सार

भारत में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव एक ऐसी प्रणाली है जिसमें मतदाता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। ये प्रतिनिधी मिलकर सरकार बनाते हैं।

 

नई दिल्ली। भारत में लोकसभा चुनाव 2024 होने जा रहे हैं। इन चुनाव की मदद से भारत के नागरिक केंद्र की सरकार चुनते हैं। भारत में संसदीय प्रणाली है। यहां मतदाता सांसदों का चुनाव करते हैं। बाद में सांसद प्रधानमंत्री चुनते हैं। आइए भारत के चुनाव प्रणाली के बारे में जानते हैं।

चुनाव वह प्रणाली है जिससे मतदाता अपने प्रतिनिधी का चुनाव करते हैं। ये प्रतिनिधी सरकार बनाते हैं। चुनाव लोकतंत्र का मूल है। बिना चुनाव के लोकतंत्र की कल्पणा नहीं की जा सकती। अधिकांश लोकतंत्रों में लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते हैं। चुनाव यह तय करने में मदद करता है कि जनता अपने नेताओं को स्वीकार करती है या नहीं।

क्या है भारत की चुनाव प्रणाली?

भारत में संसद और विधानसभा का कार्यकाल 5 साल है। हर पांच साल में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होते हैं। लोकसभा का चुनाव प्रधानमंत्री चुनने और विधानसभा का चुनाव संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री चुनने के लिए होता है। सभी सांसद और विधायक का कार्यकाल पांच साल में पूरा हो जाता है। इसके बाद उन्हें जनता का मत लेने के लिए चुनाव के माध्यम से जनता के पास जाना होता है।

लोकसभा चुनाव एक बार में पूरे देश के लोकसभा क्षेत्र में होता है। यह एक चरण या कई चरणों में हो सकता है। अगर पांच साल के कार्यकाल के दौरान किसी सांसद या विधायक का निधन हो जाता है, या किसी और वजह से वह सीट खाली होती है तो वहां उपचुनाव कराया जाता है।

भारत में चुनाव के प्रकार

लोकसभा चुनाव- भारत के लोकसभा के सदस्यों के चुनाव को लोकसभा चुनाव कहते हैं। सांसदों का चुनाव भारत के सभी मतदाता करते हैं। मतदाता बनने के लिए 18 साल से अधिक उम्र होनी जरूरी है। लोकसभा चुनाव जीतने वाले को सांसद कहा जाता है। संसद में जिस पार्टी के सदस्यों की संख्या अधिक होती है उसे सरकार बनाने का मौका मिलता है। एक पार्टी के पास बहुमत नहीं होने की स्थिति में कई दल साथ मिलकर सरकार बनाते हैं। इसे गठबंधन की सरकार कहते हैं। लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 है। 543 के लिए चुनाव होता है। दो सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनित किए जाते हैं।

विधानसभा चुनाव- राज्यों की विधानसभा के सदस्यों को चुनने के लिए विधानसभा चुनाव कराया जाता है। राज्यों की जनसंख्या के अनुसार उनके विधानसभा के सदस्यों की संख्या अलग-अलग है। चुनाव के वक्त विधानसभा क्षेत्र के लोग अपना विधायक चुनने के लिए मतदान करते हैं। ये विधायक आगे चलकर मुख्यमंत्री चुनते हैं। विधानसभा में जिस पार्टी के विधायक अधिक होते हैं उसे राज्य में सरकार बनाने का मौका मिलता है।

राज्य सभा: राज्यसभा संसद का उच्च सदन है। लोकसभा की तरह इसके सदस्यों का चुनाव आम मतदाता नहीं करते। राज्यसभा के सदस्य का चुनाव विधान सभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है। इसके अलावा कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवाओं में योगदान के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिकतम 12 लोगों को नामांकित किया जा सकता है। राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है। हर दो साल में एक तिहाई सदस्य फिर से चुने जाते हैं।

क्या है चुनाव अभियान?

"चुनाव अभियान" का मतलब उम्मीदवारों की नीतियों, प्रस्तावों और मतदाताओं से किए गए वादों के प्रचार से है। उम्मीदवार जनता से बताते हैं कि अगर वे चुने जाते हैं तो क्या करेंगे। इन दावों से मतदाता को यह तय करने में मदद मिलती है कि किसे वोट देना है।

चुनाव अभियान के दौरान राजनीतिक पार्टियों के नेता, उम्मीदवार और कार्यकर्ता मतदाताओं से संपर्क करते हैं। वे चुनावी सभाओं में बोलते हैं। राजनीतिक दल चुनाव होने से महीनों पहले ही प्रचार शुरू कर देते हैं। वे कुछ प्रमुख मुद्दों पर लोगों का ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करते हैं ताकि उन्हें वोट मिल सके।

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कौन कराता है चुनाव?

चुनाव कराने का काम इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया (चुनाव आयोग) का है। चुनाव आयोग स्वतंत्र है। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। नियुक्त होने के बाद सीईसी राष्ट्रपति या सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं होता है।

चुनाव आयोग के पास होती हैं ये शक्तियां

  • चुनाव कराने से लेकर रिजल्ट की घोषणा तक पूरा काम चुनाव आयोग द्वारा किया जाता है।
  • आचार संहिता लागू करने और इसे तोड़ने वाले उम्मीदवार या राजनीतिक दल को चुनाव आयोग सजा दे सकता है।
  • चुनाव आयोग के पास सरकार को चुनाव अवधि के दौरान कुछ मानकों का पालन करने का आदेश देने का अधिकार है।
  • प्रशासन संबंधी कामों पर भी चुनाव आयोग की चलती है। चुनाव आयोग के कहने पर सरकारी कर्मचारियों को ट्रांसफर होता है। चुनाव आयोग सरकारी अधिकारियों की शक्ति के उपयोग और दुरुपयोग पर रोक लगा सकता है।
  • चुनाव ड्यूटी पर जिस अधिकारी को लगाया जाता है उसका प्रभारी चुनाव आयोग होता है, न कि सरकार।
  • यदि चुनाव अधिकारियों को लगता है कि कुछ बूथों या संभवतः पूरे निर्वाचन क्षेत्र में मतदान अनुचित था तो वे दोबारा मतदान का अनुरोध करते हैं। इसके बाद फिर से मतदान किया जाता है।

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