सार
कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से देश में स्मार्टफोन की बिक्री घटी है। एक अनुमान के मुताबिक, देश के स्मार्टफोन बाजार में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है।
टेक डेस्क। कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से देश में स्मार्टफोन की बिक्री घटी है। एक अनुमान के मुताबिक, देश के स्मार्टफोन बाजार में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है। केंद्र सरकार ने मार्च में पूरे देश में लॉकडाउन लगाए जाने की घोषणा की थी। इसके बाद हर तरह के कारोबार पर असर पड़ा। लॉकडाउन के बाद स्मार्टफोन के बाजार में लगभग 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। मार्केट एनालिस्ट फर्म Canalys के मुताबिक, 2020 की दूसरी तिमाही में स्मार्टफोन शिपमेंट 48 फीसदी गिरकर 17.3 मिलियन यूनिट्स हो गया। स्मार्टफोन के प्रोडक्शन में कमी, इम्पोर्ट में रुकावट और ऑनलाइन-ऑफलाइन रिटेलर्स पर लगी पाबंदी से मार्केट मंदी का शिकार हो गया।
साल की पहली तिमाही में हुई थी ग्रोथ
साल 2020 की पहली तिमाही में स्मार्टफोन की बिक्री में 12 फीसदी की ग्रोथ हुई थी। Canalys ने लॉकडाउन की वजह से दूसरी तिमाही में बड़ी गिरावट का अनुमान पहले ही लगाया था। लॉकडाउन
से कमोबेश सभी कंपनियों का कारोबार प्रभावित हुआ।
चीनी स्मार्टफोन ब्रांड और सैमसंग आगे
हालांकि, इस दौर में भी चीनी ब्रांड Xiaomi 30.9 फीसदी के साथ सबसे ऊंचे पायदान पर बरकरार रहा। इसके बाद दूसरे नंबर पर 21.3 फीसदी मार्केट शेयर के साथ वीवो और फिर सैमसंग 16.8 रहा। वहीं, रियलमी पहली तिमाही में तीसरे स्थान से गिरकर दूसरी तिमाही में 1.7 फीसदी के साथ चौथे नंबर पर है। तीसरे स्थान पर 2.2 फीसदी शेयर के साथ ओप्पो है।
शिपमेंट में आई गिरावट
हालांकि, लॉकडाउन की वजह से इन ब्रांड्स के शिपमेंट में भी गिरावट ज्यादा रही। Xiaomi की शिपमेंट पहली तिमाही के 10.3 मिलियन से गिरकर दूसरी तिमाही में 5.3 मिलियन हो गई। वहीं, वीवो की 6.7 मिलियन से घटकर 3.7 मिलियन यूनिट्स रही। सैमसंग की शिपमेंट में भी गिरावट हुई और यह 6.3 मिलियन से घटकर 2.9 मिलियन हो गई। रियलमी की शिपमेंट 3.9 मिलियन से गिरकर 1.7 मिलियन और ओप्पो की 3.5 मिलियन से घटकर 2.2 मिलियन यूनिट्स रह गई।
प्रोडक्शन में आई कमी
Canalys Analyst के मुताबिक, अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद बाजार खुलने पर स्मार्टफोन की बिक्री में थोड़ा सुधार हुआ। वहीं, कर्मचारियों की कमी और मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित नए रेग्युलेशन की वजह से स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को समस्याओं का सामना करना पड़ा। इससे प्रोडक्शन में भी कमी आई है।