सार
Navratri 2024: इन दिनों शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है। नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने से देवी का ये नाम पड़ा। इनकी पूजा से जीवन का हर सुख मिलता है।
Navratri 2024 Devi Katyayani: शारदीय नवरात्रि के छठे दिन की देवी मां कात्यायनी है। ये देवी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। इसलिए इनका नाम कात्यायनी हुआ। इस बार 8 अक्टूबर, मंगलवार को इनकी पूजा की जाएगी। देवी कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन शेर है। इनका रूप बहुत ही सौम्य है। देवी कात्यायनी की पूजा से जीवन का हर दुख दूर हो जाता है। इनकी पूजा से रोग, शोक, डर दूर हो जाते हैं। आगे जानिए देवी कात्यायनी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती व कथा…
8 अक्टूबर 2024 शुभ मुहूर्त (8 October 2024 Shubh Muhurat)
- सुबह 09:19 से 10:46 तक
- सुबह 10:46 से दोपहर 12:14 तक
- दोपहर 12:14 से 01:41 तक
- सुबह 03:08 से 04:36 तक
देवी कात्यायनी की पूजा विधि-मंत्र (Devi Katyayani Ki Puja Vidhi-Mantra)
- 8 अक्टूबर, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- देवी कात्यायनी की तस्वीर को साफ जगह पर लकड़ी के पटिए पर स्थापित करें।
- देवी के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। कुमकुम से तिलक करें और फूल चढ़ाएं।
- देवी कात्यायनी को लाल चुनरी, कुमकुम, लाल फूल, लाल चूड़ी आदि चीजें चढ़ाएं।
- मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं। नीचे लिखे मंत्र का जाप करें-
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।
देवी कात्यायनी की आरती (Devi Katyayani Ki Aarti)
जय जय अम्बे जय कात्यानी, जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा, वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है, यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी, कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते, हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की, ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली, अपना नाम जपाने वाली
बृह्स्पतिवार को पूजा करिए, ध्यान कात्यानी का धरिये
हर संकट को दूर करेगी, भंडारे भरपूर करेगी
जो भी माँ को 'चमन' पुकारे, कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
ये हैं देवी कात्यायनी की पूजा (Devi Katyayani Ki Katha)
प्राचीन समय में महर्षि कात्यायन नाम के एक ऋषि थे। उन्होंने देवी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें दर्शन दिए। महर्षि कात्यायन ने देवी से वरदान मांगा कि ‘मुझे आप ही गुणों वाली पुत्री चाहिए।’ तब देवी ने स्वयं महर्षि कात्ययान की पुत्री के रूप में जन्म लेकर इस वरदान को पूरा किया। महर्षि कात्यायन के घर जन्मी इस देवी का नाम देवी कात्यायनी हुआ।
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