सार
दिल्ली हाईकोर्ट में रविवार को निर्भया केस में फांसी टालने के फैसले के खिलाफ गृह मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाल ही में हुए हैदराबाद में एनकाउंटर का जिक्र किया।
नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट में रविवार को निर्भया केस में फांसी टालने के फैसले के खिलाफ गृह मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाल ही में हुए हैदराबाद में एनकाउंटर का जिक्र किया। मेहता ने कहा, गुनहगार कानून के साथ खिलवाड़ कर देश के सब्र की परीक्षा ले रहे है। इसी वजह से तेलंगाना एनकाउंटर के बाद लोगों ने जश्न मनाया था।
मेहता ने कहा, जब एनकाउंटर हुआ पता नहीं, सही था या गलत। ये जांच का विषय है। लेकिन लोगों ने एनकाउंटर को सेलिब्रेट किया। ऐसे ही मामलों की वजह से ये हो रहा है। इस मामले में सात साल हो गए हैं। लेकिन निर्भया के दोषी कानून से खेल रहे हैं। समाज के हित में इन्हें तत्काल फांसी हो।
आखिर दिन दायर की गई दया याचिका
तुषार मेहता ने जज को फांसी टालने के आर्डर की कॉपी दिखाते हुए कहा, 1 फरवरी को फांसी दी जानी थी और एक दोषी 31 तारीख को दया याचिका लगाता है ताकि 1 फरवरी को फांसी न दी जा सके। उसका इंटेंशन साफ दिखता है। कोर्ट 2 सप्ताह का समय देता है। आखिरी दिन दया याचिका दायर की जाती है।
चारों को एकसाथ फांसी देने का कोई नियम नहीं
तुषार मेहता ने कहा, चारों दोषियों को एक साथ फांसी दी जाए, ऐसा कोई नियम नहीं है। इसलिए जिसके विकल्प खत्म होते जाएं, उन्हें फांसी दी जाए।