सार
Holi 2024: हर साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन रंग-गुलाल से होली उत्सव मनाया जाता है। ये हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
Scientific reason for celebrating Holi: इस बार 25 मार्च, सोमवार को होली खेली जाएगी। हिंदू धर्म में होली से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। इस त्योहार को मनाने की कथा के बारे में तो सभी जानते हैं जो राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद से जुड़ी हुई है। लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि इस त्योहार का वैज्ञानिक महत्व भी है। होली का त्योहार न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिकता से भी जुड़ा हुआ है। आगे जानिए होली मनाने का वैज्ञानिक कारण…
दो ऋतुओं के संधिकाल पर मनाते हैं होली
हिंदू धर्म में 6 ऋतुएं मानी गई हैं। इनमें शिशिर और वसंत ऋतु भी शामिल हैं। शिशिर ऋतु शीत ऋतु की एक नाम है। इसके बाद आती है वसंत ऋतु। आमतौर पर वसंत ऋति की शुरूआत चैत्र मास से शुरू होती है, जो होलिका दहन के अगले दिन से शुरू होता है। इस तरह होली का त्योहार शिशिर और वसंत ऋतु के संधिकाल पर मनाया जाता है।
शरीर पर होता है ऋतु परिवर्तन का असर
आयुर्वेद के अनुसार, जब ऋतुओं में बदलाव होता है तब इसका प्रभाव मानव शरीर पर भी पड़ता है और त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) बिगड़ने के कारण बीमार होने की आशंका भी बनी रहती है। शिशिर ऋतु में शरीर में कफ की मात्रा आधिक हो जाती है और वसंत ऋतु में तापमान बढ़ने से शरीर बाहर निकलने की क्रिया में कफ दोष पैदा होता है।
बढ़ती है बीमारियां
2 ऋतुओं की संधि होने के कारण शरीर में जो परिवर्तन होते हैं, उनकी वजह से सर्दी, खांसी, सांस की बीमारियों के साथ-साथ अन्य गंभीर रोग जैसे खसरा, चेचक आदि होने की आशंका भी बनी रहती है। इनका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर दिखाई देता है। वहीं वसंत ऋतु में मन को भी प्रभावित करता है और आलस्य पैदा करता है।
इसलिए खेलते हैं होली
शिशिर और वसंत ऋतु के संधिकाल पर शरीर में जो परिवर्तन होते हैं, उन्हें दूर करने के लिए अग्नि की परिक्रमा करना, नाचना और उत्साह पूर्वक त्योहार मानना जरूरी है। अग्नि का ताप जहां रोगाणुओं को नष्ट करता है, वहीं खेलकूद की शरीर में जड़ता नहीं आने देता और कफ संबंधित दोष दूर हो जाते हैं। इस तरह होली मनाने के पीछे सिर्फ धार्मिक नहीं वैज्ञानिक कारण भी है।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।