सार
द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया। बता दें कि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। 25 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगी।
President Election 2022: द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया। बता दें कि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। 25 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगी। कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव और किस तरह तय होती है सांसद और विधायकों की वोट वैल्यू, जानते हैं सबकुछ।
क्या है राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया?
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज करता है। मतलब जनता को सीधे-सीधे अपना राष्ट्रपति चुनने का अधिकार नहीं है। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि राष्ट्रपति को चुनते हैं। इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के अलावा सभी राज्यों की विधानसभाओं के विधायक वोट डालते हैं। हालांकि, इसके लिए राष्ट्रपति की ओर से संसद में नॉमिनेटेड मेंबर और राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य वोटिंग नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें जनता द्वारा नहीं चुना जाता। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए विधायकों और सांसदों की अलग-अलग वोट वैल्यू होती है।
जानें किस राज्य के विधायकों की कितनी वोट वैल्यू?
बता दें कि देश के सबसे बड़े और छोटे राज्यों के हिसाब से ही वहां के विधायकों के वोट की वैल्यू तय होती है। मसलन उत्तर प्रदेश के विधायकों की वोट वैल्यू सबसे ज्यादा होती है और सिक्किम के विधायकों की सबसे कम। उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों में से हर एक के वोट की वैल्यू 208 है, यानी उनका कुल मूल्य 403x208= 83,824 है। इसी तरह तमिलनाडु और झारखंड के हर एक विधायक की वोट वैल्यू 176, महाराष्ट्र की 175, बिहार की 173, आंध्र प्रदेश की 159, मध्य प्रदेश की 131 है। बता दें कि सिक्किम जैसे छोटे राज्य की वोट वैल्यू सिर्फ 7 है। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का 8, नगालैंड की 9, मेघालय की 17, मणिपुर की 18 और गोवा की 20 है।
ऐसे तय होती है विधायकों की वोट वैल्यू?
किसी विधायक की वोट वैल्यू तय करने के लिए 1971 की जनगणना को आधार बनाया गया है। मतलब राज्य के विधायकों की वोट वैल्यू उस राज्य की कुल आबादी के आधार पर काउंट होती है। इनके वोट की वैल्यू तय करने के लिए कुल विधायकों की संख्या में 1000 का गुणा किया जाता है। फिर इससे राज्य की 1971 में रही कुल आबादी को डिवाइड कर दिया जाता है। विधायकों की संख्या बीच में कम होने पर किसी राज्य में एक विधायक की वोट वैल्यू नहीं बदलती। उदाहरण- 1971 में मध्य प्रदेश की कुल आबादी 30,017,180 थी। इसलिए मध्य प्रदेश में एक विधायक की वोट वैल्यू 30017180/230X1000 = 131 है।
कैसे निकलती है सांसदों की वोट वैल्यू?
सांसदों के वोट की वैल्यू निकालने के लिए सभी विधायकों की वोट वैल्यू को सांसदों की संख्या से डिवाइड कर देते हैं। फिलहाल विधायकों की टोटल वैल्यू 5,43,218 है। इसे कुल सांसदों की संख्या 776 से डिवाइड करेंगे। इससे एक सांसद की वोट वैल्यू 708 निकलेगी। हालांकि, इस बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए संसद के हर एक सदस्य की वोट वैल्यू 700 है। इसकी वजह ये है कि जम्मू कश्मीर में अभी कोई विधानसभा नहीं है।
राष्ट्रपति पद के लिए क्या है योग्यता :
संविधान के अनुच्छेद 58 के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति होने के लिए तभी योग्य तब होगा जब वह यह शर्तें पूरी करता हो।
1. भारत का नागरिक हो।
2. 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
3. लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने के योग्य हो।
4. वह व्यक्ति किसी भी लाभ के पद पर कार्यरत न हो।
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