जहां तक इसके समर्थन की बात है तो मैंने इसके सपोर्ट 8-10 ट्वीट किए हैं। जहां तक मैं समझता हूं कि जो 75 फीसदी लोग आर्मी में लांग टर्म जाब नहीं करेंगे, उनके लिए सिर्फ स्टेट पुलिस, बीएसएफ, सीआईएसफ आदि में ही मौके नहीं होंगे बल्कि प्राइवेट सेक्टर में भी उनके लिए तमाम मौके होंगे। कारण यह है कि इनकी उम्र भी कम होगी और ये प्रशिक्षित होंगे। टीम वर्क में काम करने की एथिक्स होगी तो इन्हें कई क्षेत्रों में आसानी से जाब मिल जाएगी। हम टेक्नीकल फील्ड को अलग भी कर दें तो सेल्स, लाजिस्टिक्स, आपरेशंस, कस्टमर सर्विस सभी जगह उनके लिए ओपेन रहेंगे। 

प्रश्न 2. स्कीम घोषित होने के बाद कई कंपनियों ने अग्निवीरों को भर्ती प्रक्रिया में वरीयता देने की बात कही है। महिंद्रा ग्रुप ने पहले ही इसका ऐलान किया है। कई और कंपनियां अग्निवीरों को प्रीफरेंस देने की बात कह रही हैं। आपका क्या मत है।

उत्तर. देखिये कंपनियां हर हाल में फ्रेश ग्रेजुएट्स और यंग पीपुल्स को हायर करती हैं। अब उनके पास यह विकल्प होगा कि ये अग्निवीर ग्रेजुएट होंगे और आर्मी का अनुभव होगा। तो कंपनियों को ऐसे यंग लोग मिलेंगे जो पढ़े-लिखे होंगे और अनुशासित भी होंगे। 

प्रश्न 3. तो वे कौन से फील्ड होंगे, जहां उन्हें प्रीफरेंस दी जाएगी। 

उत्तर. कई इंडस्ट्रिजव हैं, कई डिपार्टमेंट्स हैं, जहां उन्हें वरीयता दी जा सकती है। जैसे, मार्केटिंग, सेल्स, आपरेशंस, बैक आफिस, कस्टमर सर्विस इन सभी फील्ड्स में उन्हें प्रीफरेंस दिया जाएगा। 

प्रश्न 4. मि. बिकचंदानी मैं कोच्चि से अभिलाष जी नायर यह पूछना चाहता हूं कि वे ज्यादातर अंडर ग्रेजुएट होंगे और उनकी कंप्यूटर ट्रेनिंग पर भी सवाल है।

उत्तर. जहां तक मुझे पता है कंप्यूटर और अन्य स्किल्स के लिए इनका इग्नू से टाइअप है। देश के ज्यादातर कालेज इस डिग्री को मान्यता देते हैं। यह सही है कि हम आईआईटी और आईआईएम से इसकी तुलना नहीं कर सकते लेकिन देश के ज्यादातर कालेज इसे मान्यता देते हैं। 

सवाल 5. केंद्र सरकार ने 10 लाख जाब देने का वादा किया है। आपको क्या लगता है कि यह कैसे बेनिफिट देने वाला साबित होगा। 

उत्तर. सच कहूं तो मैं केंद्र सरकार की ज्यादा योजनाओं के बारे में नहीं जानता कि वे 10 लाख जाब दे रहे हैं। लेकिन हम अपने बिजनेस में यह देख रहे हैं क्वालिफाइड लोगों की मैसिव डिमांड है। दो-तीन तिमाही से हम देख रहे हैं इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। एक आर्गनाइज कारपोरेट सेक्टर की बात करें तो इकोनामी बेहतर नहीं है फिर भी हम आगे देखते हैं। हम कई सेक्टर्स के टच में भी हैं।

प्रश्न 6. तो आप इशारा कर रहे हैं कि प्राइवेट सेक्टर भी गर्वमेंट सेक्टर के साथ ही बूम करेगा क्योंकि वहां 10 लाख नौकरियां आ रही हैं। 

उत्तर. हम गवर्मेंट सेक्टर के बारे में कुछ भी नहीं कह सकते क्योंकि टिपिकली हम उनके साथ काम नहीं करते। लेकिन हम अपना काम कर रहे हैं और उसी के अनुसार कह रहे हैं कि प्राइवेट सेक्टर में अब सब कुछ बढ़िया हो रहा है। निजी सेक्टर बूम कर रहे हैं।  

प्रश्न 7. केंद्र सरकार ने कई बैंकों का मर्जर किया है। यह कैसे सरकार या लोगों के लिए लाभकारी होगा। आपका क्या मत है।

