सार

Magh Gupt Navratri 2025: माघ मास में हिंदू वर्ष की अंतिम नवरात्रि मनाई जाती है। इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस नवरात्रि में तंत्र साधना का विशेष महत्व है। ये नवरात्रि गृहस्थों के लिए नहीं बल्कि तंत्र साधकों के लिए महत्वपूर्ण होती है।

 

Magh Gupt Navratri 2025 Details: माघ मास में हर साल गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी से शुरू होगी, जो 6 फरवरी तक रहेगा। तिथि क्षय होने के कारण ये गुप्त नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 8 दिनों की रहेगी। इस नवरात्रि में संहारकर्ता शक्तियो जैसे-काली, भैरवी आदि की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि के पहले दिन देवी की विशेष पूजा करनी चाहिए। आगे जानिए माघ गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र आदि की डिटेल…

बसंत पंचमी 2025 के 4 शुभ मुहूर्त, आज ही कर लें नोट


माघ गुप्त नवरात्रि 2025 शुभ मुहूर्त (Magh Gupt Navratri 2025 Shubh Muhurat)

- सुबह 09:25 से 10:46 तक (श्रेष्ठ मुहूर्त)
- दोपहर 12:13 से 12:56 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 12:35 से 01:56 तक
- दोपहर 04:38 से 05:59 तक

इस विधि से करें पूजा (Magh Gupt Navratri 2025 Kalash Sthapna Mantra-Vidhi)

- घर में जहां कलश स्थापित करना है, उस स्थान को गंगा जल और गोमूत्र से पवित्र करें।
- उस स्थान पर लकड़ी का एक बड़ा पटिया रखकर उसके ऊपर एक लाल कपड़ा बिछाएं।
- तांबे के लोटे में जल भरें, इसमें चंदन, रोली, फूल आदि चीजें डालकर पटिए पर स्थापित करें।
- कलश पर स्वस्तिक बनाएं और इसके ऊपर आम के पत्ते रखकर नारियल से ढंक दें।
- कलश के मुख पर मौली यानी पूजा का धागा बांधें। नारियल पर कुमकुम से तिलक लगाएं।
- कलश के पास में ही देवी दुर्गा का चित्र भी रखें और ये मंत्र बोलें- ऊं नमश्चण्डिकाये।
- चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक लगाएं और इच्छा अनुसार देवी को भोग लगाएं।
- 9 दिनों तक रोज इस कलश की पूजा विधि-विधान से करें और दीपक भी लगाएं।
- इस तरह गुप्त नवरात्रि में रोज पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहेगी।

मां दुर्गा की आरती (Devi Durga Ki Aarti Lyrics In Hindi)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥1॥ जय अम्बे…
माँग सिंदुर विराजत टीको मृगमदको।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको ॥2॥ जय अम्बे.…
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्त-पुष्प गल माला, कण्ठनपर साजै ॥3॥ जय अम्बे…
केहरी वाहन राजत, खड्ग खपर धारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहरी ॥4॥ जय अम्बे…
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥5॥ जय अम्बे…
शुंभ निशुंभ विदारे, महिषासुर-धाती।
धूम्रविलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥6॥ जय अम्बे…
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥7॥ जय अम्बे…
ब्रह्माणी, रूद्राणी तुम कमलारानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी ॥8॥ जय अम्बे…
चौसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा औ बाजत डमरू ॥9॥ जय अम्बे…
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता सुख सम्पति करता ॥10॥ जय अम्बे…
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मनवाञ्छित फल पावत, सेवत नर-नारी ॥11॥ जय अम्बे…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
(श्री) मालकेतु में राजत कोटिरतन ज्योती ॥12॥ जय अम्बे…
(श्री) अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख सम्पति पावै ॥13॥ जय अम्बे...


ये भी पढ़ें-

सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ाता है ये खास रुद्राक्ष, भूत-प्रेत बाधा से भी बचाता है


बसंत पंचमी और देवी सरस्वती को लगाएं इन 5 चीजों का भोग


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।