सार

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी (national logistics policy) को मंजूरी दी है। इस नीति का लक्ष्य भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत घटाकर 2030 तक वैश्विक बेंचमार्क तक लाना है।

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी (national logistics policy) को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य परिवहन लागत को कम करना और इस क्षेत्र के वैश्विक प्रदर्शन में सुधार करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह इस पॉलिसी का अनावरण किया था। 

नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी देश भर में सामानों की निर्बाध आवाजाही को बढ़ावा देकर परिवहन लागत में कटौती करने के लिए बनाई गई है। नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अभी देश की परिवहन लागत जीडीपी का 13-14 प्रतिशत है। नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी की मदद से इसे जल्द से जल्द घटाकर सिंगल डिजिट में लाने का लक्ष्य रखना चाहिए।

केंद्र सरकार के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि नीति का लक्ष्य भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत घटाकर 2030 तक वैश्विक बेंचमार्क तक लाना है। 2018 में भारत दुनिया में लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में 44वें स्थान पर था। इसमें सुधार लाना है। इसके लिए कुशल लॉजिस्टिक इकोसिस्टम बनाना है। 

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कैबिनेट ने राष्ट्रीय रसद नीति को मंजूरी दी है। यह रसद सेवाओं में अधिक दक्षता के लिए यूलिप, मानकीकरण, निगरानी ढांचे और कौशल विकास की शुरुआत करेगा। लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स रैंकिंग में सुधार करना है। भारत को 2030 तक शीर्ष 25 देशों में शामिल होना है।

क्या है नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी?
नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी का सीधा मतलब माल ढुलाई की लागत में कमी लाने से है। लॉजिस्टिक्स वो प्रॉसेस है, जिसके अंतर्गत माल और सेवाओं को उनके बनने वाली जगह से लेकर जहां पर उनका इस्तेमाल होना है, वहां भेजा जाता है। जब फैक्टरी में कोई सामान या माल बनता है तो उसे बनने के बाद ग्राहक तक पहुंचाने के लिए एक प्रॉसेस से गुजरना पड़ता है। इस प्रक्रिया को लॉजिस्टिक्स (logistics) और इस पर आने वाले खर्च को लॉजिस्टिक्स लागत या माल ढुलाई खर्च कहा जाता है। इस तरह माल ढुलाई की लागत में कमी लाने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय नीति को नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी कहते हैं। 

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इस पॉलिसी से क्या होगा फायदा?
नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी के तहत देशभर में माल की आवाजाही  बेरोकटोक हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा। इसके साथ ही कागजी कार्रवाई को आसान बनाया जाएगा और सिंगल विंडो क्लियरेंस की सुविधा दी जाएगी। ये सब होने से लॉजिस्टिक्स लागत में करीब 10% की कमी आएगी, जिससे निर्यात में 5-8% तक की बढ़ोत्तरी हो सकेगी। 

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