उत्तर. बैंकों के मर्जर के बारे में मैं फिर कहूंगा कि हम ज्यादा कुछ नहीं कह सकते। इस पर सरकार ही जानकारी दे सकती है। हां इंप्लायमेंट के नजिरिए से देखेंगे तो इसका बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है और पहले की तरह ही इंप्लायमेंट बिजनेस चल रहा है। 

प्रश्न 8. कहा जा सकता है कि पब्लिक सेक्टर में जाब्स पर इसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं होगा।

उत्तर. हम इसको यह मानते हैं कि यह हायरिंग के लिए प्रोग्राम एक्पेंशन की तरह है। हम इसे इसी तरह से देखते हैं।

प्रश्न 9. सरकार द्वारा संचालित स्किल इंडिया प्रोग्राम कितनी प्रभावी है। क्या ऐसा है कि लोग स्किल ट्रेनिंग लेकर आ रहे हैं और उन्हें प्राइवेट सेक्टर में जाब मिल रही है।

उत्तर. देखिए स्किल इंडिया प्रोग्राम ठीक है लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी सुधार करने की गुंजाइश है। उदाहरण के लिए आप झारखंड के किसी टाउन में प्रशिक्षित कर रहे हें और चाहते हैं कि उसे मुंबई में जाब मिल जाए तो यह संभव नहीं है। स्किल की परिभाषा यह है कि प्रैक्टिस के माध्यम से स्किल का लगातार ट्रायल होना चाहिए। यह अक्सर जाब करने के दौरान ही संभव हो पाता है। इसे आप अप्रेंटिसशिप भी कह सकते हैं। जैसे किसी को सुबह ट्रेनिंग दी जाए फिर वह 6 घंटे उसी स्किल पर काम करे। ऐसा कम से कम 11-12 महीने होगा, तब वह युवा किसी खास स्किल में ट्रेंड माना जाएगा और उसे जाब मिल जाएगी। 

प्रश्न 10. अक्सक ऐसा देखा जाता है कि आवेदक सबसे पहले सरकारी नौकरी को वरीयता देते हैं। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है।

उत्तर. देखिये यह हमारे देश की परंपरा है कि सबसे पहले लोग सरकारी नौकरी के बारे में सोचते हैं। इसका कारण यह है कि वहां जाब की सिक्योरिटी होती है, प्राइवेट सेक्टर से बेहतर आमदनी होती है। साथ ही यह प्रेस्टीज से भी जुड़ा होता है, इसलिए पहले लोग सरकारी नौकरी के बारे में ही सोचते हैं। यह सामान्य मानवीय स्वभाव है। 

प्रश्न 11. वे कौन-कौन से सेक्टर हैं, जो महामारी के बाद फिर से सुधार कर रहे हैं। 

उत्तर. आईटी सेक्टर इसमें लीड कर रहा है। आईटी प्रोफेशनल्स की मांग नान आईटी इंडस्ट्रीज में भी बढ़ी है। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रकर सहित कई सेक्टर हैं, तेजी से सुधार कर रहे हैं।

प्रश्न 12. आत्मनिर्भर भारत की राह में ब्रेन ड्रेन बड़ी रुकावट है। प्रतिभा पलायन का हाल यह है कि 17.5 मिलियन से ज्यादा प्रतिभाशाली लोग विदेशों में रहते हैं। आप इसको कैसे देखते हैं। 

उत्तर. जहां तक मैं समझता हूं ब्रेन ड्रेन पर ज्यादा बात करने की जरुरत नहीं है। हां 70-80 के दशक में यह एक समस्या थी। बाद में बहुत से लोग वापस आए और उन्होंने देश की बेहतरी के लिए काम किया। हमने ओपने डोर पालिसी रखी है। जो जाना चाहते हैं जाएं, जो आना चाहते हैं वे आएं, जो लोग जाएंगे वे भी किसी न किसी रुप में देश का सहयोग ही करेंगे। हां इतना जरूर करना चाहिए कि भारत में ही बेहतर मौके उपलब्ध कराए जाएं। जो भी यहां रहना चाहते हैं, उनके लिए अच्छे मौके उपलब्ध हों। 

प्रश्न 13. कोविड के बाद देश में जाब मार्केट में क्या बदलाव हुए हैं। आप इसे कैसे देखते हैं।

