सार
यदि कोई इंसान बिना लगाव के सत्वता हासिल कर लेता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकल जाता है।
कृष्ण अर्जुन को परम ज्ञान प्राप्त करने के लिए कहते हैं जो योग गुरुओं द्वारा प्राप्त किया गया है। कृष्ण के अनुसार वो पिता हैं , जो बीज देते हैं और प्रकृति एक कोख है जो उस बीज को पाल पोषकर बड़ा करती हैं। हर इंसान इन दोनों चीजों का मिश्रण होता है। सतोगुण,रजोगुण और तमोगुण हर इंसान को उसके शरीर से बांधे रखते हैं। सतोगुण मनुष्य के शरीर को ज्ञान और सुख में बांधता है, रजोगुण मनुष्य को सकाम कर्म में बाँधता है और तमोगुण मनुष्य को आलस्य और निद्रा में बांधता है। सतोगुण ज्ञान से संबंधित होने के कारण इंसान को प्रबुद्ध बनाता है, पर बाकी के दोनों गुण उसके पतन का कारण बनते हैं। अर्जुन कृष्ण से पूछता है कि जो इंसान अपने गुणों से ऊपर उठ चुका है उसकी पहचान कैसे की जा सकती है। इस पर कृष्ण कहते हैं कि ऐसा इंसान सुख और दुख दोनों में समान रहता है।
पसंदीदा श्लोक
सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो
मत्त: स्मृतिर्ज्ञानमपोहनं च |
वेदैश्च सर्वैरहमेव वेद्यो
वेदान्तकृद्वेदविदेव चाहम् ||
मैं ही सबके हृदय में अन्तर्यामी रुप से स्थित हूँ तथा मुझसे ही स्मृति, ज्ञान और उसका अभाव होता है; और सब वेदों द्वारा जानने योग्य भी मैं ही हूँ तथा वेदांत का कर्ता और वेदों को जानने वाला मैं ही हूँ ।
विश्लेषण
गीता के इस अध्याय में कृष्ण उन गुणों के बारे में बताते हैं, जो किसी इंसान के ज्ञानी बनने और प्रकृति के साथ-साथ खुद के अलाव प्रकृति के स्वभाव को समझने के लिए जरूरी हैं। कृष्ण कहते हैं कि यदि कोई इंसान किसी एक गुण से भी जुड़ा है तो वह जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर नहीं निकल सकता। भले ही वह गुण सत्वता ही क्यों न हो, कोई भी गुण अगर लंबे समय तक किसी इंसान के अंदर रहता है तो गुण के प्रति व्यक्ति का लगाव होना स्वाभाविक है। यदि कोई इंसान बिना लगाव के सत्वता हासिल कर लेता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकल जाता है। जिस गुण के कारण इंसान की मृत्यु होती है, उसी से उसका अगला जन्म निर्धारित होता है। इसका अर्थ है कि यदि किसी व्यक्ति ने अपना पूरा जीवन खुशी के साथ बिताया है, पर मृ्त्यू के समय वह गुस्से में था तो उसे भी अगला जन्म लेना पडे़गा। इसलिए अगर कोई इंसान सिर्फ एक गुण के साथ ही अपना पूरा जीवन बिताता है तब भी वह तीनों गुणों के बीच घूमता रह सकता है।
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विथ अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के सौ से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सक्सेजफुल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA)भी किया है।