सार

प्रदेश में ठिठुरन भरे इस मौसम में कई जगह हिमपात होने से न सिर्फ मतदान कर्मचारियों को बल्कि स्थानीय लोगों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ दलों का मामना है कि दूरदराज के क्षेत्रों में बर्फ गिरने से मतदान के दिन मतदान केंद्रों तक पहुंचने में पेरशानी होगी।

देहरादून : पंजाब (Punjab) के बाद अब उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) की तारीख बदलने की मांग होने लगी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चुनाव की तारीख बदलने की मांग की है। इसके साथ ही कुछ और राजनीतिक दलों ने सर्द मौसम और प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए मतदान के लिए रविवार का दिन और मार्च के पहले हफ्ते में चुनाव कराने की अपील की है। इसके लिए अलग-अलग कारण भी बताए जा रहे हैं।

बीजेपी विधायक की मांग
भारतीय जनता पार्टी के झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उत्तराखंड में चुनाव की तिथि बदलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 14 फरवरी को गुरु रविदास जयंती है इसलिए राज्य में भी पंजाब की तर्ज पर चुनाव की डेट को बदला जाए। विधायक देशराज कर्णवाल ने बताया कि मंगलवार को उन्होंने दिल्ली में चुनाव आयोग के अधिकारियों को इस संदर्भ में पत्र सौंपा है। इससे पहले एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने भी राज्य में मतदान की तारीख बदलने की मांग की थी। हालांकि उन्होंने कहा कि था कि 14 फरवरी को सोमवार होने की वजह से कम मतदान होने की आशंका है। उन्होंने कहा था कि राज्य में एक दिन पहले 13 जनवरी को रविवार के दिन मतदान कराया जाए।

ठंड के कारण भी उठी मांग
वहीं, प्रदेश में ठिठुरन भरे इस मौसम में कई जगह बर्फबारी होने से न सिर्फ मतदान कर्मचारियों को बल्कि स्थानीय लोगों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ दलों का मामना है कि दूरदराज के क्षेत्रों में बर्फ गिरने से मतदान के दिन इन क्षेत्रों के लोगों को मतदान केंद्रों तक पहुंचने में पेरशानी होगी। जिससे वोट प्रतिशत गिर सकता है। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी के मुताबिक पूर्व में गोवा में मार्च महीने में चुनाव हुए। जबकि उत्तराखंड में फरवरी महीने में चुनाव कराए गए। जबकि इसके उलट होना चाहिए था।

फरवरी लास्ट या मार्च में चुनाव की मांग
उक्रांद के नेताओं का कहना है कि ठंड को देखते हुए फरवरी के अंतिम सप्ताह या फिर मार्च महीने में मतदान कराया जाना चाहिए। भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी का कहना है कि सर्द मौसम में बर्फ गिरने से पोलिंग पार्टियों और मतदाताओं के सामने दिक्कत आ सकती है। इसके अलावा प्रदेश में कोरोना भी तेजी से पांव पसार रहा है। स्थानीय लोगों के साथ ही बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मचारी इससे संक्रमित हैं। समस्या को देखते हुए मतदान मार्च महीने में कराए जाने चाहिए

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