उत्तर. सरकार ने स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम शुरू करके अच्छी पहल की है। आप देखते सकते हैं कोविड पीरियड में भी कई स्टार्टअप शुरू हुए। स्टार्टअप कंपनियों के आने से कई सर्विस शुरू हुई और जाब के मौके भी बढ़े हैं। स्टार्टअप इंडिया सिर्फ इंवेस्टमेंट प्रोग्राम ही नहीं है बल्कि यह जाब के मौके बढ़ाने का भी प्रोग्राम है। 

प्रश्न 14. हम इकोनामी पर बात करते हैं। इकोनामी को पटरी पर लाने के लिए क्या उपाय होना चाहिए। आपकी क्या राय है।

उत्तर. हमारी इकोनामी में कुछ चीजें हैं जो हताश करने वाली हैं। यह पूरी तरह से जियो पालिटिक्स से जुड़ी हैं। चाहे वह कच्चे तेल की कीमतें हों, यूक्रेन-रूस का युद्ध हो, चीन के साथ तनाव हो, बाटल नेक पर गतिरोध की वजह से सप्लाई चेन पर असर पड़ने की बात हो, यह सभी हमारी इकोनामी को प्रभावित करने वाली हैं।

प्रश्न 15. आपने आईटी सेक्टर के बारे में बताया। आप बता सकते हैं कि आईटी सेक्टर में किस तरह से तेजी आ रही है और यह भारत में इंप्लायमेंट बढ़ाने में कितना मददगार होगा। 

उत्तर. हमारे पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है जो यह बता दे कि इतने साल में इतनी नौकरियां दी जाएंगी। लेकिन यह कह सकता हूं कि आईटी सेक्टर तेजी से ग्रोथ कर रहा है। जहां तक सेक्टर में जाब की बात है तो कह सकता हूं कि जो भी लोग तकनीकी रुप से सक्षम हैं, उन्हें आईटी में नौकरियां मिल रही हैं। 

प्रश्न 16. आईटी सेक्टर के रिफार्म को कोई विशेष कारण है।

उत्तर. वर्ल्ड वाइड डिटिटल की वजह से आईटी सेक्टर में डिमांड बढ़ी है। दुनिया भर में डिजिटल स्पेस तेजी से बढ़ा है जिसकी वजह से आईटी सेक्टर में तेजी आई है।

प्रश्न 17. भारत में आईटी की ग्रोथ का क्या कारण है।

उत्तर. हम दुनिया के सबसे बड़े आईटी सप्लायर हैं। यही कारण है कि देश के आईटी सेक्टर में तेज बढ़ोतरी हो रही है। यहां आईटी प्रोफेशनल्स का बेहतर काम भी डिमांड की वजह है। 

प्रश्न 18. देश की इकोनामी में किस तरह का सुधार देखते हैं और यह जाब मार्केट को कैसे प्रभावित करने वाला होगा।

उत्तर. देश की इकोनामी को हम तिमाही दर तिमाही के आधार पर देखते हैं और उसी आधार पर आकलन कर रहे हैं कि जैसे-जैसे डिमांड बढ़ेगी इकोनामी मजबूत होगी। 

प्रश्न 19. देश में इंप्लायमेंट रेट की बात करें तो अलग-अलग फीगर दिखते हैं। आपका आकलन क्या कहता है।

उत्तर. देश में इंप्लायमेंट रेट पर अलग-अलग फीगर हैं लेकिन हम इसे ऐसे देखते हैं कि यदि आपके पास तकनीक है, जाब करना चाहते हैं, चुनौतियों पसंद है तो मार्केट में जाब मिल जाएगा। हमारी समस्या यह है कि हमारे पास तकनीक तो होती है लेकिन हम चुनौती स्वीकार नहीं करते। 

प्रश्न 20. वर्तमान के जाब मार्केट में जाब पाने के लिए एस्पायरेंट्स को अपने कैरिकुलम किसी तरह के बदलाव करने की जरूरत है। 

उत्तर.देखिए कैरिकुलम में बदलाव मार्केट की डिमांड के अनुसार तय किया जाता है। ज्यादातर प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस, स्टेट गर्वमेंट, सेंट्रल गवर्मेंट आर्गनाइजेश में भी लगातार कैरिकुलम में बदलाव होता रहता है। अभी पिछले सप्ताह की ही बात है कि नीति आयोग ने एक मीटिंग की, जिसमें तय किया गया कि मार्केट में डिमांड के अनुसार जरूरी बदलाव किए जाएं। 

प्रश्न 21. केरल की बात करें तो यहां ग्रेजुएशन के बाद ही ज्यादातर युवा गल्फ कंट्रीय या यूरोपियन कंट्री में नौकरी की तलाश करने लगते हैं। केरल में यही हालात हैं। आप क्या कहना चाहेंगे। 

