सार

जब बच्चे बड़े होने लगते हैं और किशोरावस्था में आ जाते हैं, तो उनमें मानसिक और शारीरिक स्तर पर कई तरह के बदलाव होने लगते हैं। ऐसे में, कई बार बच्चे फैमिली से दूरी बनाने लगते हैं। इसके अलावा भी कई तरह की समस्याएं उनके सामने आती हैं।

रिलेशनशिप डेस्क। जब बच्चे बड़े होने लगते हैं और किशोरावस्था में आ जाते हैं, तो उनमें मानसिक और शारीरिक स्तर पर कई तरह के बदलाव होने लगते हैं। ऐसे में, कई बार बच्चे फैमिली से दूरी बनाने लगते हैं। इसके अलावा भी कई तरह की समस्याएं उनके सामने आती हैं। ऐसे में, देखने में आता है कि वे अलग-थलग रहने लगते हैं और अपना ज्यादा समय एकांत में बिताने लगते हैं। इस वक्त किशोर होते बच्चों का पेरेन्ट्स और फैमिली के दूसरे लोगों को खास ख्याल रखना चाहिए। किशोरावस्था में पहुंच गए बच्चों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए, इसे लेकर पेरेन्ट्स को जागरूक रहने की जरूरत है। जानें कुछ टिप्स। 

1. बच्चों को दें स्पेस
किशोरावस्था में बच्चों में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इसके साथ ही बच्चे कई चीजों के बारे में खुद  सोचने-समझने के काबिल होने लगते हैं। उनमें सोचने और विचार करने की समझ विकसित होने लगती है। ऐसे में, हर बात पर उन्हें कुछ कहते रहना अच्छा नहीं होता। उन्हें थोड़ी आजादी देनी चाहिए। 

2. बच्चे पर करें भरोसा
ज्यादातर पेरेन्ट्स को अपने बच्चे की काबिलियत पर भरोसा नहीं होता। वे सोचते हैं कि बच्चे को सहारे की जरूरत है। इसलिए वे किसी भी काम को कैसे करें, यह जरूर बताते हैं। हमेशा ऐसा करने से बच्चा खीज सकता है। उसे यह महसूस हो सकता है कि उसकी काबिलियत पर किसी को भरोसा नहीं है। इसलिए बच्चे को अपने हिसाब से काम करने दें।

3. गलती करने पर डांटें नहीं
गलती किसी से भी होती है। बड़े भी गलती करते हैं और बच्चे भी। जो बच्चे किशोरावस्था में पहुंच जाते हैं, उनमें आत्मसम्मान की भावना विकसित होने लगती है। उनमें संवेदनशीलता भी बढ़ जाती है। ऐसे में, किसी तरह की गलती करने पर न तो उन्हें डांटें और न ही उनका मजाक उड़ाएं। अगर आप एक इशारा भर कर देंगे तो बच्चे इसे समझ जाएंगे और आगे से ऐसी गलती करने से बचेंगे। 

4. बच्चे के खर्च का ध्यान रखें
किशोर हो चुके बच्चों की कुछ नई जरूरतें पैदा हो जाती हैं। पेरेन्ट्स को चाहिए कि वे इसका ध्यान रखें और खर्च के लिए जितना जरूरी हो, पैसा उन्हें दें। लेकिन शान-शौकत और दिखावे के लिए उन पर पैसा खर्च नहीं करें और इस बात का भी ध्यान रखें कि उनमें फिजूलखर्ची की आदत नहीं पैदा हो। 

5. बच्चों के दोस्तों पर रखें नजर
किशोर हो रहे बच्चों के दोस्त ज्यादा बनने लगते हैं। स्कूल के अलावा मुहल्ले में भी उनकी दोस्ती बढ़ती है। किशोरावस्था में बच्चों पर बुरी संगत का असर जल्दी होता है। इसलिए इस बात का जरूर ध्यान रखें कि आपके बच्चे के दोस्त कैसे हैं। इसके लिए आपको खुद बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखना होगा। आप बच्चे को कह सकते हैं कि वह अपने दोस्तों को घर बुलाए। अगर बच्चे की संगति अच्छी नहीं है, तो उसे प्यार से समझाएं। बच्चे को अपने भरोसे में लें। फिर उसे खुद गलत-सही का ध्यान रहने लगेगा।