सार

2026 कॉमनवेल्थ खेलों से बैडमिंटन को हटाने के फैसले पर पुलेला गोपीचंद ने निराशा व्यक्त की है। उन्होंने इस कदम को भारत जैसे देशों की प्रगति को रोकने वाला बताया।

Commonwealth Games 2026: राष्ट्रमंडल खेलों से बैडमिंटन को बाहर किए जाने के बाद खेल जगत में हलचल मच गया है। 2026 में ग्लासगो में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स से बैडमिंटन को बाहर किए जाने के फैसला पर कई देशों ने आपत्ति जताई है। भारतीय बैडमिंटन स्टार पुलेला गोपीचंद ने कॉमनवेल्थ गेम्स कमेटी के इस फैसले पर निराशा जतायी है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय भारत जैसे देशों की प्रगति को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है।

 

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क्या कहा पुलेला गोपीचंद ने बैडमिंटन को लेकर?

भारतीय बैडमिंटन चैंपियन पुलेला गोपीचंद ने इंस्टाग्राम पोस्ट में इस फैसले को लेकर निराशा जतायी है। उन्होंने कहा कि मैं ग्लासगो में 2026 के राष्ट्रमंडल खेलों से बैडमिंटन को बाहर करने के निर्णय से बहुत स्तब्ध और निराश हूं। ऐसा लगता है कि यह निर्णय भारत जैसे देशों की प्रगति को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है। बैडमिंटन ने हमें बहुत गौरव और सफलता दिलाई है जो हमारे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चमकने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करता है। यह निर्णय न केवल भारतीय बैडमिंटन के लिए बल्कि दुनिया भर में इस खेल के लिए एक महत्वपूर्ण चूक है, जिसमें स्पष्ट तर्क का अभाव है और इसके विकास को खतरे में डाल रहा है। यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी आवाज़ उठाएं और इस मुद्दे को उचित अधिकारियों के सामने लाएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बैडमिंटन आगे भी बढ़ता रहे और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहे। चूंकि, यह खेल वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है इसलिए इसके बहिष्कार के कारणों की जांच की जानी चाहिए और संबंधित हितधारकों के साथ इस पर चर्चा की जानी चाहिए। हम इस तरह के अदूरदर्शी निर्णयों को उस प्रगति को कमज़ोर करने की अनुमति नहीं दे सकते जो हमने अथक रूप से हासिल की है।

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