सार

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों के साथ ही वैक्सीनेशन के बाद जो ट्रायल किए गए हैं, उनके नतीजों को भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

नई दिल्ली। वैक्सीन के दोनों डोज लेने की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट सरकार के जवाब में यह देखेगा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की तुलना में जीवन के अधिकार को प्रमुखता मिलती है या नहीं। 

यह की गई है मांग

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों के साथ ही वैक्सीनेशन (Vaccination) के बाद जो ट्रायल किए गए हैं, उनके नतीजों को भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए। यह याचिका पीडियाट्रिक डॉक्टर जैकब पुलियाल की तरफ से दायर की गई है। कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता डॉक्टर केंद्र सरकार को सलाह देने के लिए जो टीम बनाई गई थी उसके भी सदस्य रहे हैं।

क्या याचिका लोगों को भ्रमित नहीं करेगी-सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट प्रशांत भूषण (Prashant Bhusan) से कहा हम आपकी याचिका पर नोटिस कर रहे हैं, लेकिन हम वैक्सीनेशन को लेकर लोगों के मन में भ्रम पैदा नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि वैक्सीन को लेकर भ्रम पहले से ही समस्या पैदा कर रहा है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए पूछा कि जब देश में पहले ही 50 करोड़ से ज्यादा लोग वैक्सीनेशन ले चुके हैं आपकी यह याचिका क्या बाकी लोगों के मन में संदेह पैदा नहीं करेगी। वकील

प्रशांत भूषण ने कहा कि यह दुनिया में पहली बार हो रहा है कि जब लोगों को ट्रायल की बिना पूरी जानकारी के इस तरीके से बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। ऐसे में लोगों की सहमति का क्या?

क्या वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर रोक लगा दें?

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या आप यह चाहते हैं कि हम वैक्सीनेशन के कार्यक्रम पर रोक लगा दें? इसपर प्रशांत भूषण ने कहा कि नहीं, मैं यह नहीं कह रहा कि वैक्सीनेशन के कार्यक्रम पर रोक लगनी चाहिए। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे देश में व्यक्ति को लेकर पहले से ही भ्रम फैला हुआ है खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में ऐसे में इस तरीके की याचिकाएं क्या भ्रम को और नहीं बढ़ाएगी?

सरकार ने बताया कि बाध्य नहीं, लेकिन बिना वैक्सीनेशन के काम नहीं मिल रहा

प्रशांत भूषण ने कहा कि वैसे तो सरकार ने कहा है कि वैक्सीन लेना बाध्यता नहीं है और यह लोगों के अपनी मर्जी पर निर्भर करता है लेकिन आज की तारीख में देश में कई सारे जगहों पर जाना आने से लेकर कई काम करने तक उन्हीं लोगों को अनुमति दी जा रही है जिन्होंने वैक्सीन की डोज ली हुई है।  प्रशांत भूषण ने कहा कि फिलहाल अभी तक की जानकारी के मुताबिक तो ये वैक्सीन कोरोना के नए वेरिएंट डेल्टा प्रति खास प्रभावी भी नहीं है।  सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अगली सुनवाई पर इस पर आगे बात करने को कहा है। फिलहाल सरकार से इस मामले में अपना जवाब देने को कहा गया है।

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