उत्तर. यह तो अच्छी बात है कि लोग जाब सर्च कर रहे हैं औ जाब पा रहे हैं। यही कारण है कि खाड़ी देशों में ही 9 से 10 मिलियन लोग जाब करते हैं, जिनमें से केरल के लोगों की संख्या ज्यादा है। आप यह भी देखें कि वे हर साल करोड़ो रूपया कमाकर भारत भेज रहे हैं। हमें इसे गलत नहीं समझना चाहिए। हां यह जरूर है कि हमें भारत में ही बेहतर जाब मुहैया कराना चाहिए ताकि जो लोग रुकना चाहते हैं, उनके लिए जाब उपलब्ध हो। 

प्रश्न 22. इंफोसिस जैसी कुछ कंपनियां हैं जो स्टार्टअप में इंवेस्ट कर रही हैं। भारत में आप स्टार्टअप में निवेश का भविष्य कैसा है।

उत्तर. यह सही है कि भारत में स्टार्टअप का भविष्य बेहतर है। यही कारण है कि इंफोसिस हो, विप्रो हो या कोई और मल्टीनेशनल कंपनी हो, वे स्टार्टअप में निवेश कर रहे हैं। आगे भी इसमें बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। 

प्रश्न 23.  भारत में ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज का भविष्य क्या है। ट्रेडिशनल यानी टेक्सटाइल जैसी इंडस्ट्रीज को किस तरह से देखते हैं। 

उत्तर. ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज भी बेहतर काम कर रही हैं क्योंकि इसमें भी नई तकनीकी, नये प्रयोग हो रहे हैं। जिसकी वजह से यह इंडस्ट्रीज भी अच्छा कर रही हैं।

प्रश्न 24. आप कई डिजिटल कंपनियों के फाउंडर हैं। भारत में डिजिटल कंपनियों का क्या भविष्य देखते हैं। खासकर कोविड के बाद आप इस सेक्टर में क्या बदलाव देख रहे हैं।

उत्तर. मुझे लगता है कि डिजिटल का शानदार भविष्य है। नई टेक्नोलाजी है, बड़ा मार्केट है, बड़ी डिमांड है इसलिए इसका भविष्य बहुत ही ब्राइट है। 

प्रश्न 25. स्विग्गी, जौमैटो, उबर कंपनियों की बात करें तो यहां उनके इंप्लाई, यूएस से कम सैलरी पर काम करते हैं। इसे आप कैसे देखते हैं।

उत्तर. इसके लिए सिर्फ इतना कहा जा सकता है यह मांग और पूर्ति के सिद्धांत पर आधारित है। कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में अपने प्राफिट को देखते हुए ही यह सब तय करती हैं। 

प्रश्न 26. आज की पीढ़ी तकनीकी और टैलेंट के गैप को कैसे पूरा कर सकती है। यह भी बताएं कि किस तकनीक से इंडिया और भारत के बीच की खाई को भरा जा सकता है। 

उत्तर. देखिए टेक्निक का इस्तेमाल किसी भी क्षेत्र में किया जा सकता है। किसी भी एरिया में तकनीकी का बेहतर इस्तेमाल हो सकता है। देश में कई तरह के स्टार्टअप शुरू हुए हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में नये आइडिया के साथ काम कर रहे हैं। कुछ स्टार्टअप हैं जो एप के माध्यम से दूर गांव में बैठे किसानों के खेती के टिप्स दे रहे हैं। कई स्टार्टअप हैं जो डेयरी इंडस्ट्री की जानकारी दे रहे हैं। वे रूरल इंडिया में भी अच्छा कर रहे हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि तकनीकी से यह संभव है। 

प्रश्न 27. इस तकनीक को ग्रामीण भारत तक कैसे पहुंचाया जा सकता है।

उत्तर. मैं फिर से स्टार्टअप्स की बात कहूंगा। ग्रामोफोन इंदौर में स्थित है और वह मध्य प्रदेश के ग्रामीणों को सलाह दे रही है। इसी तरह कोटा में भी एक स्टार्टअप है जो दूर-दराज के लोगों की मदद करता है। ऐसे कई उदाहरण हैं।

प्रश्न 28.  अगर हम भारत की बात करें तो आप अगले 5-10 साल में देश की इकोनामी को कहां देखते हैं। 

उत्तर. अगर हम शार्ट टर्म की बात करें तो उथल-पुथल है लेकिन 5-10 वर्षों के लांग टर्म की बात करें तो भारत की इकोनामी का भविष्य सुनहरा है।

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