सार

Makar Sankranti 2024 Kab Hai: हमारे देश में कईं रहस्यमयी किले हैं, पन्ना जिले का अजयगढ़ किला भी इनमें से एक है। इस किले से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं। दूर-दूर से लोग इस किले को देखने आते हैं।

 

Ajaygarh Fort of Panna District : पन्ना जिले का अजयगढ़ किला काफी रहस्यमयी है। इस मंदिर से जुड़ी बातें और भी खास बनाती हैं, यही कारण है कि इस किले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। इस मंदिर में एक प्राचीन मंदिर भी है, जो सिर्फ मकर संक्रांति (15 जनवरी 2024) पर खोला जाता है। खास बात ये है कि इस मंदिर में जिस प्रतिमा की पूजा की जाती है, उसे रीवा के पुरातत्व संग्रहालय में रखा गया है। आगे जानिए इस किले और मंदिर से जुड़ी खास बातें…

स्थानीय देवता हैं बाबा अजयपाल
मकर संक्रांति का पर्व पूरे देश में अलग-अलग मान्यताओं और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर पन्ना जिले के अजयगढ़ किले में स्थित एक प्राचीन मंदिर के दर्शन करने हजारों लोग इकट्ठा होते हैं। ये मंदिर है बाबा अजयपाल का। इन्हें यहां का स्थानीय देवता भी कहा जाता है। खास बात ये है कि ये मंदिर साल में सिर्फ एक बार मकर संक्रांति पर ही खोला जाता है।

यहां रखी है बाबा अजयपाल की मूर्ति
इस मंदिर से जुड़ी सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां जिस प्रतिमा के दर्शन करने लोग आते हैं, वो साल भर रीवा के पुरातत्व संग्रहालय में रखी जाती है और सिर्फ मकर संक्रांति के मौके पर ही पुलिस-प्रशासन की सुरक्षा में किले के मंदिर में स्थापित की जाती है। दिन भर लोग इस प्रतिमा के दर्शन करते हैं। अगले दिन इस प्रतिमा को पुन: रीवा के पुरातत्व संग्रहालय में रख दिया जाता है।

काफी रहस्यमयी है ये किला
मकर संक्रांति के एक दिन पहले ही किले में भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है। लोग पहले यहां स्थित तालाब में डुबकी लगाते हैं और फिर दर्शन करते हैं। बाबा अजयपाल को देशी घी से बनाई रोट (मोटी रोटी) चढ़ाने की परंपरा है। इस किले के बारे में कहा जाता है कि यहां चंदेल राजाओं का खजाना छिपा हुआ है। इस खजाने को खोजने की कोशिश कई बार की गई, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली।


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