सार

दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का विधान है। इस पूजा के अंतर्गत गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजा करते हैं। इस दिन अन्नकूट और सुहाग पड़वा का पर्व भी मनाया जाता है।

 

Govardhan Puja 2024 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन इसकी सबसे ज्यादा धूम उत्तर प्रदेश और बिहार में देखी जाती है। इस उत्सव में महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और इसकी पूजा करती हैं। इस पर्व से भगवान श्रीकृष्ण की एक रोचक कथा भी जुड़ी हुई है। जानिए इस बार कब है गोवर्धन पूजा, शुभ मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…

कब करें गोवर्धन पूजा? (Goverdhan puja 2024 kab hai)

गोवर्धन पूजा का पर्व दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा क्योंकि कार्तिक अमावस्या 2 दिन रहेगी। दीपावली 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी, इसके अगले दिन यानी 1 नवंबर, शुक्रवार को अमावस्या तिथि शाम 06:16 तक रहेगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार गोवर्धन पूजा सुबह करने का विधान है, जो स्थिति 2 नवंबर, शनिवार को बन रही है। इसलिए इसी दिन ये पर्व मनाया जाना श्रेष्ठ रहेगा।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त (Goverdhan puja 2024 Shubh Muhurat)

सुबह 06:34 से 08:46 तक
शुभ 08:00 से 09:23 तक
दोपहर 03:23 से 05:35 तक


इस विधि से करें गोवर्धन पूजा (Goverdhan Puja Vidhi)

- 2 नवंबर, शनिवार की सुबह महिलाएं जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद गोवर्धन पूजा का व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में अपने घर के मुख्य दरवाजे पर या अपने आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं।
- इस के बीच में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र भी रखें। सबसे पहले फूलों की माला पहनाएं। कुमकुम, चावल आदि चढ़ाएं।
- गोवर्धन पर्वत के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाएं। अंत में आरती भी करें।
- इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, देवराज इंद्र, वरुण, अग्नि और राजा बलि की भी पूजा करें। इससे आपको शुभ फल मिलेंगे।
- संभव हो तो इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन करवाएं और अपनी इच्छा अनुसार दान-दक्षिणा देकर विदा करें।

क्यों करते हैं गोवर्धन पर्वत की पूजा (Goverdhan Puja Ki Katha)

- ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण बालक थे, तब इंद्र पूजा का त्योहार आया। श्रीकृष्ण ने पिता नंद बाबा से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया ‘इंद्रदेव की बारिश से ही गोवर्धन पर्वत पर वनस्पतियां, घास और अनाज उत्पन्न होता है, उसी से हमारा पालन पोषण होता है।’ इसलिए हम उनकी पूजा करते हैं।
- श्रीकृष्ण ने कहा ‘बारिश करना तो इंद्र का काम है। हमारा भरण-पोषण तो गोवर्धन पर्वत करता है, इसलिए हमें इसी की पूजा करनी चाहिए। सभी गांव वालों ने श्रीकृष्ण की बात मानकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इस बात से क्रोधित होकर इंद्र ने नंदगाव पर मूसलाधार बारिश की। सभी लोग परेशान हो गए।
- तब श्रीकृष्ण ने नंदगांव को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर छाते-सा तान दिया। सभी गांव वाले और पशु-पक्षी गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गए और स्वयं को सुरक्षित महसूस करने लगे। तब इंद्र ने आकर श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। तभी ये गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है।


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