सार
बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की मुश्किल अब बढ़ती ही जा रही है। नशा तस्करी के आरोप में जेल में बंद मजीठिया को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब सीएम भगवंत मान ने इस मामले में नए सिरे से एसआईटी गठीत करने के निर्देश दिए।
चंडीगढ़. बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (bikram singh majithia) की मुश्किल अब बढ़ती ही जा रही है। नशा तस्करी के आरोप में जेल में बंद मजीठिया को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब सीएम भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) ने इस मामले में नए सिरे से एसआईटी गठीत करने के निर्देश दिए। एसआईटी का नेतृत्व एआईजी गुरशरण संधू करेंगे, जबकि संधू के साथ एआईजी राहुल एस, रंजीत सिंह और डीएसपी रैंक के दो अधिकारी समेत चार अन्य सदस्य टीम में शामिल किए जाएंगे।
चुनाव के लिए जमानत पर बाहर आए थे मजीठिया
20 दिसंबर 2021 को अकाली नेता बिक्रम मजीठिया के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। कांग्रेस सरकार के वक्त मजीठिया के खिलाफ जांच शुरू हुई थी। मजीठिया की गिरफ्तारी के लिए तब पुलिस ने छापेमारी की थी। बाद में मजीठिया हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत ले आए थे। इसके बाद वह मामले को लकर सुप्रीम कोर्ट गए। जहां उन्हें अंतरिम जमानत तो दी गई, लेकिन उन्हें विधानसभा चुनाव के बाद मोहाली कोर्ट में सरेंडर करना था।
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आप सरकार ने बनाई नए तरीके से एसआईटी
बता दें कि तय शर्त के मुताबिक मजीठिया ने कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया। उन्हें 22 मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। वह पटियाला जेल में बंद है। मजीठिया पर कांग्रेस के निवर्तमान प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू खासे हमलावर रहे थे। उनके प्रयास से ही मजीठिया के खिलाफ एसआईटी बनी थी। लेकिन अब आम आदमी पार्टी सरकार में एक और एसआईटी बना कर इस मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। इस वजह से मजीठिया कोअब जल्दी ही राहत मिलने की संभावना कम नजर आ रही है।
मजीठिया के खिलाफ पुख्ता सुबूत मिले
बताया जा रहा है कि कांग्रेस के राज में जो एसआईटी बनी थी, इसमें मामले में कई झोल थे, आप सरकार की कोशिश है कि यह झोल खत्म कर मामले की सख्ती से जांच की जाए। जिससे मजीठिया के खिलाफ पुख्ता सुबूत जुटाए जाए। हालांकि मजीठिया समेत अकाली दल बार बार यह आरोप लगात रहे कि कांग्रेस राजनीति प्रतिद्वंद्विता की वजह से उन्हें नशा तस्कर के मामले में फंसा रही है। उन्होंने पूरे मामले को झूठा करार दिया था।
जानिए ऐसा क्यों कर रही मान सरकार
पंजाब में नशा तस्करी बड़ा मुद्दा रहा है। इसबार के विधानसभा चुनाव में भी इस मामले को लेकर एक दूसरे पर खूब आरोप लगे। आम आदमी पार्टी की ओर से बार बार यह दावा किया जाता रहा कि उनकी सरकार में नशा तस्करों की नकेल कसी जाएगी। अब एसआईटी गठित कर आप मतदाता को यह संदेश देना चाहती है कि उन्होंने जो बोला था, वह कर दिखाया है।
जेल में बंद होने के बाद भी आरोपी कराते हैं नशा का कारोबार
मोहाली निवासी तरलोचन सिंह ने 2013 में नशा तस्करी का मामला उठाते हुए आरोप लगाया था कि जेल में बंद तस्कर इसे अंजाम दे रहे हैं। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने इस पर स्वय संज्ञान लिया। तभी पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक जेल रहे शशिकातं ने उच्च न्यायालय में पत्र लिख आरोप लगाया कि ड्रग्स के इस मामले में नेता सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। उन्होंने तब दावा किय था कि यह तस्करी छह हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की है। इसका पैसा चुनाव में इस्तेमाल होता है। तब मामले की जांच रही एसटीएफ ने बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के बारे में टिप्पणी की थी। तभी से मजीठिया विपक्ष के निशाने पर है।