सार

आज बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा (Dussehra 2021) मनाया जा रहा है। इस मौके पर नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(RSS) के मुख्यालय में शस्त्र पूजन हुआ। इस मौके पर संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत मौजूद थे।
 

नई दिल्ली. आज देश में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा  (Dussehra 2021) मनाया जा रहा है। इस मौके पर नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(RSS) के मुख्यालय में शस्त्र पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत मौजूद थे। कार्यक्रम में  केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Minister for Road Transport & Highways) और मुंबई स्थित इजरायली महावाणिज्य दूत कोब्बी शोशानी(Kobbi Shoshani) भी मौजूद थे। भागवत ने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर की समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

मोहन भागवत ने कहा- अपने मत, पंथ, जाति, भाषा, प्रान्त आदि छोटी पहचानों के संकुचित अहंकार को हमें भूलना होगा। अगर भारत में सनातन मूल्य व्यवस्था पर आधारित विश्व की कल्पना करने वाला धर्म प्रबल होता, तो स्वार्थी शक्तियों का कुकृत्य खुद निस्प्रभावी हो जाएगा।

जनसंख्या नीति पर बोले भागवत
भागवत ने कहा-देश के विकास की पुनर्कल्पना करते समय एक ऐसी स्थिति सामने आती हैं, जो कई लोगों को चिंतित करती है। इसलिए एक जनसंख्या नीति जो सभी समूहों पर लागू होती है, अनिवार्य है। जनसंख्या वृद्धि दर में असंतुलन की चुनौती पर वर्ष 2015 में रांची में आयोजित संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (अखिल भारतीय कार्यकारी समिति) की बैठक के दौरान इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया गया था।  भागवत ने कहा-जनसंख्या नीति पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए। 50 साल आगे तक का विचार कर नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सभी पर समान रूप से लागू करना चाहिए, जनसंख्या का असंतुलन देश और दुनिया में एक समस्या बन रही है। संघ प्रमुख ने कहा कि वर्ष 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर के कारण देश की जनसंख्या में जहां भारत में उत्पन्न मत पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88% से घटकर 83.8% रह गया है। वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8% से बढ़कर 14.24% हो गया है।

पाकिस्तान चीन पर बोले भागवत
भागवत ने कहा-तालिबान कहता है कि वो बदल गया है, कभी कहत है कि पहले जैसा है। उसका समर्थन करने वालों में रूस भी था। चीन और पाकिस्तान आज भी हैं। तालिबान बदल होगा, लेकिन पाकिस्तान आज भी बिलकुल वैसा ही है। चीन का रवैया भारत को लेकर बदला है क्या? प्रेम और अहिंसा से सब ठीक होता है, इसे मानें, लेकिन सीमा पर सुरक्षा भी चाक-चौबंद करना है।

घाटी में हिंदुओं की टारगेट किलिंग
भागवत ने कहा कि वे जम्मू-कश्मीर होकर आए हैं। धारा 370 हटने से आम जनता को फायदा हुआ है। घाटी में हिन्दुओं की टारगेट किलिंग की जा रही है। जैसा वे पहले चुन-चुनकर करते थे। मनोबल गिराने वे हिंसा कर रहे हैं। उनका बंदोबस्त करना होगा।

सभी जातियों-समुदायों ने बलिदान दिया
इस मौके पर मोहन भागवत ने कहा-विभिन्न जातियों, समुदायों और विभिन्न क्षेत्रों के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता के लिए महान बलिदान और तपस्या की। समाज ने भी इन बहादुर आत्माओं के साथ एक एकीकृत इकाई के रूप में गुलामी का दंश सहा।

स्वतंत्र भारत का चित्र कैसा हो? इसकी भारत की परंपरा के अनुसार समान सी कल्पनाएं मन में लेकर देश के सभी क्षेत्रों से सभी जातिवर्गों से निकले वीरों ने तपस्या त्याग और बलिदान के हिमालय खडे़ किए।

यह वर्ष हमारी स्वाधीनता का 75वां वर्ष है। 15अगस्त 1947 को हम स्वाधीन हुए। हमने अपने देश के सूत्र देश को आगे चलाने के लिए स्वयं के हाथों में लिए। स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हमारी यात्रा का वह प्रारंभ बिंदु था। हमें यह स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली।

डॉ. हेडगेवार पूर्णतया देश के सार्वजनिक जीवन में सक्रिय थे और कहीं न कहीं इन कार्यों के माध्यम से उनका देश के मूर्धन्य चिंतकों से संपर्क आया था। क्रांतिकारियों के साथ भी उन्होंने काम किया। वे उस समय स्वतंत्रता आन्दोलनों में भी सहभागी हुए।

गुरु तेज बहादुर कट्टरता के खिलाफ खड़े हो गए थे
भागवत ने कहा- इस वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज का 400वां प्रकाश पर्व है। वह धार्मिक कट्टरता के खिलाफ खड़े होकर शहीद हो गए थे, जो कट्टरता तब भारत में बहुत प्रचलित थी। उन्हें "हिंद की चादर" या "हिंद की ढाल" की उपाधि से सराहा गया।

गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर का किया जिक्र
भागवत ने कहा-संत ज्ञानेश्वर महाराज जी ने अपने पसायदान(मराठी साहित्य) के माध्यम से और सदियों बाद गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपनी प्रसिद्ध कविता व्हेयर द माइंड इज विदाउट फियर(Where the Mind is without fear) में स्वयं के मुक्त जीवन की हमारी अवधारणा के बारे में बात की।

हेल्थकेयर पर जोर
भागवत ने कहा कि भौगोलिक रूप से विशाल और घनी आबादी वाले देश में हमें हेल्थकेयर के बारे में फिर से कल्पना करने की जरूरत है। यह सिर्फ एक समस्या निवारण के नजरिये से नहीं, बल्कि स्वस्थ दृष्टिकोण से भी आवश्यक है। जैसा कि आयुर्वेद के विज्ञान में है। कोविड महामारी ने हमारी पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों की उपयोगिता और 'स्वार्थ' से निकलने वाली दृष्टि को सुदृढ़ किया है। हमने कोरोना वायरस से लड़ने और उससे निपटने में अपनी पारंपरिक जीवन शैली प्रथाओं और आयुर्वेदिक औषधीय प्रणाली की प्रभावकारिता का अनुभव किया। COVID19 की दूसरी लहर पहली की तुलना में कहीं अधिक विनाशकारी थी। इसने युवाओं को भी नहीं बख्शा। महामारी से उत्पन्न गंभीर स्वास्थ्य खतरों के बावजूद मानव जाति की सेवा में निस्वार्थ भाव से समर्पित नागरिकों के प्रयास प्रशंसनीय हैं।

ओलंपिक खिलाड़ियों को बधाई
हमारे खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंपिक में 1 स्वर्ण, 2 रजत और 4 कांस्य पदक और देश के लिए पैरालिंपिक में 5 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य पदक हासिल किए हैं। उनके समर्पित प्रयासों के लिए उन्हें बधाई दी जानी चाहिए।

पर्यावरण पर बोले भागवत
पर्यावरण को जीतने की नहीं, संवारने की आवश्यकता है Not conquer  but nurture का आचरण बनाना चाहिए। प्लास्टिक का प्रयोग यथासंभव कम से कम करें, सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग बंद कर देना चाहिए।

इंटरनेट पर बोले भागवत
OTT प्लेटफॉर्म पर कोई नियंत्रण नहीं है। नियंत्रण विहीन व्यवस्था से अराजकता का संकट होता है, इन सब पर मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।

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