सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Shri Narendra Modi) ने आज मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में 96वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। प्रधानमंत्री नए खेल परिसर उद्घाटन किया और पुर्नोत्थान हैप्पी वैली कॉम्प्लेक्स(Happy Valley Complex ) राष्ट्र को समर्पित किया।

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Shri Narendra Modi) ने आज मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में 96वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। प्रधानमंत्री नए खेल परिसर उद्घाटन किया और पुर्नोत्थान हैप्पी वैली कॉम्प्लेक्स(Happy Valley Complex ) राष्ट्र को समर्पित किया। सबसे पहले मोदी ने होली की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा-आज होली का त्योहार है, इस अवसर पर मैं समस्त देशवासियों को, आपको, आपके परिवारों को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।  

75 वर्षो में प्रगति पर बोले मोदी
बीते 75 वर्षों में हमने जिस गति से प्रगति की है, अब उससे कई गुना तेजी से आगे बढ़ने का समय है। आने वाले वर्षों में आप कहीं किसी जिले को संभाल रहे होंगे, किसी विभाग को संभाल रहे होंगे, कहीं इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत बड़ा प्रोजेक्ट आपकी निगरानी में चल रहा होगा। 21वीं सदी के जिस मुकाम पर आज भारत है, पूरी दुनिया की नजरें हम पर टिकी हुई हैं। कोरोना ने जो परिस्थितियां पैदा की हैं, उसमें एक नया वर्ल्ड ऑर्डर उभर रहा है। इस नए वर्ल्ड ऑर्डर में भारत को अपनी भूमिका बढ़ानी है और तेज गति से अपना विकास भी करना है।

हममें से बहुत से लोग उस समय में नहीं होंगे
मोदी ने कहा- हम में से बहुत से लोग उस समय नहीं होंगे जब भारत अपनी आजादी के 100वें वर्ष में प्रवेश करेगा। लेकिन आपका ये बैच, उस समय भी रहेगा, आप भी रहेंगे। आजादी के इस अमृतकाल में, अगले 25 साल में देश जितना विकास करेगा, उसमें बहुत बड़ी भूमिका आपकी होगी। बीते वर्षों में मैंने अनेकों Batches के Civil Servants से बात की है, मुलाकात की है, उनके साथ लंबा समय गुजारा है। लेकिन आपका Batch बहुत स्पेशल है। आप भारत की आजादी के 75वें वर्ष में अपना काम शुरू कर रहे हैं।

21वीं सदी का लक्ष्य
जब हम Sense of Duty और Sense of Purpose के साथ काम करते हैं, तो हमें कोई काम बोझ नहीं लगता। आप भी यहां एक sense of purpose के साथ आए हैं। आप समाज के लिए, देश के लिए, एक सकारात्मक परिवर्तन का हिस्सा बनने आए हैं। ट्रेनिंग के दौरान आपको सरदार पटेल जी के विजन, उनके विचारों से अवगत कराया गया है। सेवा भाव और कर्तव्य भाव का महत्व, आपकी ट्रेनिंग का अभिन्न हिस्सा रहा है। आप जितने वर्ष भी इस सेवा में रहेंगे, आपकी व्यक्तिगत और प्रोफेशनल सफलता का पैमाना यही फैक्टर रहना चाहिए। इन सभी कार्यों में आपको एक चीज का हमेशा ध्यान रखना है और वो है 21वीं सदी के भारत का सबसे बड़ा लक्ष्य। ये लक्ष्य है- आत्मनिर्भर भारत का, आधुनिक भारत का। इस समय को हमें खोना नहीं है।

फाइलों के आंकड़े जीवन हैं 
मेरी ये बात आप जीवन भर याद रखिएगा कि फाइलों में जो आंकड़े होते हैं, वो सिर्फ नंबर्स नहीं होते। हर एक आंकड़ा, हर एक नंबर, एक जीवन होता है। आपको नंबर के लिए नहीं, हर एक जीवन के लिए काम करना है। आपको फाइलों और फील्ड का फर्क समझते हुए ही काम करना होगा। फाइलों में आपको असली फील नहीं मिलेगी। फील के लिए आपको फील्ड से जुड़े रहना होगा।

नियमों की तह तक जाएं
आप इस बात की तह तक जाइएगा कि जब वो नियम बनाया गया था, तो उसके पीछे की वजह क्या थी। जब आप अध्ययन करेंगे, किसी समस्या के Root Cause तक जाएंगे, तो फिर आप उसका Permanent Solution भी दे पाएंगे। आप ये प्रार्थना जरूर करिएगा कि भविष्य में आपको कोई आसान काम ना मिले। Challenging Job का आनंद ही कुछ और होता है। आप जितना Comfort Zone में जाने की सोचेंगे, उतना ही अपनी प्रगति और देश की प्रगति को रोकेंगे। आजादी के इस अमृतकाल में हमें Reform, Perform, Transform को next level पर ले जाना है। इसलिए ही आज का भारत सबका प्रयास की भावना से आगे बढ़ रहा है। आपको भी अपने प्रयासों के बीच ये समझना होगा कि सबका प्रयास, सबकी भागीदारी की ताकत क्या होती है।

यह भी पढ़ें-corona virus:बीते दिन मिले 2500 नए केस, वैक्सीनेशन का आंकड़ा 180.80 करोड़ के पार, जानिए पूरा अपडेट

https://t.co/dnmItPTDTC

क्या है कॉमन फाउंडेशन कोर्स
96वां फाउंडेशन कोर्स LBSNAA में पहला कॉमन फाउंडेशन कोर्स है, जो मिशन कर्मयोगी के सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें नए अध्यापन और पाठ्यक्रम डिजाइन शामिल हैं। बैच में 16 सेवाओं के और 3 रॉयल भूटान सेवाएं (प्रशासनिक, पुलिस और वन) के 488 OTs शामिल हैं।

युवा बैच की साहसिक और अभिनव भावना का दोहन करने के लिए, मिशन कर्मयोगी के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित नई शिक्षाशास्त्र को डिजाइन किया गया था। "सबका प्रयास" की भावना में पद्म पुरस्कार विजेताओं के साथ बातचीत और ग्रामीण भारत के एक व्यापक अनुभव के लिए गांव की यात्रा जैसी पहल के माध्यम से अधिकारी प्रशिक्षु को एक छात्र / नागरिक से एक लोक सेवक में बदलने पर जोर दिया गया था। 

यह भी पढ़ें-17वें मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में एंट्री की तारीख बढ़ी,10 लाख तक की प्राइज जीत सकते हैं फिल्ममेकर्स

यह भी जानें
अधिकारी प्रशिक्षुओं ने इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए दूरस्थ/सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों का भी दौरा किया। पाठ्यचर्या के लिए मॉड्यूलर दृष्टिकोण को निरंतर श्रेणीबद्ध सीखने और स्व-निर्देशित सीखने के सिद्धांत के अनुरूप अपनाया गया था। स्वास्थ्य परीक्षणों के अलावा, एक 'परीक्षा बोझिल छात्र' के 'स्वस्थ युवा सिविल सेवक' के संक्रमण का समर्थन करने के लिए फिटनेस परीक्षण भी किए गए। सभी 488 अधिकारी को यहां ट्रेनिंग दी गई है।

यह भी पढ़ें-बदल रहा पूर्वोत्तर: उग्रवाद की घटनाओं में कमी, डेवलपमेंट के लिए बजट में 110% की बढ़ोत्तरी, ऐसे आया ये चेंज