सार

मुख्य चुनाव अधिकारी, डॉ. एस करुणा राजू ने बताया कि सोनू सूद को स्टेट आइकन नियुक्त करने के लिए पंजाब मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय द्वारा भारतीय चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसको मंजूरी मिल गई है। अब वह पंजाब की जनता को जागरुक करेंगे।

लुधियाना (पंजाब). लॉकडाउन के दौरान सोनू सूद ने प्रवासी मजदूरों की जिस तरह से मदद की है, वह एक मसीहा बन गए हैं। लोगों को घर पहुंचाने से लेकर बेरोजगारों को रोजगार देने तक सोनू सूद आज देश के युवा की पहली पसंद बन गए हैं। अब भारतीय चुनाव आयोग ने उनको नई जिम्मेदारी दी है, उनको आयोग ने पंजाब स्टेट के लिए स्टेट आइकन नियुक्त किया है।

इस वजह से सोनू सूद को बनाया गया स्टेट आइकन
दरअसल, मुख्य चुनाव अधिकारी, डॉ. एस करुणा राजू ने बताया कि सोनू सूद को स्टेट आइकन नियुक्त करने के लिए पंजाब मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय द्वारा भारतीय चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसको मंजूरी मिल गई है। उन्होंने बताया कि अब सोनू सूद लोगों में चुनाव प्रक्रिया संबंधी जागरूकता पैदा करने के अलावा वह उनको वोटिंग के लिए जागरूक करेंगे। उन्होंने जिस तरह से हिंदी तामिल, तेलुगू, कन्नड, और पंजाबी समेत कई भारतीय भाषाओं में बनी फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है। ठीक उसी तरह वह अब इस काम में भी जनता को उनका अधिकार बताएंगे।

बिहार चुनाव में भी जनता से की थी यह अपील
बता दें कि पंजाब के मोगा जिले से ताल्लुक रखने वाले सोनू सूद अभी हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव में भी जनता को एक खास संदेश दे चुके हैं। जहां उन्होंने लोगों ने वोट देने पर जोर डालते हुए उनसे अपील की थी। 

अगले माह रिलीज करेंगे सोनू सूद एक किताब
बताया जा रहा है कि लॉकडाउन में जिस तरह से वह लोगों की बीच जाकर उनको मसीहा बने थे, उसको लेकर एक किताब भी लिखी है।  जिसका नाम आई एम नो मसीहा दिसंबर में लॉन्च होगी। इस बुक में सोनू सूद ने अपने जीवन की कहानी के साथ साथ मजदूरों के अनुभव भी साझा किए हैं। इस किताब के जरिए उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह एक बार जरूर इस बुक को पढ़ें। क्योंकि इसी में उन्होंने लिखा है कि मजदूरों की मदद कर उनकी जिंदगी कैसे बदल गई।